प्राणायाम के प्रकार |प्राणायाम की विधि | Types of Pranaayam in Hindi
प्राणायाम के प्रकार ( Types of Pranayam in Hindi)
प्राणायाम के प्रकार ( Types of Pranaayam)
साधना के प्राचीन ग्रंथ घेरण्ड संहिता में प्राणायाम के संबंध में लिखा है -
सहितः सूर्यभेदश्च उज्जायी शीतली तथा ।
भस्त्रिका, भ्रामरी मूर्छा केवली, चाष्टकुम्भकाः ।। घे.सं.
अर्थात आठ प्रकार के प्राणायामों का उल्लेख घरेण्ड संहिता में मिलता है। हठयोग प्रदीपिका में प्राणायाम का निम्न प्रकार उल्लेख किया है -
सूर्यभेदनमुज्जायी सीत्कारी शीतली तथा भस्त्रिका, भ्रामरी मूर्च्छा प्लावनी इत्यष्टकुम्भकाः (ह.प्र.)
1. नाड़ी शोधन प्राणायाम
3. उज्जाई प्राणायाम
5. शीतली प्राणायाम
2. सूर्यभेदी प्राणायाम
4. सीतकारी प्राणायाम
6. भस्त्रिका प्राणायाम
7. भ्रामरी प्राणायाम
8. प्लावनी प्राणायाम
प्राणायाम से पूर्व श्वसन - अभ्यास
- यह श्वसन अभ्यास श्वास-प्रश्वास की धारा को सरलतापूर्वक लंबा- गहरा बनाने के लिए किया जाता है। यह डायफ्राम की क्रियाशीलता को ठीक करता है। यदि श्वास लेते समय पेट फूलता है और श्वास छोड़ते समय पेट सिकुड़ता है तो समझना चाहिए कि डायफ्राम ठीक से काम कर रहा है। यदि इसके विपरीत क्रिया होती है तो इसका तात्पर्य है कि डायफ्राम उल्टा चल रहा है, इसको ठीक करने के लिए इस प्राणायाम को करते हैं। डायफ्राम ठीक होने के बाद साधक का श्वास-प्रश्वास स्वतः ही लंबा और गहरा होने लगता है।
प्राणायाम के लिए स्थिति
- पद्मासन, सुखासन अथवा वज्रासन
- हाथों को घुटनों पर रखें
- मेरुदण्ड को सुखपूर्वक सीधा रखें।
- कोमलता से आँखें बंद रखें।
प्राणायाम की विधि
- धीरे-धीरे सुखपूर्वक दोनों नासिका से समान रुप से श्वास लें। श्वास लेने के साथ-साथ पेट को धीरे-धीरे फुलाते जाएं ।
- पेट फुलाकर मन में 06 तक गिनती गिनने तक श्वास अंदर रोके रखें।
- अब धीरे-धीरे समान भाव से श्वास छोड़ते जाएं तथा पेट को सिकोड़ते जाएं।
- यदि आप चाहें तो श्वास को 06 गिनती गिनने तक बाहर भी रोक सकते हैं
- इसी क्रम को तीन मिनट से पांच मिनट तक सरलतापूर्वक कीजिए ।
- क्रिया करते समय थकना नहीं चाहिए
- संपूर्ण शरीर में हल्कापन अनुभव करें।
1. नाड़ी शोधन प्राणायाम विधि एवं लाभ
जैसा कि इस प्राणायाम के नाम से ही स्पष्ट होता है कि इसके अभ्यास से शरीर में विद्यमान 72000 नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। नाड़ियों में जमा मल को यह प्राणायाम बाहर निकालता है, जिसके फलस्वरुप शरीर में प्राण का संचार सुनियोजित होता है। शरीर के कोषाणु ऊर्जावान होते हैं।
स्थिति
- पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं;
- मेरुदण्ड को सीधा करें,
- आँखें कोमलता से बंद करें;
- बायां हाथ बायें घुटने पर रखें;
- दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली बायें नासिका रन्ध्र पर तथा अगूंठा दाहिने नासिका रन्ध्र पर रखें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम विधि
- बांयें नासिका रन्ध्र से 08 गिनती तक मन में गिनते हुए श्वास भरें
- मन में 32 गिनती गिनने तक श्वास अंदर रोकें ।
- बांयें नासिका रन्ध्र को बंद करें और दाएं नासिका रन्ध्र से 16 गिनती मन में गिनते हुए तक श्वास बाहर छोड़ें।
- अब दाएं नासिका रन्ध्र से 08 गिनने तक श्वास लें।
- फिर 32 गिनती गिनने तक श्वास अंदर रोकें। इसे अन्तः कुम्भक कहते हैं।
- अब बायें नासिका रन्ध्र से 16 गिनती गिनने तक श्वास छोड़ें ।
