मध्यप्रदेश की बिंझवार जनजाति की जानकारी | MP Binjhavar Tribes Details in Hindi
मध्यप्रदेश की बिंझवार जनजाति की जानकारी
(MP Binjhavar Tribes Details in Hindi)
मध्यप्रदेश की बिंझवार जनजाति की जानकारी
इनकी कुल जनसंख्या 15805 आंकी गई है, जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.22 है।
बिंझवार जनजाति की जनसंख्या
इनकी कुल जनसंख्या 15805 आंकी गई है, जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.22 है।
बिंझवार जनजाति का निवास क्षेत्र
बिझवार जनजाति की जनसंख्या जिला ग्वालियर, टीकमगढ़, सागर, रीवा, शहडोल, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, इन्दौर, पूर्वी निमाड़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिदंवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में पायी जाती
है।
बिंझवार जनजाति में गोत्र
इनके गोत्र पड़की, लोही, बाध,
करहीबाध डोंडका, नाग, धान, अमली, सोनवानी, सरई, भैंसा, भौंरा, ताड़, कमलिया आदि हैं।
बिंझवार जनजाति की का रहन-सहन
घर मिट्टी लकड़ी का बना होता है। जिसमें ऊपर देशी खपरैल का
छप्पर होता है। घर सामान्यतः 2-3 कमरों का होता है। दीवारों पर सफेद या पीली मिट्टी से
पुताई करते हैं। फर्श मिट्टी का होता है, इसे प्रतिदिन गोबर से लीपते हैं। पशुओं के लिए अलग कोठा
(सार) होता हैैं, इनके घरों में
अनाज की कोठी, जांता , ढेकी, मूसल, मिट्टी का चूल्हा भोजन
बनाने व भोजन करने के बर्तन, कृषि उपकरण, बाद्ययंत्र आदि पाये जाते हैं।
बिंझवार जनजाति में खान-पान
इनका मुख्य भोजन कोदो, चावल का भात, बासी, पेज,
मौसमी साग भाजी, उड़द, तुवर, मूंग की दाल, जंगली कदंमूल फल खाते
हैं। मुर्गा, बकरा, मछली का मांस खाते हैं।
बिंझवार जनजाति में वस्त्र-आभूषण
स्त्रियाँ आभूषणों की शौकीन होती हैं। पैरों की उंगलियों
में बिछिया, सांटी, कमर में करधन बांह में
पहुँची, खिनवा, नाक में फुली पहनती हैं।
वस्त्र विन्यास में पुरूष पंछा व बंडी स्त्रियाँ लुगड़ा, पोलका पहनती हैं।
गोदना
हाथ पैरों में गुदना पाया जाता है।
बिंझवार जनजाति के तीज-त्यौहार
इनके द्वारा मनाये जाने वाले मुख्य त्यौहार हरेली, पोला, नवाखानी, दशहरा, दिवाली, होली आदि हैं।
बिंझवार जनजाति के नृत्य
इस जनजाति के लोग करमा पूजा पर करमा नृत्य, होली पर रहस, विहाव नृत्य, रामसत्ता दिवाली पर
महिलाएं फड़की नृत्य नाचती हैं। लोकगीत में सुआ गीत, ददरिया, करमा, विहाव गीत, रामधुनी, फाग आदि गाते है। नृत्य में ढोलक, थाली तथा अन्य
वाद्ययंत्रों का प्रयोग करते हैं।
बिंझवार जनजाति के व्यवसाय
इस जनजाति का व्यवसाय मुख्यतः कृषि, वन उपज संग्रह पर आधारित
है। खेती मेें कोदो, धान, तिवड़ा, उड़द, मूंग, अरहर, तिल बोते हैं। वन उपज में
तेन्दूपत्ता, अचार, हर्रा, गोंद शहद एकत्र करते हैं, जिसे स्थानीय बाजार में
बेचते है। पहले कभी-कभी शिकार करते थे, अब प्रतिबंध होने के कारण शिकार नहीं करते। वर्षा ऋतु में
अपने उपयोग के लिए मछली पकड़ते हैं।
बिंझवार जनजाति में जन्म-संस्कार
प्रसव घर पर स्थानीय दायी द्वारा कराया जाता है। बच्चे का
“नरा” भरूवा घास की पंची या ब्लेड से काटा जाता हैं, तथा नरा को घर मंे ही एक
गड्डा खोदकर गाड़ देेते हैं। प्रसूता को सोठ, गुड़, अजवाइन, घी,
पीपर आदि से बना
लड्डू खिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं।
बिंझवार जनजाति में विवाह-संस्कार
इस जनजाति में लड़को की विवाह उम्र 14-16 के बीच मानी जाती है। विवाह प्रस्ताव सामान्यतः वर पक्ष की
ओर से होता है। वर के पिता को चावल, दाल,
गुड़, तेल, हल्दी, नारियल व कुछ नगद रूपये
सूक भरना” के रूप में देता है। विवाह चार रस्मों में पूर्ण होता है। भगनी, फलदान, विहाव तथा गौना। इनमें घर
जमाई, विधवा, पुनर्विवाह, देवर-भाभी पुनर्विवाह को
भी मान्यता है।
बिंझवार जनजाति में मृत्यु संस्कार
मृत्यु संस्कार में इस जनजाति में मृतक के शव को दफनाने की
प्रथा है। तीसरे दिन नजदीक के रिश्तेदार, परिवार के पुरूष अपनी दाड़ी, मूंछ सिर के बालों का मुंडन कराते हैं। 10 वे दिन दशकरम कार्य
जिसमेें स्नान के बाद पूर्वजों की पूजा तथा मृत्यु भोज का आयोजन होता है।
बिंझवार जनजाति के देवी-देवता
बिझंवार जनजाति में परम्परागत रूप से पूज्य देवी देवता, ठाकुर देव, बूढ़ादेव, घटवालिन, दूल्हादेव, करिया, घुरूवा, भैंसासुर, सतबहेनिया, माता आदि मुख्य हैं। इसके
अतिरिक्त हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं की भी पूजा करते हैं।
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