करुणा का अर्थ लक्षण |करुणा सेवा भावना दृढ़ता प्रतिबद्धता सहयोग साहस अर्थ | Compassion and Types in Hindi
करुणा सेवा भावना दृढ़ता प्रतिबद्धता सहयोग साहस का अर्थ
करुणा का अर्थ
करुणा का अर्थ कमजोर व्यक्तियों या प्राणियों के प्रति उत्पन्न होने वाली उस भावना से है जो उनकी उस कमजोर स्थिति को समझने तथा उसके प्रति समानुभूतिक चिंता रखने से उत्पन्न होती है। यह भावना व्यक्ति को प्रोत्साहित करती है कि वह पीड़ित व्यक्ति के दुःख को दूर करने में सहायता करे। संपूर्ण विश्व में परोपकार की भावना का मूल तत्व करुणा ही है। बुद्ध एवं महावीर ने भी करुणा पर अत्यधिक बल दिया है। करुणा अर्थात् प्राणी मात्र के लिए मंगल कामना का भाव । करुणा दुःखी एवं कमजोर व्यक्तियों, प्राणियों के प्रति उत्पन्न होने वाली ऐसी भावना है जो उनकी कमजोर एवं दुःखद स्थिति को समझने उनके प्रति समानुभूतिमूलक चिंता रखने और उनके दुःखों को दूर करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करती है जिसमें दुःखियों एवं जरूरतमंदों की मदद एवं सेवा का भाव निहित है।
करुणा के लक्षण
- परोपकार
- भेदभाव नहीं
- दुखियों की मदद
- दुखो को समाप्ति हेतु प्रयत्न
- प्राणिमात्र पर मंगल कामना
- करुणा से युक्त व्यक्ति जाति, लिंग, प्रजाति, भाषा, प्रांत, क्षेत्र, धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता। बुद्ध के अनुसार करुणा वह है जो अच्छे लोगों के हृदय को पर-पीड़न से द्रवित कर देती है परोपकार की मूल भावना करुणा में ही निहित होती है। भगवान बुद्ध तो करुणा एवं दया का महासागर हैं जिन्होंने राजपरिवार में उत्पन्न होने के बावजूद सांसारिक सुखों, करुणा से प्रेरित होकर दुःख से मुक्ति का मार्ग खोजा, निर्वाण की प्राप्ति के पश्चात वे आजीवन लोगों के दुःखों को दूर करने से संलग्न रहे।
- करुणा से मिलता-जुलता शब्द दया है। जहां दया में विशेष परिस्थिति एवं विशेष व्यक्ति का भाव होता है वहीं करुणा में सामान्य का भाव होता है। दया में जहाँ हीनता, स्वयं की श्रेष्ठता, अहंकार, आदि का भाव हो सकता है वही करुणा में निःस्वार्थ भाव से स्वाभाविक रूप से, दूसरों के दुःख दूर करने का भाव उत्पन्न होता है। बुद्ध ने करुणा को ही नैतिकता का मूल आधार माना है। दया एक तात्कालिक मानसिक अवस्था है। इसके विपरीत करुणा तुलनात्मक रूप से स्थायी भाव है।
कमजोर वर्गों के प्रति करुणा
- कमजोर वर्गों के प्रति करुणा की जरूरत इसलिए है कि ये वर्ग विकास की प्रक्रिया को इतने पिछड़ चुके है कि उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा में साधारण उपायों से नहीं लाया जा सकता। अगर लोक सेवकों में इनके प्रति करुणा का भाव होगा तो वे उनकी दशा सुधारने के लिए भीतर से प्रतिबद्ध होगे, समावेशी वृद्धि को साधने के लिए यह जरूरी है।
करुणा बनाम सहानुभूति
