नेति क्रिया क्या होती है |नेति का अर्थ | Neti Kriya ka Arth
नेति क्रिया क्या होती है ,नेति का अर्थ
नेति क्रिया क्या होती है ,नेति का अर्थ
नेति का अर्थ नाक और उसके आस-पास के क्षेत्र की सफाई और उपचार है। नेति से कपाल- शुद्धि, दृष्टि- शुद्धि और कंधों से ऊपर के हिस्सों का उपचार किया जाता है।
जल नेति -
- जल नेति के लोटे में हल्का गरम पानी लेकर उसमें आवश्यकतानुसार नमक मिला लें । लोटे की नली को बायीं नासिका छिद्र में लगाकर दायीं नासिका को थोड़ा नीचे रखें । मुख को खोलकर रखें और श्वास लेना-छोड़ना मुख से ही करते रहें । दायीं नासिका से जल अपने आप बाहर निकलने लगता है और साथ ही कफ विकार भी नासिका से जल धारा के साथ बाहर निकलता जाता है। इसी प्रकार दूसरे नासिका से भी करते हैं। जल नेति करने का समय प्रातःकाल ही है । नेति क्रिया से सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है। जल नेति करने के तत्काल बाद कपाल भाति क्रिया करनी चाहिए ताकि नासिका के अंदर रुका हुआ जल भी बाहर निकल जाये और नासिका पूरी तरह खुल जाय। इसके बाद थोड़ी देर शशांकासन में आराम करना चाहिए।
सूत्र नेति –
- सूती धागों से सूत्र बना होता है जिसके एक हिस्से में मोम लगा होता है। उसी से सूत्र नेति की जाती है। सूत्र नेति को नासिका में डालने से पहले जल में भिगो लें । सूत्र के कुछ हिस्से तक मोम लगा होता है उसी हिस्से को नासा द्वार से सरलता पूर्वक धीरे-धीरे अंदर ले जाते हैं। मुख में आने पर सूत्र के दोनों छोरों को दोनों हाथों से पकड़कर सावधानीपूर्वक सूत्र को बाहर निकालते हैं।
- अब इसी प्रकार दूसरी नासिका छिद्र से भी करते हैं। अच्छा अभ्यास हो जाने पर दोनों नासिका से एक साथ भी कर सकते हैं।
नोट - इस क्रिया का अभ्यास किसी विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए।
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