Current Affairs Summary June 2022 in Hindi |समसमयिकी सारांश जून 2022
Current Affairs Summary June 2022 in Hindi समसमयिकी सारांश जून 2022
Current Affairs Summary June 2022 in Hindi
जैवविविधता नीति-2022
- भारत के सबसे बड़े एकीकृत ऊर्जा उत्पादक ‘राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम- NTPC लिमिटेड’ ने जैवविविधता के संरक्षण एवं उसे पूर्व स्तर पर लाने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण एवं मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित करने हेतु नवीनीकृत जैवविविधता नीति-2022 जारी की है। यह जैवविविधता नीति, NTPC की पर्यावरण नीति का अभिन्न अंग है एवं पर्यावरण और स्थिरता नीतियों के अनुरूप है। इसके अलावा इस नीति को NTPC समूह के सभी पेशेवरों को इस क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करने के लिये भी तैयार किया गया है। NTPC वर्ष 2018 में जैवविविधता नीति जारी करने वाला पहला सार्वजनिक उपक्रम था। उसी वर्ष NTPC, भारत व्यापार और जैवविविधता पहल (IBBI) का सदस्य बन गया था। NTPC जैवविविधता के क्षेत्र में स्थानीय समुदायों, संगठनों, नियामक एजेंसियों और राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अनुसंधान संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है। NTPC द्वारा की गई एक बड़ी पहल में कंपनी ने आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिये आंध्र प्रदेश वन विभाग के साथ पाँच वर्ष के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। 4.6 करोड़ रुपए के वित्तीय योगदान और समुदाय की बढ़ी हुई भागीदारी के साथ NTPC के हस्तक्षेप के बाद से समुद्र के जल में हैचिंग की संख्या में लगभग 2.25 गुना वृद्धि हुई है।
उपराष्ट्रपति का सेनेगल दौरा
- उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू तीन देशों (गैबॉन, सेनेगल और कतर) के दौरे के दूसरे चरण में 1 जून, 2022 को अफ्रीकी देश सेनेगल पहुँचे। वह सेनेगल के राष्ट्रपति मेकी सॉल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। उपराष्ट्रपति की यह यात्रा भारत-सेनेगल राजनयिक संबंधों की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हो रही है। यह यात्रा अफ्रीका के साथ निकटता से जुड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सेनेगल आधिकारिक तौर पश्चिम अफ्रीका का एक देश है जिसकी राज़धानी डकार है। रणनीतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से अफ्रीका हमारे लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। पिछले 3-4 दशकों से भारत ने इस महाद्वीप के साथ सक्रिय रूप से कार्य किया है। हालाँकि पिछले दशक से इसमें और तेज़ी आई है एवं साथ ही कुछ वर्षों में इस संबंध में कई गुना वृद्धि देखी गई है। अफ्रीकी देशों के साथ भारत की भागीदारी हमेशा द्विपक्षीय रही है। उदाहरण के तौर पर भारत-दक्षिण अफ्रीका के मध्य द्विपक्षीय संबंध को देखा जा सकता है। साथ ही जिन विभिन्न व्यापारिक गुटों के साथ साझेदारी के लिये प्रयास किये जाने की आवश्यकता है उनमें COMESA, ECOWAS, ECCAS, अफ्रीका के प्रमुख मुक्त व्यापार क्षेत्र शामिल हैं।
‘डेक्कन क्वीन’
- देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे (Pune) से जोड़ने वाली प्रीमियम ट्रेन (Premium Train) डेक्कन क्वीन (Deccan Queen) ने 1 जून, 2022 को अपने संचालन के 92 वर्ष पूरे कर लिये हैं। देश की पहली इलेक्ट्रिक लोको ट्रेन ‘डेक्कन क्वीन’ का परिचालन 1 जून, 1930 को शुरू किया गया था, इसे सेंट्रल रेलवे के अग्रदूत ‘ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे’ (Great Indian Peninsula Railway- GIPR) द्वारा शुरू किया गया था। इस ट्रेन के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं जिनमें भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन, पहली लंबी दूरी की इलेक्ट्रिक ढुलाई ट्रेन, ‘पहली महिला-स्पेशल ट्रेन’ और ‘डाइनिंग की सुविधा प्रदान करने वाली पहली ट्रेन’ शामिल है। इसका नाम (डेक्कन क्वीन-Deccan Queen) पुणे के नाम पर रखा गया है जिसे ‘क्वीन ऑफ डेक्कन’ के रूप में भी जाना जाता है।
फूलों की घाटी
- हाल ही में विश्व प्रसिद्ध धरोहर स्थल एवं राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड की फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है। इस संबंध में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की ओर से सभी तैयारियांँ पूरी कर ली गई हैं। घाटी के प्रवेश द्वार घांघरिया में भी गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। समुद्र सतह से 3962 मीटर की ऊंँचाई पर स्थित फूलों की घाटी 87 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान उच्च-तुगंता वाले पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में अवस्थित है। 6 नवंबर, 1982 को यूनेस्को ने इस घाटी को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। फूलों की घाटी में पांँच सौ से अधिक रंग-बिरंगे फूलों की प्रजातियांँ पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में अल्पाइन फूलों तथा सुंदर घास के मैदान पाए जाते हैं। यहाँ वनस्पतियों एवं जीवों की उच्च विविधता और घनत्व पाया जाता है, जिनमें हिम तेंदुए, हिमालयी कस्तूरी मृग तथा पौधों की विभिन्न प्रजातियों सहित अनेक संकटापन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं। घाटी को हिंदू पौराणिक कथाओं में `नंदन कानन` अर्थात् “इंद्र का स्वर्ग” के रूप में वर्णित किया गया है।
भारतीय व्यापार पोर्टल
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री ने 27 मई, 2022 को नई दिल्ली में ‘भारतीय व्यापार पोर्टल’ का शुभारंभ किया। यह पोर्टल भारतीय निर्यातकों और विदेशी क्रेताओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के केंद्र के रूप में काम करेगा। यह पोर्टल व्यापार से व्यापार (B-2-B) मॉडल का डिजिटल व्यापार स्थल है जो लघु, मध्यम निर्यात उद्यमियों, दस्तकारों और किसानों को अपने उत्पादों के लिये नए बाज़ार का पता लगाने और वैश्विक स्तर पर बिक्री बढ़ाने में मददगार होगा। भारत ने अपने विदेशी व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से दुनिया के विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक समझौते किये हैं। भारत की विदेश व्यापार नीति ने हमेशा वैश्विक वस्तुओं के व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। तद्नुसार, भारत सरकार ऐसी नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाकर शेष विश्व के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही है, जो दुनिया के अन्य देशों के साथ निर्यात व आयात बढ़ाने और इसे सुविधाजनक बनाने में मदद करेंगी। भारत सरकार के वाणिज्य विभाग ने वैश्विक स्तर पर विदेशी व्यापार गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने और व्यापार के विस्तार के लिये यह वेब पोर्टल विकसित किया है।
अफगानिस्तान में मानवीय सहायता
- अफगानिस्तान में मानवीय सहायता कार्यों की देखरेख के लिये एक भारतीय दल 2 जून से काबुल के दौरे पर हैं। इसके सदस्य मानवीय सहायता वितरण में शामिल अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट करेंगे। यह दल उन स्थानों का भी दौरा करेगा, जहाँ भारतीय कार्यक्रम और परियोजनाएँ लागू की जा रही हैं। भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की मानवीय ज़रूरतों को देखते हुए सहायता भेजने का फैसला किया था। भारत ने वहाँ खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और कोविडरोधी टीकों सहित राहत सामग्री की कई खेप भेजी हैं। भारतीय सहायता का अफगानिस्तान में समाज के सभी वर्गों ने स्वागत किया है। भारतीय दल तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से भी मिलेगा और अफगानिस्तान के लोगों के लिये मानवीय सहायता के बारे में बातचीत करेगा। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान द्वारा कब्ज़ा करने के बाद भारत इस क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर चिंतित है। 1990 के दशक में एक संक्षिप्त अवरोध को छोड़ दें तो अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से अच्छे रहे हैं, जो वर्ष 1950 की मैत्री संधि (Treaty of Friendship) से आगे बढ़े थे। भारत ने अफगानिस्तान में भारी निवेश और वित्तीय प्रतिबद्धताओं (3 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक) की पूर्ति की है और अफगान सरकार के साथ मज़बूत आर्थिक और रक्षा संबंध विकसित किये हैं। लेकिन अब एक बार फिर वह अनिश्चितता की स्थिति से गुज़र रहा है क्योंकि अमेरिकी सैन्य बल की वापसी ने अफगानिस्तान में शक्ति संतुलन को प्रभावी रूप से बदल दिया है और तालिबान ने अब यहाँ तेज़ी से अपनी क्षेत्रीय पकड़ मज़बूत कर ली है।
