हाथों के संधि संचालन के अभ्यास | Sandhi Sanchalan Abhyaas
हाथों के संधि संचालन के अभ्यास
हाथों के संधि संचालन के अभ्यास
i) मुष्ठिका बंध
मुष्ठिका बंध विधि-
- हाथ को कंधे की सीध में ऊँचा उठाइए;
- कुहनी सीधी रखिए,
- अंगूठे को अंदर रखते हुए मुट्ठी बांधिये;
- श्वास लेते हुए खोलिए और श्वास छोड़ते हुए बांधिये
ii) मणिबंध नमन -
मणिबंध नमन विधि
हथेली को सीधी रखते हुए कलाई को ऊपर-नीचे मोड़िये, श्वास लेते हुए ऊपर की तरफ, श्वास छोड़ते हुए नीचे की तरफ मोड़िये ।
iii) मणिबंध चक्र
मणिबंध चक्र विधि
- मुट्ठी बांध कर कलाई को गोल-गोल घुमाइये;
- एक श्वास में एक बार, बाहर से अंदर फिर अंदर से बाहर कीजिए,
- 5-5 बार दोनों दिशाओं में कीजिए, फिर थोड़ी देर का विश्राम कीजिए:
- हथेलियों को जांघ के ऊपर रखिए, भुजाओं में हल्की पीड़ा जो उत्पन्न हुई उसको अनुभव कीजिए ।
iv) कोहनीनमन
कोहनीनमन विधि
- कोहनी को मोड़िये और खोलिए, श्वास लेते हुए सामने की तरफ, श्वास छोड़ते हुए अपनी तरफ कंधे तक लाइए और ले जाइये;
- फिर बगल की तरफ लाइए और ले जाइये;
- सारी सजगता - सारी सक्रियता कोहनी के आसपास रखिए,
- फिर थोड़ी देर के लिए विश्राम कीजिए
v) स्कन्ध चक्र
स्कन्ध चक्र विधि
- अंगुलियों को कंधे पर रखिए, कोहनियों को स्कन्ध से गोल-गोल घुमाइये;
- श्वास लेते हुए छाती और हाथों को फैलाइये, श्वास छोड़ते हुए कोहनियों को मिलाइये;
- 5–5 बार पीछे से आगे और आगे से पीछे घुमाइये;
- पूरी चेतना, पूरी सजगता कंधे के आसपास रखिए और फिर थोड़ी देर का विश्राम कीजिए ।
स) ग्रीवा संचालन
ग्रीवा संचालन विधि
- श्वास लेते हुए गर्दन पीछे, श्वास छोड़ते हुए गर्दन सामने की तरफ धीरे-धीरे घुमाइये;
- गर्दन में मूवमेंट दीजिए, ध्यान रहे गर्दन की नसें नाजुक होती हैं, कहीं पर ज्यादा दबाव न पड़े, कही कोई ज्यादा न खिंच जाए;
- सामान्य गति में गर्दन आगे-पीछे लायें, फिर साइडवेज जैसे बगल झांकने जैसा, श्वास लेते हुए पीछे और श्वास छोड़ते हुए आगे 5-5 बार फिर थोड़ी देर विश्राम करें।
- अब तक के अभ्यास को अनुभव कीजिए पूरा शरीर ऊर्जान्वित, पूरा शरीर सक्रिय, बेहतर प्राण का संचार अनुभव कीजिए, सक्रियता, चैतन्यता अनुभव कीजिए। (संधि संचालन का अभ्यास समाप्त होता है।)
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