- यह इस प्राणायाम की एक आवृति है। इसी क्रम को दुहराते हुए लगभग 3-5 मिनट तक कीजिए
- इस प्राणायाम में पूरक, कुम्भक तथा रेचक में क्रमश: 1:4:2 का अनुपात होता है। यह सभी प्राणायामों में श्रेष्ठ है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से नाड़ियां भली-भांति शुद्ध हो जाती हैं।
उज्जाई प्राणायाम
हमारे गले में श्वास नलिका होती है। यही श्वास क्रिया का यंत्र है। यह श्वास नलिका हमारे नासिका द्वार तथा मुख द्वार दोनों से जुड़ा हुआ है। हम श्वास चाहे मुख से लें अथवा नासिका से, श्वास इसी नलिका द्वारा फेफड़ों में पहुँचती है। इसी नलिका को कुछ संकुचित करके श्वास लेने - छोड़ने से इस प्रकार की खर्राटे जैसी आवाज होती है। इसी श्वास प्रक्रिया को उज्जाई प्राणायाम के रूप में जानते हैं ।
स्थिति
- पद्मासन, वज्रासन या सुखासन में बैठ जाएं;
- मेरुदण्ड को सीधा करें;
- दोनों हाथों को घुटने पर रखें ।
विधि
- पेट को थोड़ा अंदर की ओर पिचका लें।
- जिहा के अग्र भाग को थोड़ा अंदर की ओर मोड़कर ऊपर तालू में लगा लें।
- ठुड्डी को कंठकूप में लगाकर थोड़ा संकुचित कर लें ।
- कंठ में सरसराहट करते हुए नासिका से समान रूप से श्वास लें तथा छोड़े। इसे सरलतापूर्वक करते रहें ।
- श्वास कंठ से हृदय तक लें और हृदय से गले तक छोड़ें।
- श्वास की गति समान भाव से धीमी रहे ।
- श्वास लेते छोड़ते समय मुँह में लार भर आएगी तो उसे निगल लें।
- प्राणायाम करते समय ध्यान कंठ में ही रखें ।
सूर्य भेदी प्राणायाम
सूर्य भेदन का मतलब है पिंगला नाड़ी का भेदन करना अथवा उसे जागृत करना । यह शरीर में प्राण - ऊर्जा को तीव्रता से बढ़ाता है। शरीर में ताप पैदा करता है और रक्त का शोधन करता है। इसके अभ्यास से रक्त में लाल-कण अधिक मात्रा में बढ़ते हैं। यह इच्छा शक्ति को बढ़ाता है।
स्थिति
- पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं;
- मेरुदण्ड को सीधा करें,
- आँखें बंद कर लें ।
विधि
- दाहिने हाथ की अनामिका तथा कनिष्ठिका से बाएं नासिका रन्ध्र को बंद करें।
- बिना किसी ध्वनि के सुखपूर्वक दाहिने नासिका रन्ध्र से धीरे-धीरे श्वास लें ।
- अब दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नासिका रन्ध्र को बंद कर लें और आंतरिक कुम्भक करें ।
- जालंधर बंध लगाकर श्वास को यथासंभव रोके रखें।
- कुम्भक का समय धीरे-धीरे बढ़ाते रहें । इस अभ्यास को सूर्य भेद कुम्भक कहते हैं।
- अब दाहिने-नासिका रन्ध्र से अंगूठे को बंद कर बायें नासिका रन्ध्र से बिना ध्वनि के धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
- यह मस्तिष्क को शुद्ध करता है, आँतों के कीड़ों को मारता है तथा वायु दोष को दूर करता है।
सीतकारी प्राणायाम
यह शरीर में ठंडक पहुँचाने वाला प्राणायाम है। यह भूख, प्यास, आलस्य तथा निद्रा को दूर करता है।
स्थिति
- पद्मासन या सुखासन में बैठें;
- मेरुदण्ड सीधा रखें;
- दोनों हाथ घुटनों पर रखें;
- जिहा के अग्रभाग को तालू में लगा लें।
विधि
- दाँतों तथा जबड़ों को भींचकर होठों के दायें-बायें से मुख से श्वास अंदर खींचें,
- श्वास लेते समय शीतकार की सी आवाज करें,
- फिर आंतरिक कुम्भक करें;
- कुम्भक का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ायें, इस प्रकार 8-10 बार इसे करें ।
शीतली कुम्भक प्राणायाम