पुनीत सागर अभियान
- एनसीसी (National Cadet Core) ने 30 मई, 2022 को अपने देशव्यापी प्रमुख अभियान ‘पुनीत सागर अभियान’ के नवीनतम चरण की शुरुआत की, यह अभियान 5 जून, 2022 को विश्व पर्यावरण दिवस तक जारी रहेगा। इस अभियान के नवीनतम चरण में 10 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 74,000 कैडेट भाग लेंगे। इन एनसीसी कैडेटों के साथ देश भर में कई स्थानों पर एनसीसी के पूर्व छात्र, स्थानीय लोग और पर्यटक भी इस अभियान से जुड़ेंगे। इस अभियान के दौरान एकत्र किये गए कचरे को सरकार/निजी एजेंसियों के सहयोग से पर्यावरण अनुकूल तरीके से निपटाया जाएगा। पुनीत सागर अभियान की शुरुआत एनसीसी द्वारा नदियों और झीलों सहित समुद्र तटों एवं अन्य जल निकायों में मौजूद प्लास्टिक तथा अन्य कचरे को साफ करने, समुद्र तटों व नदी के किनारों को साफ रखने के महत्त्व के बारे में स्थानीय आबादी के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिये की गई थी। इस अभियान का उद्देश्य स्थानीय लोगों को 'स्वच्छ भारत' के बारे में अवगत कराना और उन्हें इसके प्रति जागरूक बनाना है। एनसीसी का गठन वर्ष 1948 (एच.एन. कुंजरु समिति-1946 की सिफारिश पर) में किया गया था। एनसीसी रक्षा मंत्रालय के दायरे में आती है और इसका नेतृत्त्व थ्री स्टार सैन्य रैंक के महानिदेशक द्वारा किया जाता है।
एकीकृत लैंडस्कैप प्रबंधन योजना
- जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा अन्य संबंधित संगठनों के साथ 2 जून, 2022 को ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिये एकीकृत लैंडस्केप प्रबंधन योजना की अंतिम रिपोर्ट जारी की। इस एकीकृत लैंडस्कैप प्रबंधन योजना को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने केन-बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में तैयार किया है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में केंद्रीय जल मंत्री और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच 22 मार्च, 2021 को इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद दिसंबर 2021 में भारत सरकार ने इसके कार्यान्वयन की मंज़ूरी दी थी। इस योजना में बाघ, गिद्ध और घड़ियाल जैसी प्रमुख प्रजातियों के बेहतर आवास संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये प्रावधान हैं। इससे जैवविविधता संरक्षण तथा मानव कल्याण, विशेष रूप से वन आश्रित समुदायों के लिये परिदृश्य को समग्र रूप से समेकित करने में मदद मिलेगी। इससे मध्य प्रदेश में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य तथा उत्तर प्रदेश में रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के साथ संपर्क को मज़बूत करके इस परिदृश्य में बाघों को रखने की क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
हॉकी 5-एस चैंपियनशिप
- भारत ने पहली बार आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) हॉकी 5-एस चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया है। स्विट्ज़रलैंड के लुसान में 05 जून, 2022 को फाइनल में भारत ने पोलैंड को 6-4 से हराया। टूर्नामेंट में भारतीय टीम एक भी मैच नहीं हारी। पांँच टीमों के इस टूर्नामेंट में भारत लीग मुकाबलों के बाद 10 अंक के साथ पहले स्थान पर रहा। हॉकी 5-एस बहुत तेज़ी और उच्च कौशल के साथ खेला जाने वाला हॉकी का नया एवं छोटा प्रारूप है। कुल 20 मिनट के इस मैच में दोनों टीम्स में पांँच-पांँच खिलाड़ी होते हैं। वर्ष 2014 में चीन के नानजिंग युवा ओलिंपिक खेलों में पहली बार हॉकी 5-एस मुकाबला का आयोजन किया गया था। हॉकी को छोटे फॉर्मेट के माध्यम से लोकप्रिय बनाने की यह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) की मुहिम का हिस्सा है। इस छोटे प्रारूप हेतु खेल का मैदान नियमित मैदान के आकार का आधा होता है। हालांँकि यह प्रतियोगिता पर भी निर्भर करता है। FIH के नियम के अनुसार, हॉकी 5-एस के टर्फ के लिये अधिकतम आकार 55 X 42 मीटर होगा, जबकि न्यूनतम आकार 40 X 28 मीटर होगा।
भारतीय लिपस्टिक पौधा
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) के शोधकर्त्ताओं ने एक सदी से भी अधिक समय बाद अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ ज़िले (Anjou District) में एक दुर्लभ पौधे की खोज की है. इसे 'भारतीय लिपस्टिक पौधे' के नाम से जाना जाता है। इस पौधे की खोज सबसे पहले वर्ष 1912 में ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री स्टीफन ट्रॉयट डन ने की थी। यह खोज एक अन्य अंग्रेज़ वनस्पतिशास्त्री इसहाक हेनरी बर्किल द्वारा अरुणाचल प्रदेश से एकत्र किये गए पौधों के नमूनों पर आधारित थी. इसे वनस्पति विज्ञान में 'एस्किनैन्थस मोनेटेरिया डन' (Eschinanthus Monetaria Dun) के नाम से जाना जाता है. BSI के वैज्ञानिकों ने बताया कि ट्यूबलर रेड कोरोला (Tubular Red Corolla) की उपस्थिति के कारण जीनस एस्किनैन्थस (Genus Eschinanthus) के तहत कुछ प्रजातियों को लिपस्टिक प्लांट कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश में फूलों के अध्ययन के दौरान दिसंबर 2021 में अंजॉ ज़िले के ह्युलियांग और चिपरू से 'एस्किनैन्थस' के कुछ नमूने एकत्र किये थे। उन्होंने कहा कि प्रासंगिक दस्तावेजों की समीक्षा और ताज़ा नमूनों के अध्ययन से पुष्टि हुई कि नमूने एस्किनैन्थस मोनेटेरिया के हैं, जो वर्ष 1912 के बाद से भारत में नहीं पाए गए। प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने इन प्रजातियों को 'लुप्तप्राय' श्रेणी में रखा है। एस्किनैन्थस शब्द ग्रीक भाषा के ऐशाइन या ऐशिन से लिया गया है, जिसका अर्थ है शर्म या शर्मिंदगी महसूस करना, जबकि एंथोस का अर्थ फूल होता है। वनस्पतिशास्त्रियों के अनुसार, यह पौधा नम और सदाबहार वनों में 543 से 1134 मीटर की ऊंँचाई पर उगता है तथा इस पौधे में फूल आने और फलने का समय अक्तूबर से जनवरी के बीच है।
संयुक्त राष्ट्र में तुर्की का नया नाम
- संयुक्त राष्ट्र में तुर्की को अब तुर्किये (Turkiye) के नाम से जाना जाएगा। देश का नाम बदलने के लिये राजधानी तुर्की की ओर से भेजे गए अधिकारिक अनुरोध को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने मंज़ूरी दे दी है। तुर्की की रीब्रांडिंग करने के लिये पिछले साल राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) की ओर से एक कैंपेन लॉन्च किया गया था, जिसके बाद से सरकारी दस्तावेज़ों और तुर्की के लोगों की ओर से तुर्किये शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। तुर्किये के रूप में इस नाम को वर्ष 2021 में चुना गया था जो तुर्की राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों को बेहतरीन तरीके से दर्शाता है तथा व्यक्त करता है। स्थानीय लोग भी अपने देश को तुर्किये के रूप में संदर्भित करते हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके अंग्रेज़ी संस्करण “टर्की” को अपनाया गया था। तुर्की सरकार ने फिर से ब्रांडिंग अभियान शुरू कर दिया है जिसके अंतर्गत निर्यात किये गए सभी उत्पादों पर “मेड इन तुर्किये” प्रदर्शित किया जाएगा। सरकार द्वारा टैग लाइन के रूप में “हैलो तुर्किये” के साथ एक पर्यटन अभियान भी शुरू किया गया है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021
- केंद्रीय गृह मंत्री ने 4 जून, 2022 को हरियाणा के पंचकुला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 का शुभारंभ किया। वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई भारत में सबसे बड़ी राष्ट्रव्यापी ज़मीनी स्तर की खेल प्रतियोगिता- खेलो इंडिया यूथ गेम्स का यह चौथा संस्करण है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में पहली बार पाँच पारंपरिक खेलों को शामिल किया गया है, इन खेलों में गतका, कलारीपयट्टू, थांग-ता, मलखंभ और योग शामिल हैं। इनमें गतका, कलारीपयट्टू और थांग-ता पारंपरिक मार्शल आर्ट हैं। कुल मिलाकर 2,262 लड़कियों सहित 4,700 एथलीट 25 खेलों में 269 स्वर्ण, 269 रजत और 358 कांस्य पदकों के लिये प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सा लेंगे, जो 4 जून से 13 जून तक चलेगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2021 के चौथे संस्करण में देश भर के लगभग 8,500 खिलाड़ी, कोच और सहयोगी स्टाफ भाग लेंगे। खेलो इंडिया योजना का उद्देश्य पूरे देश में खेलों को प्रोत्साहित कर बच्चों और युवाओं के समग्र विकास, सामुदायिक विकास, सामाजिक एकीकरण, लैंगिक समानता, स्वस्थ जीवन-शैली, राष्ट्रीय गौरव एवं खेलों के विकास से जुड़े आर्थिक अवसरों के माध्यम से खेल के क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर प्राथमिकता वाले खेलों में पहचान बनाने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को 8 वर्षों तक के लिये प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान
