पवनमुक्तासन श्रेणी-2 ( उदर संचालन के अभ्यास) | Pavan Mutaa Aasan - Udar Sanchalan Abhyaas
पवनमुक्तासन श्रेणी-2 ( उदर संचालन के अभ्यास)
उदर संचालन के अभ्यास
1. उत्तानपादासन
उत्तानपादासन विधि
- इस अभ्यास के लिए पीठ के बल लेट जाइए, दोनों पैर एक साथ मिलाइये; स्थिति हुई):
- हथेलियां कमर के बगल में रखिए। (यह प्रारंभिक श्वास लेते हुए बाएं पैर को धीरे-धीरे उठाइये;
- जहां तक पैर उठा सकते हैं क्षमतानुसार उठाते जाइए;
- अब श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैर को वापस नीचे लाइए;
- इसी प्रकार दायें पैर को श्वास भरते हुए उठाइये;
- श्वास छोड़ते हुए पैर को धीरे-धीरे नीचे लाइए; तीन-तीन बार कीजिए,
- दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे इसी प्रकार उठाइए, फिर नीचे ले आइये;
- दोनों तरफ से, पूरी सक्रियता, पूरी सजगता के साथ, घुटने के आसपास, जांघ, पिंडली की मांसपेशियों में खिंचाव का अनुभव कीजिए, फिर थोड़ी देर विश्राम के लिए शवासन में लेटिये और दोनों हाथ बगल में हथेलियाँ आसमान की ओर खुली हुईं, रीढ़ की हड्डी, सिर और गर्दन एक सीध में रखिए तथा अभ्यास के प्रभाव को महसूस कीजिए और जांघ, घुटना, कमर, टखना आदि सभी अंगों में बेहतर प्राण का संचार अनुभव कीजिए.
2. पादचक्रासन
पादचक्रासन विधि
- शवासन से चेतनावस्था में आइये,
- पहले की तरह घुटने को सीधा रखते हुए दायें पैर को जमीन से ऊपर उठाकर गोल-गोल घुमाइये;
- श्वास लेते हुए ऊपर की तरफ और श्वास छोड़ते हुए नीचे की तरफ;
- लंबा बड़ा-सा घेरा बनाइये,
- धीरे-धीरे 3-3 बार क्लॉक वाइज़ और एन्टीक्लॉक वाइज कीजिए:
- . अब दूसरे पैर से भी इसी प्रकार अभ्यास कीजिए:
- जांघ और पिंडली की मांसपेशियों में बेहतर रक्त का प्रवाह और टखने व कमर में हल्की पीड़ा महसूस कीजिए ।
- पूरी चेतना, पूरी सजगता घुटने के आसपास रखिए;
- फिर थोड़ी देर शवासन में विश्राम कीजिए ।
नोट: दोनों पैर एक साथ उठाकर भी यह अभ्यास किया जाता है, जो कठिन अभ्यास है हृदय व कमर के रोगियों को यह अभ्यास वर्जित है।
3. पादसंचालन ( साइकिलिंग )
पादसंचालन विधि
- पहले की तरह दोनों पैरों को मिला लीजिए,
- हाथ सीधे, हथेलियां जमीन की तरफ रखिए;
- पादसंचालन जैसे साइकिल चलाते हैं;
- पहले एक पैर के घुटने को मोड़िये; इन्हें छाती के करीब लाइए, फिर श्वास लेते हुए साइकिल चलाने की तरह पंजे को आगे-पीछे लाइए और ले जाइए;
- दूसरे पैर से भी इसी तरह कीजिए:
- फिर दोनों पैर से एक साथ साइकिल चलाइए;
- इस क्रिया को 5–5 बार लयबद्ध तरीके से कीजिए:
- बहुत धीरे-धीरे, कोई जल्दीबाजी नहीं, फिर थोड़ी देर शवासन की स्थिति में विश्राम कीजिए:
- उदर क्षेत्र छाती के क्षेत्र में जो दबाव दिया गया है, जो दर्द पैदा किया गया है, सारी सजगता, सारी चेतना अभ्यास के प्रभाव पर ले जाइए। ये अभ्यास उदर विकारों को दूर करने में लाभदायक है।
4. पवन मुक्तासन
पवन मुक्तासन विधि
- दोनों घुटनों को मोड़िये,
- दोनों घुटनों के बाहर हथेलियों को फंसाकर श्वास भरिये और श्वास छोड़ते हुए नाक को घुटने से लगाने का प्रयास कीजिए:
- इस क्रिया को 3 से 4 बार अपनी श्वास और समय के फिर थोड़ी देर शवासन में विश्राम कीजिए ।
5. उदराकर्षण
उदराकर्षण विधि
- दोनों हथेलियों की अंगुलियों को आपस में फंसाइये;
- इन्हें सिर के नीचे रखिए;
- दोनों घुटनों को मोड़कर सीने के पास रखिये, अब सिर को बाँई ओर व घुटने दाँई ओर मोड़िये;
- रीढ़ की हड्डियों में ऐंठन (मसाज) दीजिए
- फिर विपरीत दिशा में सिर दाँई ओर व घुटने बाँई ओर मोड़िए;
- रीढ़ की हड्डी में मसाज दीजिए । इससे पेंक्रियाज आदि ग्रंथियां सक्रिय होती हैं। इंसुलिन का सिक्रेशन बेहतर होता है। कब्ज और गैस दूर होती है।
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