प्रकृतिवाद तथा शिक्षा का अर्थ उद्देश्य |प्रकृतिवाद व शिक्षण विधियाँ |Naturalism and Education in Hindi
प्रकृतिवाद तथा शिक्षा का अर्थ उद्देश्य, प्रकृतिवाद व शिक्षण विधियाँ
प्रकृतिवाद तथा शिक्षा :
प्रकृतिवादी विचारकों ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किये।
उनका मत था कि शिक्षा अध्यापक के हाथों से संचालित की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है
वरन् उसका संगठन व्यक्ति या बालक के अनुकूल किया जाना चाहिये। शिक्षा के स्वरूप के
सम्बंध में प्रकृतिवाद ने जो मुख्य विचार प्रस्तुत किये है,
वह इस प्रकार है ।
1. प्रकृति के अनुसार शिक्षा।
2. बालक शिक्षा का केन्द्र बिदुं ।
3. पकृति की ओर लौटा।
4. बालक की खुशहाली पर बल ।
5. बालक की स्वतंत्रता पर बल
6. मूल प्रवृत्तियाँ शिक्षा का आधार है।
7. इन्द्रियाँ ज्ञान प्राप्ति का मार्ग
8. पुस्तकीय ज्ञान का विरोध।
प्रकृतिवाद व शिक्षा के उद्देश्य :
प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री स्पेन्सर ने मानव जीवन को समग्रता देने हेतु 5 प्रमुख कियाएँ बतायी है।
1. आत्मरक्षा
2. जीवन की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति
3. संतति पालन
4. सामाजिक व राजनैतिक संबंधो का निर्वाह
5. अवकाश का सदुपयोग
प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री रूसो ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मानव को प्रकृति के अनूकुल जीवन व्यतीत करने हेतु योग्य बनाना है। शिक्षा के द्वारा हम मानव मे कुछ नया उत्पन्न नहीं करते। वरन् मानव की मौलिकता को बनाये रखाने का प्रयास करते हैं।
प्रकृतिवाद के अनुसार हम शिक्षा के निम्न उद्देश्य बता सकते है-
1. शिक्षा द्वारा बालक को प्राकृत जीवन व्यतीत करने हेतु तैयार करना ।
2. बालक की प्राकृतिक शक्तियों को विकास करना ।
3. बालक को जीवन संघर्ष के योग्य बनाना।
4. बालक के व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास।
5. मूल प्रवृतियो का शोधन एवं मार्गान्तरीकरण ।
6. बालक का आत्म संरक्षण व आत्म संतोष की प्राप्ति।
प्रकृतिवाद व शिक्षण विधियाँ :
प्रकृतिवाद परम्परागत शिक्षण की आलोचना करता है और "प्रकृति की ओर लौटो” का नारा देता है। उनकी मान्यता है बच्चे को स्वयं के अनुभव के आधार पर सीखना चाहिए। शिक्षण करते समय अध्यापक सरल से कठिन की ओर ज्ञात से अज्ञात की ओर अनिश्चित से निश्चित की ओर मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण के सूत्रों का प्रयोग करना चाहिए। इस आधार पर प्रकृति वादियों ने खेल द्वारा शिक्षा पद्धति, प्रोजेक्ट विधि के अपनाने पर बल दिया।
प्रकृतिवाद व शिक्षक :
रूसो के अनुसार अध्यापक का स्थान “पर्दे के पीछे" होता है शिक्षक का कार्य बालक के उचित विकास हेतु वातावरण की रचना करना है और उस वातावरण मे बालक को स्वतंत्र छोड़ देना हैं।
कुछ विचारक अध्यापक को एक निरीक्षणकर्ता मानते है जिसका कार्य बालक के स्वाभाविक विकास का निरीक्षण करना है और उसके विकास हेतु उचित सुविधाये उपलब्ध कराना है।
प्रकृतिवाद यह भी मानता है कि अध्यापक का उत्तरदायित्व सिर्फ बालक की प्रकृति को समझना है।
प्रकृतिवाद और विद्यालय :
विद्यालय के सम्बन्ध मे प्रकृतिवादी सहशिक्षा का समर्थन करते है और प्रचालित परीक्षाओं का विरोध करते है जिससे बच्चों का स्वाभाविक विकास हो।
शिक्षा में प्रकृतिवाद की देन :
1. बाल केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था
2. खेल की प्रमुखता
3. पुस्तकीय ज्ञान को हटाकर अनुभव द्वारा सीखने पर बल
4. बाल मनोविज्ञान के अध्ययन की प्रेरणा
5. जन शिक्षा का प्रसार एवम् स्त्री शिक्षा का समर्थन
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