- गृह मंत्री अमित शाह 7 जून, 2022 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (NTRI) का उद्घाटन करेंगे। NTRI राष्ट्रीय स्तर का एक प्रमुख संस्थान होगा और शैक्षणिक, कार्यकारी तथा विधायी क्षेत्रों में जनजातीय चिंताओं, मुद्दों एवं मामलों का मुख्य केंद्र बनेगा। यह प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों के साथ-साथ शैक्षणिक निकायों और संसाधन केंद्रों के साथ सहयोग एवं नेटवर्क स्थापित करेगा। यह जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI), उत्कृष्टता केंद्रों (COE), NFS की शोध परियोजनाओं की निगरानी करेगा तथा अनुसंधान और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिये मानदंड स्थापित करेगा। इसकी अन्य गतिविधियों में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ राज्य कल्याण विभागों को नीतिगत सहयोग प्रदान करना, जनजातीय जीवन-शैली के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं में सुधार या मदद हेतु अध्ययन और कार्यक्रमों को तैयार करना, PMAAGY के डेटाबेस का निर्माण व रख-रखाव, जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना तथा संचालन और भारत की समृद्ध जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करना शामिल है। साथ ही प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसमें देश भर के 100 से अधिक आदिवासी कारीगर अपने उत्पादों और नृत्य कलाकार कला का प्रदर्शन करेंगे।
विज़िटर्स कॉन्फ्रेंस, 2022
- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 7 जून को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में विज़िटर्स कॉन्फ्रेंस, 2022 की मेज़बानी करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रपति अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास की विभिन्न श्रेणियों में विज़िटर अवार्ड, 2020 प्रदान करेंगे। दो दिवसीय इस सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श होगा और प्रस्तुतियाँ दी जायेंगी। विचार-विमर्श में उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतर्राष्ट्रीय रैकिंग, शिक्षा-उद्योग और नीति निर्माताओं तथा शिक्षा एवं अनुसंधान के बीच समन्वय जैसे विषय शामिल होंगे। राष्ट्रपति 161 केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के विज़िटर हैं। इन संस्थानों के प्रमुखों के अलावा शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। 8 जून, 2022 को सम्मेलन में अकादमिक-उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग; एकीकृत स्कूल, उच्च व व्यावसायिक शिक्षा; उभरती एवं विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में शिक्षा एवं अनुसंधान जैसे विषय प्रमुख रूप से चर्चा के केंद्र बिंदु होंगे।
मणिपुर हथकरघा और हस्तशिल्प विकास निगम
- ई-कॉमर्स अमेज़न और मणिपुर सरकार ने 6 जून, 2022 को राज्य के हथकरघा और हस्तशिल्प के प्रदर्शन और बिक्री के लिये एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पंथोइबी एम्पोरियम का उद्घाटन किया, साथ ही इस ऑनलाइन स्टोर के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए। इस पहल से राज्य के लगभग 300,000 कारीगरों, बुनकरों और आदिवासी समुदायों के सदस्यों को लाभ होगा। हथकरघा एवं वस्त्र निदेशालय के संरक्षण में संचालित, पंथोइबी एम्पोरियम मणिपुर हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (MHHDCL) का एक हिस्सा है, जो स्थानीय कारीगरों के विकास के लिये एक सरकारी उद्यम है। मणिपुर के अद्वितीय और दस्तकारी उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला अब देश भर के ग्राहकों के लिये उपलब्ध है। Amazon.in पर पंथोइबी एम्पोरियम में हाथ से बुने कपड़े, दस्तकारी टोपी और बैग, टेराकोटा उत्पाद एवं साथ ही कौना शिल्प शामिल हैं- मणिपुर की एक अद्वितीय हस्तकला जिसमें टोकरी, पर्स, बैग आदि बनाने के लिये कौना लकड़ी का उपयोग किया जाता है। मणिपुरी रानी फी, रेशम से बनी हाथ से बुनी हुई शॉल भी वेबसाइट पर देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त, मणिपुर के विशिष्ट खाद्य पदार्थ, जिनमें काले चावल, चाय, जीआई टैग वाली मिर्च, नींबू और संतरे शामिल हैं, भी बिक्री के लिये उपलब्ध होंगे।
बॉयोटेक स्टार्टअप प्रदर्शनी-2022
- प्रधानमंत्री 9 जून को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में बॉयोटेक स्टार्टअप प्रदर्शनी-2022 का उद्घाटन करेंगे। इस दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान सहायता परिषद कर रहे हैं। परिषद के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रदर्शनी की थीम है- 'बॉयोटेक स्टार्टअप नवाचारः आत्मनिर्भर भारत के लिये’। यह प्रदर्शनी उद्यमियों, निवेशकों, उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्त्ताओं, बॉयोइन्क्यूबेटर, विनिर्माताओं, नियामकों और सरकारी कर्मियों को एक मंच पर लाएगी। इस प्रदर्शनी में लगभग 300 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल, जेनोमिक्स, जैव-फार्मा, कृषि, औद्योगिक जैव-प्रौद्योगिकी, कचरे से संपदा, स्वच्छ ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को प्रदर्शित किया जाएगा। जैव प्रौद्योगिकी वह तकनीक है जो विभिन्न उत्पादों को विकसित करने या बनाने के लिये जैविक प्रणालियों, जीवित जीवों या इसके कुछ हिस्सों का उपयोग करती है। जैव प्रौद्योगिकी के तहत बायोफार्मास्यूटिकल्स का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन करने हेतु आनुवंशिक रूप से संशोधित रोगाणुओं, कवक, पौधों और जानवरों का उपयोग किया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में रोग की चिकित्सा, निदान, आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें, प्रसंस्कृत खाद्य, बायोरेमेडिएशन, अपशिष्ट उपचार और ऊर्जा उत्पादन आदि शामिल हैं।
बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्ती प्रतियोगिता
- कज़ाखस्तान में बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्ती प्रतियोगिता में भारत 12 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर रहा। इसमें कुल छह स्वर्ण, एक रजत और पाँच कांस्य पदक शामिल हैं। भारत के छह स्वर्ण पदकों में से पाँच पदक महिला प्रतिभागियों ने अपने नाम किये। 14 पदकों के साथ ईरान पदक तालिका में शीर्ष पर रहा। सरिता मोर ने 59 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता, जबकि मनीषा ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में सीनियर्स में अपना पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। मानसी अहलावत ने 57 और साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किये। दिव्या काकरान ने भी 68 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। पुरुष वर्ग में अमन सहरावत ने 57 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वहीं 65 किलोग्राम भार वर्ग में बजरंग पुनिया ने, 125 किलोग्राम भार वर्ग में मोहित ग्रेवाल ने और 63 किलोग्राम भार वर्ग में नीरज ने कांस्य पदक अपने नाम किये। बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन कज़ाखस्तान के अलमाटी में 2 से 5 जून तक किया गया।
रोड कंस्ट्रक्शन वर्ल्ड रिकॉर्ड
