कपाल- भाति| कपाल का अर्थ | Kapal Bhati Ka Arth

कपाल- भाति- कपाल का अर्थ

कपाल- भाति| कपाल का अर्थ | Kapal Bhati Ka Arth

कपाल- भाति

  • कपाल का अर्थ है- मस्तिष्क और भाति का अर्थ है चमकानाअर्थात् मस्तिष्क को शुद्ध वाली क्रिया को कपाल भाति कहते हैं। करने पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए। दोनों हाथ घुटनों पर रखिए। श्वास अंदर खीचिए फिर श्वास को झटके के साथ बाहर निकालिए । थोड़ी-थोड़ी मात्रा मेंझटके के साथश्वास को लगातार बाहर निकालते जाना कपाल भाति कहलाता है। बीस-पच्चीस बार थोड़ी-थोड़ी वायु बाहर निकालने के बाद अंतिम श्वास जोर से फेफड़ों के बाहर पूरी तरह निकाल दीजिए और बाह्य कुम्भक लगाइए। जितनी देर आराम से श्वास रोक सकेंशरीर के बाहर ही रोके रखें। फिर धीरे-धीरे स्वाभाविक श्वास में आ जाएँ। इस प्रक्रिया को 2 से 3 बार दोहराइए। इस क्रिया से फेफड़ों की शुद्धि होती है। शुद्ध वायु अधिक मात्रा में फेफड़ों में जाकर रक्त की शुद्धि करती है। इस क्रिया से मन की चंचलता कम होती है।

 

नोट - :- हृदय रोगियों और उच्च रक्त चाप के रोगी के लिए यह उपयुक्त नहीं है। 

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