महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थायें |Educational Institutions Founded by Mahamana Madan Mohan Malviya

महामना मदन मोहन मालवीय  द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थायें

महामना मदन मोहन मालवीय  द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थायें |Educational Institutions Founded by Mahamana Madan Mohan Malviya


महामना मदन मोहन मालवीय  द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थायें

महामना मदन मोहन मालवीय शिक्षा को राष्ट्र की उन्नति का अमोघ अस्त्र मानते थे । अतः उन्होंने शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना अपने जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य बनाया। इसके लिए वे किसी से भी दान लेने में संकोच नही करते थेपर दान के धन को शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और विकास पर ही लगाते थेव्यक्तिगत कार्यों हेतु नहीं। उन्होंने निम्नलिखित प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं का निर्माण कराया

 

1 हिन्दू बोर्डिंग हाउस

 

महामना उचित शिक्षा हेतु छात्रावास के महत्व को समझते थे । अतः उन्होंने 1901 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के म्योर सेन्ट्रल कॉलेज के लिए 230 कमरों का एक विशाल छात्रावास का निर्माण कराया। यह छात्रावास 1903 में बनकर तैयार हुआ। इसके निर्माण में ढाई लाख से अधिक रूपये खर्च हुए थेजिसमें एक लाख रूपये की राशि उन्हें प्रान्तीय सरकार से मिली थीशेष राशि उन्होंने चन्दा से इकट्ठा किया। प्रारम्भ में इस छात्रावास का नाम "मैकडोनल हिन्दू बोर्डिंग हाउसरखा गया पर महामना के देहावसान के उपरांत इसका नाम बदलकर मालवीय हिन्दू बोर्डिंग हाउस कर दिया गया।

 

2 गौरी पाठशाला 

महामना सारे समाज की उन्नति के लिए नारी शिक्षा को आवश्यक मानते थे। वे देश सेवा के लिए नारी को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानते थे जितना पुरुष को। वे तेजस्वी और सुशील मातांए चाहते थे। 

महामना छात्राओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और चरित्र गठन पर पढ़ाई से कम जोर नहीं देते थे। वे कहते थे "वही (चरित्र) तो स्त्री-शिक्षा का पावन स्रोत है। स्रोत कलुषित होने से शिक्षा विकृत होकर हानि पहुँचाती है।" सन् 1904 में मालवीय जी ने राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और बालकृष्ण भट्ट के सहयोग से गौरी पाठशाला की स्थापना की। यह आजकल उच्चतर माध्यमिक महाविद्यालय हो गया है। इसमें एक हजार से भी अधिक लड़कियाँ पढ़ती हैं।

 

3 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की जानकारी 

 

  • अपने सपनों एवं उद्देश्यों को साकार रूप देने के लिए तथा शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए महामना ने काशी में हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। 1 अक्टूबर, 1915 को बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी एक्ट पास हुआ और 4 फरवरी, 1916 को भारत के वायसराय लार्ड हार्डिंग ने इसका शिलान्यास किया । 

  • यह विश्वविद्यालय अपने में कई महत्वपूर्ण विशेषतायें समाहित किये ये है । अंग्रेजी साहित्य तथा आधुनिक मानविकी और विज्ञान के साथ-साथ हिन्दू धर्म एवं विज्ञानभारतीय इतिहास एवं संस्कृति एवं विभिन्न प्राच्य विधाओं का अध्ययन इस विश्वविद्यालय की विशेषता है। 

  • कला संकाय में विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम में आधुनिक पाश्चात्य विद्वानों के साथ ही साथ प्राचीन भारतीय विद्वानों के विचारों और सिद्धान्तों का ज्ञान भी शामिल था। दर्शनशास्त्र के विद्यार्थियों को कांट और हीगल के साथ अनिवार्यतः कपिल और शंकर के सिद्धान्तों का भी अध्ययन करना होता था । राजनीति के विद्यार्थियों को भारतीय राजनीतिक विचारों और संस्थाओं का अध्ययन करना होता था । 

  • महामना स्वतंत्र विचारों के निर्भीक व्यक्ति थे। उनके योग्य संरक्षण में विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग में स्वतंत्रता प्राप्ति के डेढ़ दशक पूर्व ही भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहासआधुनिक भारतीय सामाजिक और राजनीतिक विचार तथा समाजवादी सिद्धान्तों का इतिहास आदि विषयों का अध्यापन स्वतंत्रता के वातावरण में पूरी निष्ठा के साथ किया जाता था । दूसरे विश्वविद्यालयों के लिए यह अकल्पनीय बात थी ।

 

  • महामना आर्थिक विकास में आधुनिक विज्ञान और तकनीक की भूमिका से भली भाँति परिचित थे। धन की कमी होने के बावजूद महामना ने विश्वविद्यालय में धातु विज्ञानखनन विज्ञानभू विज्ञानविद्युत इंजीनियरिंगयांत्रिक इंजीनियरिंगरसायन विज्ञानशिल्पऔषधि निर्माणचिकित्सा की शिक्षा आदि की समुचित व्यवस्था करायी । 

  • विश्वविद्यालय का निरन्तर विकास हो रहा है। इसके तीन संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीइंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज काफी प्रसिद्ध है। विश्वविद्यालय में वर्त्तमान में चौदह संकाय और सौ से भी अधिक विभाग है। मुख्य परिसर से लगभग साठ किलोमीटर दूर मिर्जापुर के समीप एक नवीन परिसरराजीव गाँधी परिसरने काम करना प्रारम्भ कर दिया है । भय यह है कि विकास की इस रफ्तार में कहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय महामना के उद्देश्यों को विस्मृत न कर बैठे।

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