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण-NHAI ने रिकॉर्ड 105 घंटे 33 मिनट (लगभग 5 दिन) में 75 किलोमीटर लंबी बिटुमिनस कंक्रीट रोड का निर्माण कर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। 03 जून, 2022 से शुरू हुए इस कार्य के संपन्न होने पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्राधिकरण, इंज़ीनियरों, ठेकेदारों और मज़दूरों के दल को बधाई दी। महाराष्ट्र के पश्चिम विदर्भ में अमरावती और अकोला के बीच NH-53 सेक्शन पर सिंगल लेन की यह परियोजना आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत पूरी की गई। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1988 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए किया गया था। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड का आरंभ वर्ष 1958 में हुआ था. यह विश्व रिकॉर्ड वर्ष 1998 तक ‘द गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड’ के नाम से जाना जाता था और इसके बाद इसका नाम ‘द गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ हो गया। यह एक तरह की रिकॉर्ड बुक है, जिसे प्रतिवर्ष पुनः संपादित किया जाता है और नए-नए वर्ल्ड रिकॉर्ड इसमें शामिल किये जाते हैं। इसके अंतर्गत मनुष्य द्वारा बनाया गया रिकॉर्ड और विभिन्न प्राकृतिक रिकॉर्ड को शामिल किया जाता है। यह बुक ख़ुद भी एक विश्व रिकॉर्ड बन चुकी है।
राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल
- केंद्र सरकार ने 9 जून, 2022 को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के विभिन्न पुरस्कारों की नामांकन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने एवं जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल की शुूरुआत की है। इसे सभी पुरस्कारों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के अंतर्गत एक साथ लाने के लिये विकसित किया गया है। पोर्टल का उद्देश्य सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न पुरस्कारों के लिये व्यक्तियों और संगठनों को नामांकित करने की सुविधा प्रदान करना है। गृह मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि पद्म पुरस्कारों के नामांकन और संस्तुति के लिये पोर्टल इस वर्ष 15 सितंबर तक खुला रहेगा। सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कारों के लिये अगले महीने की 31 तारीख तक नामांकन किया जा सकता है। भारत सरकार ने देश की एकता और अखंडता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का गठन किया है। यह पुरस्कार राष्ट्रीय एकता और अखंडता को प्रोत्साहन देने तथा मज़बूत एवं अखंड भारत के मूल्यों को स्थापित करने के संबंध में प्रदान किया जाता है। तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक कार्य पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय टेलीकॉम स्किल एक्सीलेंस अवार्ड के लिये 16 जून तक नामांकन किया जा सकता है।
सूफी उत्सव
- केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 9 जून, 2022 को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में सूफी उत्सव का आयोजन किया गया। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस उत्सव का उद्देश्य कश्मीर घाटी के सूफी-संत और ऋषियों के संदेशों का प्रचार-प्रसार करना है। संस्कृति विभाग, वक्फ बोर्ड, खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड, संग्रहालय एवं अभिलेखागार तथा उच्च शिक्षा विभाग के समन्वय से आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन उपराज्यपाल के सलाहकार आर.आर. भटनागर ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सूफीवाद अपने अंतरात्मा को जानने-समझने का एक माध्यम है। धार्मिक उदारता के संदर्भ में सूफी आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, जिससे शासक वर्ग के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आया। सूफी आंदोलन ने भक्ति आंदोलन की तरह मुस्लिम समाज में सुधार का कार्य किया तथा नैतिक आचरण पर बल दिया और अपने समाज में व्याप्त मद्यपान, वेश्यावृत्ति जैसी बुराइयों के प्रति जागरूक करने का कार्य किया। भारत में प्रमुख सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, निज़ामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो आदि रहे हैं।
गौरव अभियान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 जून, 2022 को गुजरात में नवसारी के जनजातीय क्षेत्र खुदवेल में गुजरात गौरव अभियान के तहत 3,050 करोड़ रुपए लागत की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास और भूमिपूजन किया। इनमें 7 परियोजनाओं का लोकार्पण, 12 परियोजनाओं की आधारशिला और 14 परियोजनाओं का भूमि पूजन शामिल है। इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से दक्षिणी गुजरात के सूरत, नवसारी, वलसाड़ और तापी ज़िलों के लोगों का जीवन सुगम बनेगा। इन परियोजनाओं से क्षेत्र की जलापूर्ति में सुधार होगा, सड़क संपर्क बढ़ेगा। जनजातीय समुदायों के बच्चों को हरसंभव अवसर प्राप्त होगा, साथ ही मातृभाषा में शिक्षा, यहांँ तक कि मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिये भी अन्य पिछड़ा वर्ग एवं जनजातीय विद्यार्थियों के लिये अवसर खुलेंगे। पहली बार गुजरात के इस जनजातीय क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर कई विकास परियोजनाएंँ एक साथ शुरू की जा रही हैं।
संपदा सृजन
- ‘आाजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग- दीपम ने देश के 75 शहरों में विशेष कार्यक्रम संपदा सृजन विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू में इस सम्मेलन का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। इस दौरान सभी शहर वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। वित्त मंत्री के अनुसार, 1994 के बाद नीतिगत निवेश की योजना शुरू की गई और अब ये कंपनियांँ बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं तथा FPO के साथ समान प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं। भारत में नीतिगत विनिवेश के माध्यम से निवेश के लिये अधिक अवसर उपलब्ध कराए गए हैं और बड़ी संख्या में लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं। दीपम से प्रधानमंत्री की परिकल्पना साकार हो रही है और देश को विकास के रास्ते पर ले जाने में मदद मिल रही है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
- प्रधानमंत्री ने 10 जून को अहमदाबाद के बोपल में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के मुख्यालय का उद्घाटन किया। इसे जून 2020 में केंद्रीय कैबिनेट से मंज़ूरी प्राप्त हुई थी। IN-SPACe एक नोडल एजेंसी होगी, जो अंतरिक्ष गतिविधियों और गैर-सरकारी निजी संस्थाओं को अंतरिक्ष से जुड़ी सुविधाओं के उपयोग की अनुमति देगी। इस निकाय के गठन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी आवश्यक गतिविधियों जैसे- अनुसंधान एवं विकास, ग्रहों के अन्वेषण और अंतरिक्ष के रणनीतिक उपयोग आदि पर ध्यान केंद्रित कर सके तथा अन्य सहायक कार्यों को निजी क्षेत्र को हस्तांतरित कर दिया जाए। इसके अतिरिक्त यह निकाय छात्रों और शोधकर्त्ताओं आदि को भारत की अंतरिक्ष परिसंपत्तियों तक अधिक पहुँच प्रदान करेगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष संसाधनों एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। ये सुधार ISRO को अनुसंधान व विकास गतिविधियों, नई प्रौद्योगिकियों, खोज मिशनों तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान देने में सक्षम बनाएंगे।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 रिपोर्ट
- हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 रिपोर्ट का दूसरा संस्करण जारी किया। यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन करके तैयार की गई है। रिपोर्ट में नागरिकों को ऑनलाइन सेवाएंँ देने में केंद्रीय मंत्रालयों की प्रभावकारिता पर विशेष बल दिया गया है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अनुसार रिपोर्ट में सरकारों को अपनी ई-गवर्नेंस सेवा वितरण प्रणाली में सुधार के लिये सुझाव भी दिये गए हैं। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन-2021 में सात क्षेत्रों से जुड़ी सेवाएंँ शामिल हैं। इनमें वित्त, श्रम और रोज़गार, शिक्षा, स्थानीय शासन तथा उपयोगिता सेवाएंँ, समाज कल्याण, पर्यावरण एवं पर्यटन क्षेत्र शामिल हैं। ई-गवर्नेंस को सरकार द्वारा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के उपयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिससे सरकारी सेवाओं, सूचनाओ का आदान-प्रदान और विभिन्न स्टैंडअलोन सिस्टम तथा सेवाओं का एकीकरण किया जा सके। ई-गवर्नेंस के माध्यम से नागरिकों और व्यवसायों को सुविधाजनक, कुशल और पारदर्शी तरीके से सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
सुरक्षा-मित्र परियोजना