- करुणा और सहानुभूति दोनों मानव जीवन के विगात्मक पक्ष से संबंधित है। करुणा इच्छित न होकर अंत:करण से संबंधित है। दूसरों की कठिनाइयों को समझना और उसे दूर करने की चाहत ही करुणा है। गरीब एवं जरूरतमंद जो अपनी आवाज स्वयं समझे उनकी आवाज बनना तथा उनकी स्थिति में परिवर्तन लाना ही करुणा को इंगित करता है। सहानुभूति में केवल हमदर्दी का भाव रहता है।
सेवा भावना क्या होती है ( Spirit of Service)
- सेवा भावना वह मनःस्थिति है जिसमें कार्य किसी लाभ या स्वार्थ को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता बल्कि इस भावना के साथ किया जाता है कि यह करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। लोकसेवा में इसका अर्थ यह है कि वेतन और सुविधाओं पर विशेष ध्यान न देते हुए इस भाव से काम करना कि मैं अपनी शक्तियों का अधिकतम उपयोग सामाजिक कल्याण को साधने में कैसे कर सकता हूँ।
जिसके निम्न लक्षण हैं-
1. कार्य में ही आनंद मिलना।
2. मन में यह भावना बनाए रखना कि मैं जो कुछ भी हूँ, समाज के कारण हूँ, इसलिए समाज के प्रति कार्य करना प्रामाणिक जीवन जीने की शर्त है।
3. समाज के लिए कार्य करके खुद को बेहतर बना रहा हूँ।
दृढ़ता का अर्थ (Perseverence or persistence)
- दृढ़ता का अर्थ है, किसी दूरगामी तथा कठिन उद्देश्य की प्राप्ति होने तक धैर्य तथा अतिरिक प्रेरणा बनाए रखना। बीच-बीच में आने वाली चुनौतियों तथा बाधाओं से हतोत्साहित करने वाली परिस्थितियों से अपनी आशावादी मानसिकता के साथ संघर्ष करते रहना।
- कुछ मनोवैज्ञानिकों का दावा है कि व्यक्ति की सफलता में बुद्धि लब्धि (10), भावनात्मक लब्धि (liq) आध्यात्मिक लब्धि (SQ) की तुलना में सबसे निर्णायक भूमिका दृढ़ता (PQ) की होती है।
- दृढ़ता को बढ़ाने के लिए स्वत: परामर्शी प्रणाली में रहना, बार-बार अपने लक्ष्यों को अपने सामने स्पष्ट करना, लक्ष्य प्राप्ति की प्रक्रिया को तार्किक रूप से विभिन्न चरणों में बाँटना और नियमित रूप से यह जाँचना कि मैं कहाँ तक पहुँच चुका हूँ, समान लक्ष्य रखने वाले व्यक्तियों से अधिक से अधिक संवाद करना, अपने उद्देश्य की सहजता में गहरा विश्वास निराशा के क्षणों में कोई भी निर्णय तुरंत न करना और हो भी जाए तो उसे तुरंत लागू न करना ।
प्रतिबद्धता क्या होता (Commitment )
- किसी चीज या किसी व्यक्ति की गहराई से देखभाल करना ही प्रतिबद्धता है। यह निर्णय करने के पश्चात कि आपको क्या करना है, आप अपना शत प्रतिशत झोंक देते हैं और अल्पांश प्रयास भी शेष नहीं रखते, किसी कार्य का आरंभ करने के पश्चात उसकी समष्टि के पश्चात ही दम लेते हैं।
सहयोग (Co-operation)
- एक साथ काम करने और बोझ साझा करने को सहयोग कहा जाता है, जब कोई कार्य अकेले नहीं कर सकते हैं तब एक-दूसरे का साथ देने के लिए सहयोग करते हैं इसके तहत हम नियमों का अनुपालन करते हैं ताकि सुरक्षित व प्रसन्न रह सकें।
साहस (Courage)
- डर का सामना करने में बहादुरी दर्शाना ही साहस है जब आप साहसी होते हैं तो आप काम को छोड़ते नहीं हैं, आप कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, आप गलतियों को स्वीकार करते हैं साहस आपके दिल की शक्ति है।
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