सीमांत वेग Terminal Velocity In Hindi
सीमांत वेग
Terminal Velocity
जब कोई पिंड किसी श्यान द्रव में गिरता है तो प्रारंभ में उसका वेग बढ़ता है किंतु कुछ समय पश्चात वह पिंड एक नियत वेग से नीचे गिरने लगता है, इस नियत वेग को ही सीमांत वेग कहते हैं।
अर्थात
जब किसी पिंड को मुक्त रूप से किसी अनंत विस्तार वाले
तरल में छोड़ दिया जाता है तो पिंड का भार नीचे की ओर कार्य करता है और उत्पेक्ष
बल ऊपर की ओर कार्य करता है अर्थात इनके परिणामी बल के कारण पिंड का वेग बढ़ता
जाता है जिसके कारण विरोधी बल श्यान बल भी बढ़ता जाता है एक स्थिति ऐसी आती है जब
प्रभावी बल और श्यान बल का मान बराबर हो जाता है इस स्थिति में पिंड पर कार्य करने
वाला नेट बल शून्य हो जाता है अतः अब पिंड एक नियत वेग से गति करती है इसे ही
सीमांत वेग कहते हैं।
सीमांत वेग की गणना का व्यंजक
(सीमांत वेग की गणिताय व्याख्या )
माना एक छोटी गोला है जिसकी त्रिज्या r है स्वतंत्रतापूर्वक वह
अनंत विस्तार वाले तरल माध्यम में गिर रही है गोले का घनत्व ρ तथा तरल का घनत्व 'σ' है तरल का श्यानता गुणांक η है तब -
पिंड का भार =
mg
=(आयतन × घनत्व)g
पिंड का भार = Vρg
द्रव द्वारा पिंड पर लगाए गए उत्प्लावन बल का मान = Vσg
पिंड का भार नीचे की ओर तथा उत्प्लावन बल ऊपर की ओर कार्य करेगा।
अतः पिंड पर प्रभावी बल = Vρg-Vσg
= Vg(ρ-σ)
यदि पिंड सीमांत वेग से गिर रह हो तो पिंड पर लगने वाला प्रभावी बल श्यान बल के बराबर होगा।
श्यान बल = प्रभावी बल
6 πηrv = Vg(ρ - σ)
∴ V = 4/3πr³
अतः
6πηrv = 4/3πr³g(ρ-σ)
v =4πr³g(ρ-σ)/3×6πηr
Post a Comment