भावनात्मक समझ एवं बुद्धिलब्धि में अंतर (Differences Between EQ and IQ)
भावनात्मक समझ एवं बुद्धिलब्धि में अंतर (Differences between EQ and IQ)
भावनात्मक समझ, किसी व्यक्ति द्वारा खुद की भावनाओं एवं अन्य की भावनाओं को एहसास कर समूह या टीम के रूप में बेहतर कार्य करने के लिए इन भावनाओं का प्रबंधन करना है। जबकि बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient) मूल् किसी व्यक्ति की सार्थक रूप में सूचनाएँ एवं कौशल की सीखने, समझने एवं इस्तेमाल करने की क्षमता को इंगित करता है। किसी व्यक्ति की प्रसन्नता व सफल होने की क्षमता को सुनिश्चित करने में वस्तुत: दोनों प्रकार की बुद्धियों की आवश्यकता होती है परंतु में हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है, जिस कारण सुखी और सफल जीवन के लिए EQ को जीवन का अपेक्षाकृत अधिक अनिवार्य घटक बनाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक उच्चतर बुद्धि अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है परंतु EQ ऐसी बुद्धि है जिसके बिना जीना कठिन है। उच्च EQ वाले व्यक्ति को सफल होने के लिए उच्च IQ का होना जरूरी नहीं है क्योंकि कार्यस्थलों पर और रोजमर्रा की जिंदगी में सामाजिक कौशल का लगातार उपयोग किया जाता है। उच्च 1Q वाले व्यक्ति सूचनाओं को समझने में असाधारण रूप से प्रतिभाशाली हो सकते हैं, पर जब सामाजिक संबंधों की बात की जाती है तब खुद को समझे जाने के लिए उन्हें कठिन मेहनत की जरूरत पड़ती है।
प्रसिद्ध फोर्ब्स पत्रिका अमेरिका की कानेंगी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार किसी व्यक्ति की 85% वित्तीय सफलता मानवीय इंजीनियरिंग व्यक्ति नेतृत्व कौशल, संवाद की क्षमता एवं बातचीत का कारण है जबकि 15% सफलता तकनीकी ज्ञान के कारण है।
वैसे भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वास्तविक रूप से सफल होने के लिए IQ के साथ EQ का होना भी जरूरी है। कहा भी जाता है कि उच्चतर IQ आपको सर्वोच्च पद पर पहुँचा सकता है पर वह आपको टॉप व्यक्ति नहीं बना सकता। टॉप व्यक्ति बनाने में EQ की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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