- हाल ही में केरल राज्य में सुरक्षा-मित्र परियोजना शुरू की गई है। सुरक्षा-मित्र परियोजना एक वाहन निगरानी प्रणाली है जो किसी भी दुर्घटना के मामले में खतरे का संदेश भेजती है। इस परियोजना की शुरुआत मोटर वाहन विभाग द्वारा निर्भया योजना के तहत की गई है। यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना होने पर यह प्रणाली मालिकों के मोबाइल फोन पर एक खतरे का संदेश भेजेगी। वाहनों के साथ एक व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) लगाया जाएगा। यदि वाहन दुर्घटना में शामिल है या यदि चालक वाहन को अधिक गति देता है, तो मालिकों को VLTD से अलर्ट SMS प्राप्त होगा। डिवाइस की स्थापना करने के समय मालिकों द्वारा प्रदान किये गए प्रासंगिक नंबर और ईमेल आईडी पर SMS एवं ई-मेल के माध्यम से अलर्ट तुरंत भेजे जाएंगे। इस प्रकार मालिक संदेश की प्रामाणिकता को ध्यान में रखते हुए वाहन की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे।
38वीं भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त
- अंडमान एवं निकोबार कमान की भारतीय नौसेना इकाइयों और इंडोनेशियाई नौसेना के बीच 38वीं भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (इंडो-इंडोनेशिया कॉर्पेट) आज से अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य में आयोजित की जा रही है। इसका आयोजन 24 जून, 2022 तक किया जाएगा। इस अभ्यास में दोनों राष्ट्रों के समुद्री गश्ती विमान हिस्सा लेंगे। यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास, तालमेल और सहयोग को रेखांकित करती है। समुद्री संपर्कों को सुदृढ़ करने हेतु दोनों नौसेनाएँ वर्ष 2002 से वर्ष में दो बार अपनी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के साथ ‘कॉर्पेट’ अभ्यास का संचालन कर रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र को वाणिज्यिक नौवहन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैध समुद्री गतिविधियों के संचालन के लिये सुरक्षित करना है। ‘कॉर्पेट’ अभ्यास नौसेनाओं के बीच समन्वय एवं अंतःक्रियाशीलता के निर्माण में मदद करता है और मछली पकड़ने की अवैध व अनियंत्रित गतिविधियों की रोकथाम तथा दमन, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री डकैती की रोकथाम हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान, अवैध प्रवासन व समुद्र में खोज एवं बचाव कार्यों हेतु महत्त्वपूर्ण है।
स्ट्रॉबेरीमून
- स्पष्ट आसमान के कारण ब्रिटेन के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देने वाले ‘स्ट्राबेरी मून’ की आश्चर्यजनक छवियाँ प्राप्त हुई हैं। स्ट्रॉबेरी मून का नाम इस विशेष पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा के लाल, गुलाबी रंग से आया है, यह घटना जून में देखी जाती है। इसे एक विशेष अमेरिकी समय से संबंध के कारण भी इस तरह का नाम दिया गया है, जहाँ साल का यह समय आमतौर पर स्ट्रॉबेरी चुनने के मौसम की शुरुआत का का होता है। यह स्ट्रॉबेरी मून सामान्य से बड़ा और चमकीला है क्योंकि यह वर्ष का पहला सुपरमून भी है। वर्ष के दौरान हर 30 दिनों में पूर्णिमा होती है और इसलिये स्ट्रॉबेरी मून कभी भी उसी दिन नहीं दिखाई देता है। उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप में प्राचीन जनजातियों ने चंद्रमा को एक कैलेंडर के रूप में इस्तेमाल किया क्योंकि इसके बदलते चरणों का पालन करना आसान था। उन्होंने प्रत्येक वर्ष के दौरान प्रत्येक पूर्णिमा को मौसम और सभी अपेक्षित प्राकृतिक एवं मानवीय गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद करने के लिये विभिन्न नाम दिये।
डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट
- हाल ही में तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद में भारत की पहली डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट (Display Fabrication Unit) स्थापित करने हेतु बेंगलुरु बेस्ड Elest के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये है। यह डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट 24,000 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन प्रोग्राम (India Semiconductor Mission Programme) के तहत स्थापित किया जाएगा। तेलंगाना में डिस्प्ले फैब स्थापित करने से भारत अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों के साथ वैश्विक मानचित्र पर आ जाएगा। सरकार को विश्वास है कि तेलंगाना में एक डिस्प्ले फैब होने से राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी पारिस्थितिकी तंत्र और इसकी सहायक कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। जब से भारत सेमीकंडक्टर मिशन की घोषणा की गई है, तब से तेलंगाना सरकार राज्य में फैब्रिकेशन यूनिट स्थापित करने के लिये मिशन मोड पर कार्य कर रही है।
मंकीपॉक्स
- मंकीपॉक्स वायरस अब तक 29 देशों में फैल चुका है। इसके साथ ही 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए चेतावनी जारी की है। यह एक वायरल ज़ूनोटिक रोग (Zoonotic Disease- जानवरों से मनुष्यों में संचरण होने वाला रोग) है और बंदरों में चेचक के समान बीमारी के रूप में पहचाना जाता है, इसलिये इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया है। यह नाइजीरिया की स्थानिक बीमारी है। मंकीपॉक्स वायरस के स्रोत के रूप में पहचाने जाने वाले जानवरों में बंदर और वानर, विभिन्न प्रकार के कृतंक (चूहों, गिलहरियों तथा प्रैरी कुत्तों सहित) एवं खरगोश शामिल हैं। यह रोग मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है, जो पॉक्सविरिडे फैमिली (Poxviridae Family) में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस (Orthopoxvirus Genus) का सदस्य है। मंकीपॉक्स का संक्रमण पहली बार वर्ष 1958 में अनुसंधान के लिये रखे गए बंदरों के समूहों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोपों के बाद खोजा गया जिसे 'मंकीपॉक्स' नाम दिया गया। पहला मानव संचरण का मामला वर्ष 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में चेचक को खत्म करने के तीव्र प्रयास के दौरान दर्ज किया गया था। मंकीपॉक्स के लिये रोगोद्भवन अवधि (संक्रमण से लक्षणों तक का समय) आमतौर पर 7-14 दिनों की होती है लेकिन यह अवधि 5-21 दिनों तक भी हो सकती है।
एनोकोवैक्स
- हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री ने जानवरों के लिये देश में कोरोना की पहली स्वदेशी वैक्सीन एनोकोवैक्स लॉन्च की। इसे हरियाणा स्थित आइसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर आन इक्विंस द्वारा विकसित किया गया है। एनोकोवैक्स जानवरों के लिये एक निष्क्रिय सार्स-कोव-2 डेल्टा (कोरोना) वैक्सीन है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार यह वैक्सीन कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रोन वेरिएंट से बचाती है। यह श्वानों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों के लिये सुरक्षित है। इसके साथ ही कुत्ते में सार्स-कोव-2 के खिलाफ एंटीबाडी का पता लगाने के लिये कैन-कोव-2 एलिसा किट भी लॉन्च की। यह विशिष्ट न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन आधारित अप्रत्यक्ष एलिसा किट है। यह किट भारत में बनाई गई है।
भारत की जीवन प्रत्याशा
- हाल ही में नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System– SRS) द्वारा जारी आंँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-2019 के दौरान जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 69.7 तक पहुंँच गई है। आंँकड़ों से पता चलता है कि पांँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर एक कारण हो सकता है, जिसके चलते भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को बढ़ाना मुश्किल हो जाता है। हालांँकि भारत की जीवन प्रत्याशा अभी भी वैश्विक औसत 72.6 से नीचे बनी हुई है। जन्म के समय जीवन प्रत्याशा और एक वर्ष या पांँच वर्ष में जीवन प्रत्याशा के बीच का अंतर मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक है, जहाँ शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक है। भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 20 साल की वृद्धि हुई है, जो 1970-75 के 49.7 से बढ़कर 2015-2019 में 69.7 हो गई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ राज्यों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में काफी अंतर है। हिमाचल प्रदेश की शहरी महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 82.3 वर्ष सबसे अधिक थी। बिहार और झारखंड एकमात्र ऐसे राज्य हैं जहांँ शहरी व और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा महिलाओं की तुलना में अधिक है।
चीन अंतरिक्ष में स्थापित करेगा सौर उर्जा सयंत्र
