ऐतिहासिक व्यक्तित्व : हंसा जीवराज मेहता का जीवन परिचय | Hansa Jeevraaj Mehta Short Biography in Hindi
हंसा जीवराज मेहता का जीवन परिचय (Hansa Jeevraaj Mehta Short Biography in Hindi)
हंसा जीवराज मेहता का जीवन परिचय
हंसा जीवराज मेहता भारत की एक सुधारवादी, नारीवादी, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और
लेखिका थीं. संविधान सभा में लैंगिक समानता की बात पुरजोर तरीके से उठाने का काम
हंसा मेहता ने किया था.
हंसा जीवराज मेहता प्रमुख तथ्य
- इनका जन्म 3 जुलाई, 1897 को बॉम्बे राज्य (मौजूदा गुजरात) में हुआ था. इनके पिता का नाम मनुभाई मेहता था, जो तत्कालीन बड़ौदा राज्य के दीवान थे. हंसा ने 1918 में दर्शनशास्त्र में स्नातक किया, जिसके बाद उन्होंने इंगलैंड में पत्रकारिता और समाजशास्त्र का अध्ययन किया. उनकी शादी प्रख्यात चिकित्सक और प्रशासक जीवराज नारायण मेहता से हुई थी.
- वर्ष 1918 में वे सरोजिनी नायडू से और 1922 में महात्मा गांधी से मिली और इन लोगों से प्रभावित होकर वे स्वतन्त्रता सेनानी बन गई। मई, 1930 को हंसा ने गांधीजी के कहने पर 'देश सेविका संघ की अगुवाई में सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया.
- धीरे-धीरे हंसा के कंधों पर जिम्मेदारियाँ बढ़ीं और वो बॉम्बे कांग्रेस समिति की प्रमुख बन गईं. इस सत्याग्रह आन्दोलन को चलाने के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 3 महीने के लिए जेल भेज दिया. बाद में वह बॉम्बे विधान परिषद् से प्रतिनिधि चुनी गईं.
- संविधान सभा के गठन के दौरान उनका नाम भी उन 15 महिलाओं में शामिल था जो इस सभा की हिस्सा थीं. हंसा सलाहकार समिति और मौलिक अधिकारों पर उप समिति की सदस्य थीं. उन्होंने भारत में महिलाओं के लिए समानता और न्याय की वकालत की. वे समान नागरिक संहिता की भी समर्थक थीं.
- वर्ष 1946 में हंसा ने संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं की स्थिति पर एकल उप समिति में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 1947-48 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के Universal Declaration of Human Rights आर्टिकल में बदलाव करवाया. इस आर्टिकल में लिखा था कि 'All men are equal and born free'. हंसा ने इसमें सशोधन करवाते हुए इसे 'All humans are equal and born free' करवाया था.
- बाद में 1950 में हंसा संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की उपाध्यक्ष बनीं. वे यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड की सदस्य भी थीं.
- हंसा मेहता ही वो पहली शख्सियत हैं, जिन्होंने आजाद भारत की महिलाओं की तरफ से देश के पहले राष्ट्रपति, राजेंद्र प्रसाद को तिरंगा झंडा प्रस्तुत किया था. वही तिरंगा झंडा रात के 12 बजे फहराया गया.
- हंसा को 1949 में नए बने बड़ौदा विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर बनाया गया. इस तरह वे भारत के किसी विश्व विद्यालय की पहली महिला कुलपति बनीं..स्वंत्रता सेनानी और शिक्षा के साथ-साथ हंसा एक बेहतरीन लेखिका भी थीं. उन्होंने अपने जीवनकाल में करीब 15 किताबें लिखी.
- देश के लिए अतुल्य योगदान देने के लिए उन्हें 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
- इसके बाद वर्ष 1964 में वे भारत की हाई कमिशनर बनकर लंदन गईं.
- अंत में देश के लिए अपना फर्ज निभाते हुए 4 अप्रैल, 1995 को संविधान निर्माण की इस नायिका ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
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