बस्ति क्रिया का अर्थ | Basti Kriya Ka Arth
बस्ति क्रिया का अर्थ (Basti Kriya Ka Arth)
बस्ति क्रिया का अर्थ
बस्ति क्रिया का अर्थ है यौगिक एनिमा । योगी लोग पहले नदी या तालाब के जल को नाभि तक खड़े होकर गुदा द्वार से अपनी आंतों में जल का प्रवेश कराके पुनः गुदा द्वारा से ही जल को बाहर निकाल देते थे।
आधुनिक एनिमा
यह प्राचीन बस्ति क्रिया का ही एक परिष्कृत रुप है। नदी में बस्ति क्रिया करने के लिए आज कोई भी तैयार नहीं होगा। अतः नदी में बस्ति क्रिया करने के बदले 'एनिमा' का यंत्र खरीद लेना चाहिए। नींबू-पानी या नमकीन पानी एनिमा यंत्र के सहारे आंतों के भीतर चढ़ाने से आंतों में रुका हुआ मल बाहर निकल जाता है और पेट साफ हो जाता है। रोगियों को एनिमा देने से तत्काल लाभ होता है। समय-समय पर एनिमा लेते रहने से शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शरीर की कांति बढ़ती है।
इस क्रिया को प्रातः खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है।
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