यह प्राणायाम भी शरीर के अंदर शीतलता पहुँचाने के लिए किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी को शांत करने के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। उच्च रक्त चाप को ठीक करता है। रक्त को शुद्ध करता है। प्यास को बुझाता है।
स्थिति
- पद्मासन या सुखासन में बैठें,
- पीठ सीधी रखते हुए शरीर को ढ़ीला रखें;
- जिहा को बाहर निकालकर नाली की तरह बना लें,
- इस प्राणायाम को खड़े होकर भी कर सकते हैं।
विधि
- शीतकार (सी SSS) की आवाज़ करते हुए नली से वायु को अंदर खींचे।
- जब तक सुखपूर्वक श्वास को रोक सकें, रोके रखें।
- अब दोनों नासिका रन्ध्रों से धीरे-धीरे श्वास को बाहर निकालें। प्रतिदिन 15-30 बार इसका अभ्यास करें।
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका का अर्थ भाथी या धौंकनी है। धौंकनी की तरह लंबा तथा वेगपूर्वक श्वास लेना और निकालना, 'भस्त्रिका प्राणायाम' कहलाता है। जिस तरह लौहार जल्दी-जल्दी भाथी चलाता है, उसी तरह जल्दी-जल्दी श्वास लेना तथा निकालना है। इससे शरीर ऊर्जावान बनता है। श्वास गहरा व लंबा लेने की शक्ति बढ़ती है।
स्थिति
- पद्मासन में बैठ जाएं;
- सिर, ग्रीवा तथा शरीर को एक सीध में रखें,
- मुंह को बंद कर लें।
विधि
- लोहार की धौकनी के समान नासिका से 10-15 बार जल्दी-जल्दी श्वास लें तथा छोड़ें।
- श्वास छोड़ने के साथ-साथ पेट को अंदर सिकोड़ते रहें । अभ्यास के समय फुफकारने की सी ध्वनि करें।
- श्वास लेने व छोड़ने के क्रम को तीव्र बनाए रखें।
- तीव्रगति से लेना- छोड़ना करते-करते अंतिम रेचक के बाद यथाशक्ति लंबा- गहरा श्वास लें ।
- जब तक सुखपूर्वक श्वास छोड़ें। यह एक आवृत्ति भस्त्रिका है। इसी क्रम को तीन आवृत्ति तक कर सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम
- भ्रामरी शब्द भौंरे (भ्रमर) से लिया गया है। इस प्राणायाम में भौंरे जैसा गुंजन करते हुए रेचक किया जाता है। यह प्राणायाम मस्तिष्क के स्नायुओं को सुखद रूप में स्पन्दित करता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। इससे मानसिक थकान दूर होती है। मन शांत होता है। आध्यात्मिक विकास के लिए श्रेष्ठ प्राणायाम है।
स्थिति
- पद्मासन, वज्रासन या सिद्धासन में बैठें,
- मेरुदण्ड सीधा रखें;
- आँखें कोमलता से बंद रखें,
- दोनों हाथों की तर्जनी से दोनों कान बंद कर लें।
विधि
- कान बंद रखते हुए श्वास छोड़ते जाएँ और भौंरे जैसा गुंजन ध्वनि करते जाएँ।
- पुनः श्वास भरें और गुंजन करें। इस क्रम को 5, 10, 15,20 बार तक कर सकते हैं।
- अंत में दोनों नासिकारन्ध्रों से पूरक करें, यथाशक्ति अन्तः कुम्भक करें तथा धीरे-धीरे रेचक करें ।
प्लावनी प्राणायाम
प्लव का अर्थ है - नौका । नाव जल पर जैसे तैरती है, उसी प्रकार जल की सतह पर पड़े रहने को प्लावनी कहते हैं । यह प्राणायाम शरीर को फूल के समान हल्का बनाता है जिससे साधक जल की सतह पर अपने शरीर को छोड़ सकता है। यह योग साधक के लिए एक कौशल का कार्य भी है जो प्लावनी कुम्भक का अभ्यास करता है, वह वायु पीकर अन्न के बिना ही कई दिनों तक रह सकता है।
स्थिति
- पद्मासन में बैठ जाइए।
- शरीर को सुखपूर्वक रखते हुए मेरुदण्ड को सीधा रखें।
- जल की तरह घूंट-घूंट करके वायु पीएं और उसे पेट में पहुँचाएं।
- वायु भरने से पेट फूलता है, पेट थपथपाने से ढोल की सी आवाज आती है।
- अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं और अंत में डकार द्वारा धीरे-धीरे पेट की हवा को बाहर निकाल सकते हैं।
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