- हाल ही में चीन द्वारा वर्ष 2028 में निरंतर विद्युत प्राप्त करने के लिये अंतरिक्ष में एक सौर ऊर्जा संयंत्र शुरू करने की योजना प्रस्तुत की गई है। पहले चीन की यह योजना वर्ष 2030 तक अंतरिक्ष में 1 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की थी, हालांँकि अपडेटेड प्लान के मुताबिक, चीन वर्ष 2028 में एक सैटेलाइट लॉन्च करेगा। यह उपग्रह 400 किमी. की ऊंँचाई से अंतरिक्ष से ज़मीन तक वायरलेस पावर ट्रांसमिशन तकनीक का परीक्षण करेगा। यह सौर ऊर्जा को माइक्रोवेव या लेज़र में बदल देगा। लेज़र का उपयोग करते हुए ऊर्जा पुंजों को विभिन्न लक्ष्यों की ओर निर्देशित किया जाएगा, जिसमें गतिमान उपग्रह और पृथ्वी पर निश्चित स्थान शामिल हैं। इस सौर ऊर्जा संयंत्र की क्षमता 10 किलोवाट होगी, अंतरिक्ष-आधारित सौर ऊर्जा स्टेशन की सैद्धांतिक व्यवहार्यता के लिये चीन चोंगकिंग के बिशन ज़िले में 33 एकड़ में परीक्षण सुविधा का निर्माण कर रहा है। यह सुविधा अंतरिक्ष संचरण प्रौद्योगिकियों (Space Transmission Technologies) को विकसित करने के साथ-साथ पृथ्वी पर जीवित जीवों पर माइक्रोवेव बीम के प्रभाव का अध्ययन करने में मदद करेगी।
श्तेफानिया मॉरेचिनानू
- हाल ही में गूगल ने रोमानियाई भौतिक विज्ञानी श्तेफानिया मॉरेचिनानू (Ștefania Mărăcineanu) का 140वाँ जन्मदिन डूडल के साथ मनाया। श्तेफानिया मॉरेचिनानू रेडियोधर्मिता की खोज और अनुसंधान में अग्रणी महिलाओं में से एक थीं। श्तेफानिया मॉरेचिनानू (Ștefania Mărăcineanu) का जन्म 18 जून, 1882 को रोमानिया में हुआ था। उन्होंने 1910 में भौतिक और रासायनिक विज्ञान की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, बाद में उन्होंने बुखारेस्ट में सेंट्रल स्कूल फॉर गर्ल्स में एक शिक्षक के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया। वहाँ रहते हुए मॉरेचिनानू ने रोमानियाई विज्ञान मंत्रालय से छात्रवृत्ति अर्जित की। उन्होंने पेरिस में रेडियम संस्थान में स्नातक शोध करने का फैसला किया। भौतिक विज्ञानी मैरी क्यूरी के निर्देशन में रेडियम संस्थान तेज़ी से रेडियोधर्मिता के अध्ययन के लिये एक विश्वव्यापी केंद्र बन गया। मॉरेचिनानूु ने पोलोनियम पर अपनी पीएचडी थीसिस पर काम करना शुरू किया, एक ऐसा तत्त्व जिसे क्यूरी ने खोजा था। मॉरेचिनानू ने भौतिकी में अपनी पीएचडी पूरी करने के लिये पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। मेडॉन में खगोलीय वेधशाला में चार साल तक काम करने के बाद वह रोमानिया लौट आई और रेडियोधर्मिता के अध्ययन के लिये अपनी मातृभूमि की पहली प्रयोगशाला की स्थापना की। मॉरेचिनानू ने अपना समय कृत्रिम बारिश पर शोध करने के लिये समर्पित किया, जिसमें उसके परिणामों का परीक्षण करने के लिये अल्जीरिया की यात्रा भी शामिल थी। उन्होंने भूकंप और वर्षा के बीच की कड़ी का भी अध्ययन किया, यह रिपोर्ट करने वाली पहली महिला बनीं कि भूकंप के कारण उपरिकेंद्र में रेडियोधर्मिता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उनका निधन 15 अगस्त, 1944 को हुआ था।
बालिका पंचायत पहल
- भारत की पहली बालिका पंचायत, जिसे “बालिका पंचायत” कहा जाता है, गुजरात के कच्छ ज़िले के कई गाँवों में शुरू की गई है। बालिका पंचायत पहल लड़कियों के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजनीति में लड़कियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। वर्तमान में यह पहल गुजरात के कच्छ ज़िले के कुनारिया, मोटागुआ, मस्का और वडसर गाँवों में शुरू की गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे भारत में बालिका पंचायत शुरू करने की योजना बना रहा है। 20 वर्षीय उर्मी अहीर को बालिका पंचायत का सरपंच बनाया गया है। बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है। बालिका पंचायत का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना है। यह समाज से बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने का भी प्रयास करती है। इसका उद्देश्य पंचायत में निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों का नामांकन कराना है। यह पहल बचपन से ही लड़कियों को राजनीति में सक्रिय बनाने का प्रयास करती है।
''महिला शांति और
सुरक्षा सेमीनार''
- भारतीय महिला सैनिकों ने मंगोलिया के उलनबटोर में चार दिवसीय ''महिला शांति और सुरक्षा सेमीनार'' में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत 16 जून, 2022 को हुई थी और इसे मंगोलिया के राष्ट्रपति उखना खुरेलसुख के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है। उखना खुरेलसुख ने उद्घाटन भाषण में कहा कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगा। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने 17 जून, 2022 को भारतीय समुदाय से बातचीत की। वे भारत से भगवान बुद्ध से संबंधित चार पवित्र अवशेषों को लेकर 13 जून, 2022 को उलनबटोर पहुंँचे थे। इन अवशेषों को 11 दिन के लिये आयोजित प्रदर्शनी में रखा गया है।
किंग हमद बिन ईसा अल-खलीफा पुरस्कार
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान पीएम ई-विद्या नामक पहल को आईसीटी का उपयोग करने के लिये यूनेस्को की मान्यता प्रदान की गई है। 17 मई, 2020 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में पीएम ई-विद्या की शुरुआत की गई थी, जो डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करता है ताकि बच्चों को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शिक्षा प्रदान करने और सीखने के नुकसान को कम करने के लिये मल्टी-मोड एक्सेस को सक्षम किया जा सके। केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET), स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DOSEL), शिक्षा मंत्रालय (MOE), भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की एक घटक इकाई को यूनेस्को के वर्ष 2021 के लिये शिक्षा में आईसीटी के उपयोग के लिये ‘किंग हमद बिन ईसा अल-खलीफा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार "सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा और शिक्षा पर इसके लक्ष्य-4 के अनुरूप, सभी के लिये शैक्षिक और आजीवन सीखने के अवसरों का विस्तार करने के लिये नई तकनीकों का लाभ उठाने में नवीन दृष्टिकोणों को मान्यता प्रदान करता है”। बहरीन साम्राज्य के समर्थन से वर्ष 2005 में स्थापित यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को पुरस्कृत करता है जो उत्कृष्ट परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं और डिजिटल युग में सीखने, शिक्षण और समग्र शैक्षिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकियों के रचनात्मक उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल प्रति वर्ष दो सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं का चयन करती है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस में एक समारोह के दौरान 25,000 अमेरिकी डॉलर, एक पदक और एक डिप्लोमा प्रदान किया जाता है, यह समारोह इस वर्ष 24 जून, 2022 को आयोजित किया जाएगा।।
एन्नम एझुथुम योजना
- हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्य में “एन्नम एझुथम योजना” को लॉन्च किया गया है। यह योजना COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप 8 वर्ष से कम आयु के छात्रों के बीच अधिगम के अंतर को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक मूलभूत संख्यात्मकता (foundational numeracy) और साक्षरता (literacy) सुनिश्चित करना है। एन्नम एझुथम योजना के तहत, शिक्षा विभाग सीखने के बीच के अंतर का आकलन करने और उसे समाप्त के लिये कक्षा 1 से 3 तक के छात्रों को कार्यपुस्तिका वितरित करेगा। इस परियोजना को लॉन्च से पहले शिक्षकों के लिये एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर उनके मध्य हैंडबुक वितरित की गई थी। उन्हें सलाह दी गई थी कि वे इंटरएक्टिव लर्निंग मेथड का चुनाव करे और छात्रों को स्कूल लाइब्रेरी में किताबें एवं अखबार पढ़ने के लिये प्रोत्साहित करें। इस पहल के तहत बच्चों को तीन विषयों तमिल, अंग्रेजी और गणित में प्रशिक्षित किया जाएगा।
‘जूनटींथ’ फेस्टिवल
