1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए ? | MPPSC Old Question With Answer
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए ?
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए?
पुरातन फ्रांस में 1789 में घटित विश्व की महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। फ्रांसीसी क्रांति से राजतंत्र को हटाकर फ्रांस में गणतंत्र की स्थापना हुई ।
इस क्रांति से फ्रांस के शासनस्वरूप में पूर्ण परिवर्तन लाया गया। इस क्रांति ने विश्व को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के महान नारे प्रदान किए। फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण एस्टेट्स जनरल की बैठक को मतदान की बैठक को सम्राट द्वारा भंग किया जाना था, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति के अनेक मूलभूत कारण थे जो फ्रांस की पुरातन व्यवस्था से उत्पन्न हुए थे। ये कारण निम्न हैं
फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक सामाजिक कारण
फ्रांस की क्रांति के लिए अनेक सामाजिक कारण भी उत्तरदायी थे, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित थे-
1. समाज का आधार विशेषाधिकार युक्त वर्ग तथा असमानता -
यहाँ पुरानी सामन्तशाही व्यवस्था प्रचलित थी, सारे समाज में घोर असमानता का वातावरण था । रेम्जेम्योर के शब्दों में, "फ्रांसीसी क्रांति सामन्तवाद की जीर्ण-शीर्ण सामाजिक व्यवस्था, वर्गीय विशेषाधिकार, निरंकुश शासन व नौकरशाही के विरोध तथा मनुष्य के समानता के दावे और अधिकार के नवीन सिद्धांतों के आधार पर मानव समाज के नव-निर्माण के प्रयत्न का साकार रूप था।"
2. सामन्तों के अधिकार-
कुलीनों ने अपनी जागीर में शराब की भट्टियों, आटे की चक्कियों में स्वयं की व्यवस्था की थी। अनाज पिसाना इनके ही द्वारा होता था। इनको अलग नक्की लगाने का अधिकार था। इस प्रकार सामन्तों और पादरियों का बोलबाला था क्योंकि राजदरबार में उनका प्रभाव था।
3. निर्धनों पर करों का भार
फ्रांस में कर प्रणाली दूपित थी। चर्म के अधिकारी, सामन्त करों से पूरी तरह मुक्त थे। जनता को कर उठाने पड़ रहे थे, क्योंकि फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा था अथवा असमान वर्गों में विभाजित था। पादरियों का वर्ग जो कि प्रथम था, सबसे प्रभावशाली था। वित्तीय तथा न्याय संबंधी क्षेत्रों में इस वर्ग का प्रभाव था। वे शिक्षा पर नियंत्रण रखते थे, करों से मुक्त थे, गिरजाघर टिथ वसूल करता था। इसी प्रकार से दूसरा वर्ग कुलीन वर्ग था । कुलीन के तीन वर्ग थे- देहाती कुलीन, छोटे बाज और दरबारी कुलीन, कुलीनों का सामाजिक स्तर दूसरों से भिन्न था। ये कर नहीं देते थे । साधारण वर्ग की दशा शोचनीय थी।
फ्रांसीसी क्रांति के आर्थिक कारण
फ्रांस की राज्य क्रांति लिए उसकी आर्थिक स्थिति भी कम उत्तरदायी नहीं थी । क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
1. दोषपूर्ण अर्थ विभाजन -
आर्थिक दृष्टिकोण से फ्रांस का विभाजन असमानता के आधार पर स्थित था। राज्य का अमीर वर्ग अनेक आर्थिक विशेषाधिकारों से युक्त था और यह फ्रांस की आधी से अधिक भूमि का स्वामी था, उसे कर नहीं देना पड़ता था, दूसरी ओर 80 प्रतिशत दरिद्र ग्रामीण जनता थी, जिसे अपनी आय 80 प्रतिशत भाग अपमान एवं तिरस्कारपूर्ण परिस्थितियों में राज्य, चर्च और सामन्तों को देना पड़ता था।
2. विकृत शासन प्रणाली-
राज्य की कर प्रणाली अत्यंत विकृत एवं अन्यायपूर्ण थी। फ्रांस में कर वसूल करने का ठेका दिया जाता था। इस प्रथा के कारण ठेकेदार प्रजा पर भीषण अत्याचार करते थे। राज्य को वसूल किए गए धन का आधा भाग ही प्राप्त होता था। इस प्रकार राज्य का कोई विशेष लाभ नहीं होता था। गरीब जनता से वसूल किया गया धन अत्याचारियों की जेब में चला जाता था।
1. व्यापार की अवस्था -
इस समय व्यापार भी उन्नत अवस्था में नहीं था। फ्रांस के विभिन्न भागों की व्यापार प्रणाली, नापतौल पद्धति, मुद्रा प्रणाली तथा चुंगीकर की दर भिन्न-भिन्न थी। राज्य को कोई विशेष लाभ नहीं था ।
4. ऋण भार-
भीषण अपव्यय से राष्ट्रीय ऋण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। राज्य का कोई बजट नहीं था। राजकोष रिक्त पड़ा था, सदैव ऋण लिया जाता था। इस प्रकार फ्रांस की आर्थिक दशा डाँवाडोल हो गई थी। स्थिति यह थी कि ऋण तो दूर ऋण व्याज चुकाना कठिन हो गया था। लुई 16वें ने इस दिशा में कुछ प्रयत्न किया, किन्तु कुलीनो ने उसकी बात न मानकर भारी भूल की। राष्ट्रीय सभा ने आते ही विशेषाधिकारों का अन्त कर दिया और जागीरदारों को अपना रक्त देकर जनता के दोष का प्रतिकार करना पड़ा।
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