आधुनिक काल में योग का अस्तित्व |Existence of yoga in modern times
आधुनिक काल में योग का अस्तित्व
आधुनिक काल में योग का अस्तित्व
दर्शन साहित्य में योग के स्वरूप को जानने के बाद अब, आधुनिक काल में योग के स्वरूप पर विचार करते हैं-
- शिक्षार्थियों, आधुनिक काल में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द सरस्वती, महर्षि अरविन्द, स्वामी कुवल्यानन्द और स्वामी शिवानन्द आदि महान योगियों ने योग परम्परा को आगे बढ़ाया। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने योग साधन के द्वारा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का उपदेश दिया, जबकि स्वामी विवेकानन्द सरस्वती ने राजयोग और आधुनिक वेदान्त पर बल दिया। महर्षि अरविन्द, आधुनिक काल के प्रसिद्ध योगी हुए। महर्षि अरविन्द ने पाण्डिचेरी में अरविन्द आश्रम की स्थापना की।
- स्वामी कुवल्यानन्द के द्वारा योगाभ्यास के प्रभावों का मापन वैज्ञानिक स्तर पर करने के लिए, प्रथम यौगिक प्रयोगशाला की स्थापना महाराष्ट्र में लोनावाला नामक स्थान पर, सन 1924 में की गयी। स्वामी कुवल्यानन्द ने इस संस्थान को "कैवल्यधाम" का नाम दिया। इसी प्रकार मलाया में चिकित्सा कार्य करने के बाद वापिस भारत आए और स्वामी शिवानन्द जी ने ऋषिकेश में सन 1936 में "दिव्य जीवन संघ" की स्थापना की।
- आधुनिक काल में महर्षि महेश योगी ने, योग विद्या का प्रचार प्रसार सम्पूर्ण विश्व में किया। महर्षि महेश योगी के द्वारा हिमालय पर, दो वर्षों तक मौन साधना करने के उपरान्त भावातीत ध्यान की शिक्षा दी गयी। महर्षि महेश योगी के द्वारा प्रतिपादित भावातीत ध्यान सम्पूर्ण विश्व में एक आन्दोलन के रुप में चला।
- इस प्रकार वेदों और उपनिषदों से ज्ञान गंगा की अविरल धारा, विभिन्न योगियों और महापुरूषों के प्रयासों से सम्पूर्ण विश्व में बहती जा रही है। इसी क्रम में, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में सम्पूर्ण विश्व समुदाय के द्वारा मिलकर अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आवाहन किया गया । इस आवाहन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 11 दिसम्बर 2014 को 177 देशों के सदस्यों के द्वारा 21 जून को "अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रकार 21 जून 2015 को सम्पूर्ण विश्व समुदाय के द्वारा मिलकर प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
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