- 19 जून को अमेरिका में ‘जूनटींथ’ फेस्टिवल मनाया गया, यह अमेरिकी नागरिक युद्ध (1861-65) के बाद दासता के अंत की याद में संघीय सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय अवकाश है। ‘जूनटींथ’ अमेरिका में दासता के अंत के अंत को चिह्नित करने संबंधी सबसे पुराना राष्ट्रीय स्मरणोत्सव है, जिसे प्रतिवर्ष 19 जून को आयोजित किया जाता है। वर्तमान में इसे 47 अमेरिकी राज्यों द्वारा अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे मुक्ति दिवस या जूनटींथ स्वतंत्रता दिवस के रूप में भी जाना जाता है। ज्ञात हो कि 1 जनवरी, 1863 को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने मुक्ति उद्घोषणा जारी की थी, जिसमें घोषणा की गई कि विद्रोह के दौरान राज्यों के भीतर ‘गुलाम के रूप में रखे गए सभी व्यक्ति अब स्वतंत्र होंगे। हालाँकि इस घोषणा के बाद भी कई लोगों ने दासों को रखना जारी रखा। इसके पश्चात् 19 जून, 1865 को मेजर जनरल गॉर्डन ग्रेंजर गैल्वेस्टन ने गृहयुद्ध और दासता दोनों के अंत की घोषणा कर दी। तब से यह अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिये स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रतीकात्मक तिथि बन गई है।
कोंकण रेलवे नेटवर्क
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय रेलवे के कोंकण रेलवे मार्ग के 100% विद्युतीकरण को समर्पित करेंगे तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा रत्नागिरी, मडगांँव और उडुपी से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर चलने वाली ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंँगे। कोंकण रेलवे का संचालन कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) द्वारा किया जाता है।इसका मुख्यालय नवी मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। 23 मार्च, 1993 को उडुपी और मैंगलोर के बीच कोंकण रेलवे ट्रैक पर पहली यात्री ट्रेन का संचालन किया गया था। संचालन के प्रारंभिक वर्षों के दौरान, पहाड़ी कोंकण क्षेत्र में कई दुर्घटनाएँ हुईं जिस कारण कोंकण रेलवे को टक्कर रोधी उपकरणों, रोल-ऑन/रोल-ऑफ और स्काई बस जैसी नई तकनीक को लागू करने हेतु प्रेरित किया गया। KRCL एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसका मुख्यालय नवी मुंबई में है। यह कोंकण रेलवे का संचालन करता है। यह रेलवे से संबंधित अन्य परियोजनाओं को भी चलाता है।
द्रोपदी मुर्मूू
- हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिये नामित किया है। अगर वे चुनाव जीतती हैं तो वे भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में हुआ था। वे आदिवासी समाज से संबंधित हैं। उन्हें वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगरपंचायत का कौंसिलर चुना गया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) और 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिये नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। वह किसी भारतीय राज्य में राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली महिला आदिवासी नेता थीं। वे वर्ष 2015 से 2019 तक झारखण्ड की राज्यपाल रहीं। वह भारत के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिये भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार हैं।
खुव्सगुल झील राष्ट्रीय उद्यान
- हाल ही में मंगोलिया के खुव्सगुल झील राष्ट्रीय उद्यान (Khuvsgul Lake National Park) को यूनेस्को द्वारा बायोस्फीयर रिज़र्व के विश्व नेटवर्क (World Network of Biosphere Reserves) में शामिल किया गया है। यह निर्णय इंटरनेशनल को-ओर्डिनिंग काउंसिल ऑफ मेन एंड बायोस्फियर प्रोग्राम (International Co-Ordinating Council Of Man And Biosphere Programme) के 34वें सत्र के दौरान लिया गया। यह कार्यक्रम फ्रांँस के पेरिस में हो रहा है। खुव्सगुल झील उत्तरी मंगोलियाई प्रांत खुव्सगुल में रूस की सीमा के पास स्थित है। यह मंगोलिया के मीठे पानी का 70% स्रोत है तथा समुद्र तल से लगभग 1645 मीटर की ऊंँचाई पर स्थित है जो 135 किमी लंबी और 262 मीटर गहरी झील है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह मंगोलिया की दूसरी सबसे बड़ी झील है तथा रूस में स्थित बैकाल झील से लगभग 200 किमी. पश्चिम में स्थित है।
जल प्रबंधन हेतु हरियाणा और इज़रायल के मध्य हस्ताक्षर
- हाल ही में इज़रायल और हरियाणा सरकार ने क्षमता निर्माण और एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन हेतु एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किये है। यह संयुक्त घोषणा हरियाणा और इज़रायल के मध्य महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इस समझौते के तहत इज़रायल अपनी सबसे उन्नत और अत्याधुनिक जल प्रौद्योगिकियों, विशेषज्ञता और जानकारी को हरियाणा सरकार के साथ साझा करेगा। इस संयुक्त घोषणा के माध्यम से इज़रायल और हरियाणा सरकार जल प्रबंधन क्षेत्र में मौजूदा संबंधों को मज़बूत करने, क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और हरियाणा में सार्वजनिक जल क्षेत्रों में जल संसाधनों को संरक्षित करने का प्रयास करेगी। जल सुरक्षा हमेशा से द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ रहा है।
भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटक ट्रेन
- हाल ही में पहली भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटन ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया है। इस ट्रेन में 500 भारतीय पर्यटक सवार हैं। यह पर्यटक ट्रेन पहली बार भारत और नेपाल को जोड़ेगी। भारत और नेपाल के बीच भारत गौरव पर्यटक ट्रेन देश भर के लोगों को देश के स्थापत्य, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का दर्शन कराने का अवसर प्रदान करेगी। इस ट्रेन की पहली यात्रा (रामायण सर्किट) में अयोध्या, नंदीग्राम, वाराणसी, सीतामढ़ी, चित्रकूट, प्रयागराज, हम्पी, पंचवटी (नासिक), रामेश्वरम् और भद्राचलम् जैसे अन्य लोकप्रिय स्थलों के अलावा जनकपुर (नेपाल में) के धार्मिक गंतव्य को भी कवर किया जायेगा। भारत गौरव ट्रेनें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को अपने लोगों को दिखाने का एक प्रयास है। इस अनोखे विचार की परिकल्पना रेल मंत्रालय ने की थी। यह अवधारणा देश भर में बड़े पैमाने पर पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी। यह लोगों को भारतीय संस्कृति का पता लगाने का अवसर भी प्रदान करेगा। यह ट्रेन 18 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद वापस दिल्ली लौटेगी। यह पूरे रामायण दौरे में करीब 8000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी द्वारा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (Centre for Brain Research – CBR) का उद्घाटन किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला भी रखी जो 832 बेड वाला अस्पताल है। CBR अपनी तरह की एक शोध सुविधा है, जो उम्र से संबंधित मस्तिष्क विकारों के प्रबंधन हेतु साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप प्रदान करने के लिये महत्त्वपूर्ण शोध कार्य करने पर केंद्रित है। सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च को एक गैर-लाभकारी, स्वायत्त अनुसंधान संगठन के रूप में स्थापित किया गया था। यह गोपालकृष्णन और उनकी पत्नी सुधा गोपालकृष्णन की ओर से एक उदार उपहार था जो उनके द्वारा दी गई दान राशि द्वारा वित्त पोषित है और कई अनुदान एजेंसियों से विशिष्ट परियोजनाओं को संचालित करने हेतु अनुसंधान अनुदान प्राप्त करता है। गोपालकृष्णन ने अत्याधुनिक भवन के निर्माण के लिये धन उपलब्ध कराया है। बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को IISc बेंगलुरु परिसर में विकसित किया जाएगा। यह अस्पताल प्रतिष्ठित संस्थान में विज्ञान, चिकित्सा और इंजीनियरिंग को एकीकृत करने में मदद करेगा।
वाणिज्य भवन और निर्यात पोर्टल
- 23 जून, 2022 को प्रधानमंत्री ने नए “वाणिज्य भवन” का उद्घाटन किया। वाणिज्य भवन उद्योग और निर्यातकों को अपने लिये दीर्घकालिक निर्यात लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकार को सुझाव देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह भारत के विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र में परिवर्तित होने में निर्यात द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। प्रधानमंत्री ने निर्यात पोर्टल (NIRYAT – National Import-Export Record for Yearly Analysis of Trade) का भी शुभारंभ किया। इस पोर्टल को हितधारकों के लिये वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया है, जहाँ उन्हें भारत के विदेशी व्यापार से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त होगी। यह सभी हितधारकों को रीयल टाइम डेटा प्रदान करेगा.
BRO कैफे
- रक्षा मंत्रालय ने सीमा सड़क संगठन (Border Road Organisation- BRO) के साथ सीमा सड़कों के विभिन्न मार्गों पर जल्द ही बीआरओ कैफे खोलने की अनुमति दी है। अरुणाचल प्रदेश में 19, हिमाचल प्रदेश में 7, असम में 2, लद्दाख में 14, जम्मू-कश्मीर में 12, उत्तराखंड में 11 और राजस्थान में 5 बीआरओ कैफे स्थापित किये जाएंगे। इसके अलावा सिक्किम, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, पंजाब और मणिपुर में सड़क के किनारे विभिन्न सुविधाएँ स्थापित की जाएंगी। इन कैफे का उद्देश्य पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएँ और आराम प्रदान करना है। वे सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार पैदा करेंगे। बीआरओ कैफे के तहत सुविधाओं में दो और चार पहिया वाहनों के लिये पार्किंग, पुरुषों, महिलाओं और विकलांगों के लिये टॉयलेट, फूड प्लाज़ा/रेस्तराँ, प्राथमिक चिकित्सा कक्ष आदि शामिल हैं। लाइसेंसधारियों का चयन प्रतिस्पर्द्धी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।
भारत-NCAP
- 24 जून, 2022 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भारत के लिये सुरक्षित कारों को लाने हेतु भारत NCAP (New Car Assessment Program) शुरू करने हेतु GSR अधिसूचना के मसौदे को मंज़ूरी दी। न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) एक तंत्र प्रदान करता है, जिसमें भारत में ऑटोमोबाइल को क्रैश टेस्ट में प्रदर्शन के आधार पर ‘स्टार रेटिंग’ दी जाएगी। यह प्रोग्राम एक उपभोक्ता-केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा और ग्राहकों को स्टार-रेटिंग के आधार पर सुरक्षित कारों का उपयोग करने की अनुमति देगा। यह सुरक्षित वाहनों के निर्माण के लिये देश भर में मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के अनुसार, भारत में कारों की स्टार रेटिंग, क्रैश परीक्षणों के आधार पर कारों में संरचनात्मक तथा यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह भारतीय ऑटोमोबाइल की निर्यात क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेगा। यह कार्यक्रम भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही भारत को दुनिया भर में शीर्ष ऑटोमोबाइल हब बना देगा।
वैश्विक बुनियादी ढांँचा कार्यक्रमों की घोषणा
- हाल ही में G7 समूह द्वारा निर्धन देशों के लिये 600 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के वैश्विक बुनियादी ढांँचा कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। इस कदम का उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के साथ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना है। वर्ष 2022 से वर्ष 2027 तक अमेरिकी सरकार एवं उसके सहयोगी देश 600 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के आंँकड़े को छूने का प्रयास करेंगे। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) को औपचारिक रूप से वन बेल्ट वन रोड पहल के रूप में जाना जाता है। यह एक वैश्विक बुनियादी ढांँचा विकास रणनीति है, जिसे चीन द्वारा वर्ष 2013 में शुरू किया गया था। इसके तहत चीन ने लगभग 70 देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश करने की योजना बनाई। यह परियोजना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विदेश नीति का केंद्रबिंदु है। मार्च 2022 तक 146 देशों द्वारा BRI पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक बाय बैक योजना
- केंद्र सरकार 1 जुलाई, 2022 से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिये पूरी तरह तैयार है। केंद्र के फैसले के अनुरूप हिमाचल प्रदेश ने “सिंगल-यूज़ प्लास्टिक बाय बैक योजना” शुरू की है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक बाय बैक स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक आइटम खरीदेगी। यह कदम युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा करेगा। इसके तहत छात्रों को घर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का सामान लाकर स्कूलों में जमा करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिये सरकार छात्रों को 75 रुपए प्रति किलो का भुगतान करेगी।युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की आदत डालने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई थी। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। इन नियमों को विशिष्ट एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करने के लिये अधिसूचित किया गया था। सिंगल यूज़ प्लास्टिक को डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक के रूप में भी जाना जाता है। उनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है। प्लास्टिक इतना सुविधाजनक और सस्ता है कि इसने पैकेजिंग उद्योग की अन्य सामग्रियों की जगह ले ली है। हालाँकि इसे विघटित होने में सैकड़ों साल लगते हैं। भारत में हर साल 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से 43 फीसदी सिंगल यूज़ प्लास्टिक है।
इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली
- हाल ही में रूस द्वारा बेलारूस को “इस्कंदर-एम मिसाइल सिस्टम” (Iskander-M Missile System) स्थानांतरित करने की घोषणा की गई है। इस मिसाइल प्रणाली के परमाणु और पारंपरिक संस्करणों में बैलिस्टिक या क्रूज़ मिसाइलों का उपयोग किया जा सकता है। इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली को नाटो द्वारा “SS -26 स्टोन” के रूप में कोड नेम (Code name) दिया गया है। रूस इस्कंदर-एम शब्द का प्रयोग ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर लॉन्च सिस्टम के साथ-साथ उसके द्वारा दागी गई कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) को परिभाषित करने हेतु करता है। इस प्रणाली का उपयोग ज़मीन से प्रक्षेपित क्रूज़ मिसाइलों (GLCMs) जैसे SSC-7 और SSC-8 को फायर करने के लिये किया जा सकता है। इस प्रणाली को विशेष रूप से रूसी सेना द्वारा उपयोग किया जाता है। वर्ष 1996 इसे पहली बारें सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
जुलजाना
- हाल ही में ईरान द्वारा “जुलजाना” नामक एक ठोस ईंधन वाला रॉकेट लॉन्च किया गया है। जुलजाना 25.5 मीटर लंबा ईरानी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। यह 220 किलोग्राम के पेलोड या उपग्रह को पृथ्वी से 500 किलोमीटर ऊपर स्थित कक्षा में ले जाने में सक्षम है। यह सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में डेटा एकत्र करने के साथ-साथ ईरान के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देगा। यह पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और स्वदेशी रूप से निर्मित हाइब्रिड ईंधन उपग्रह प्रक्षेपण यान है। यह सफीर और सिमोर्ग के बाद ईरान में विकसित तीसरा नागरिक उपग्रह प्रक्षेपण यान है। जुलजाना रॉकेट का 1 फरवरी, 2021 को अनावरण किया गया था। इसे 1 फरवरी, 2021 को ही पहले टेलीमेट्री और परीक्षण उद्देश्यों हेतु उप-कक्षीय उड़ान में लॉन्च किया गया था। इस रॉकेट का नाम इमाम हुसैन (पैगंबर मुहम्मद के पोते) के घोड़े के नाम पर रखा गया है।
राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यूके के उनके समकक्ष लिज़ ट्रस ने संयुक्त “भारत-यूके राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम” शुरू करने की योजना की घोषणा की है। इस योजना की घोषणा रवांडा में उनकी बैठक के बाद की गई थी। भारत-यूके राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम दोनों देशों के युवा और महत्त्वाकांक्षी राजनयिकों को प्रशिक्षित करने के लिये शुरू किया जाएगा। नए राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम की घोषणा इसलिये की गई क्योंकि भू-राजनीतिक दुनिया में देशों को लोकतंत्र और संप्रभुता के राष्ट्रमंडल मूल्यों को तेज़ी से सशक्त बनाने की ज़रूरत है। नया राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम युवा राजनयिकों को विशेषज्ञता और प्रशिक्षण से लैस करेगा जिसकी उन्हें वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये आवश्यकता है। हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किगाली में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (Commonwealth Heads of Government Meeting– CHOGM) में हिस्सा लिया। इस बैठक के दौरान उन्होंने “मज़बूत और पुनर्जीवित राष्ट्रमंडल परिवार” के महत्त्व को उजागर करने तथा सभी सदस्यों को लाभ पहुँचाने के लिये एक संयुक्त बयान जारी किया। उन्होंने नई दिल्ली में भारत-यूके राष्ट्रमंडल राजनयिक अकादमी कार्यक्रम की मेज़बानी करने की घोषणा की।
‘वन हेल्थ’ पायलट प्रोजेक्ट
- हाल ही में डेयरी और पशुपालन मंत्रालय द्वारा बंगलूरू में ‘वन हेल्थ’ पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया। “वन हेल्थ पायलट प्रोजेक्ट” को भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कार्यान्वयन भागीदारों के रूप में पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा शुरू किया गया। वन हेल्थ पायलट प्रोजेक्ट भविष्य में कोविड-19 महामारी जैसी जूनोटिक बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिये समाधान प्रस्तुत करने हेतु मानव, पशु तथा पर्यावरण स्वास्थ्य के हितधारकों को एक मंच पर लाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता से केंद्र को राष्ट्रीय ‘वन हेल्थ’ रोडमैप विकसित करने में मदद मिलेगी। रोडमैप बेहतर प्रतिक्रिया तंत्र और प्रबंधन से लैस होगा जिसमें दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को भी शामिल किया जाएगा। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन एक अमेरिकी निजी फाउंडेशन है, जिसे वर्ष 2000 में बिल गेट्स और मेलिंडा फ्रेंच गेट्स द्वारा लॉन्च किया गया था। यह सिएटल, वाशिंगटन में स्थित है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्श संबंधी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार व नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का काम करता है।
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