पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारक |Ideologues of western educational sects
पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारक (Ideologues of western educational sects)
पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारक
- शिक्षा परिवर्तन का महत्वपूर्ण साधन है। साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों का प्रभाव शिक्षा-व्यवस्था पर भी पड़ता है जिससे उसमें व्यापक परिवर्तन होते हैं। शिक्षा में परिवर्तन शैक्षिक विचारों से प्रारम्भ होती है और अन्ततः यह सम्पूर्ण शैक्षिक क्रियाकलापों को प्रभावित करती है। इन परिवर्तनों को हमलोग पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारों के संदर्भ में स्पष्टतः देख सकते हैं।
- पाश्चात्य शैक्षिक विचार जगत में चार शैक्षिक सम्प्रदाय अत्यधिक महत्वपूर्ण रहें है। वे हैं- प्रकृतिवाद, आदर्शवाद, प्रयोजनवाद और यथार्थवाद । वर्तमान खण्ड में हम लोग इन चार सम्प्रदायों के प्रतिनिधि विचारकों क्रमशः रूसो, प्लेटो, जॉन डीवी एवं कमेनियस के शिक्षा सम्बन्धी विचारों का विस्तृत अध्ययन करेंगे ।
- रूसो ने प्रकृति की ओर लौटने की उद्घोषणा करते हुए बच्चे की प्रकृत गुणों को सुरक्षित रखने हेतु शिक्षा की योजना बनाई । निषेधात्मक शिक्षा का संप्रत्यय अत्यन्त ही विचारोत्तेजक है। आदर्शवादी विचारक प्लेटो को विश्व का प्रथम शिक्षाशास्त्री माना जाता है। उन्होंने शिक्षा का उद्देश्य शाश्वत मूल्यों की प्राप्ति को माना । जॉन डीवी ने उसी को सत्य माना जो उपयोगी है। इन्होंने शिक्षा को सामाजिक संदर्भों एवं बच्चों के जीवन से जोड़ दिया आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के विकास में यथार्थवादी विचारक कमेनियस का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इन्होंने बच्चे के विकास के स्तर को शिक्षा से जोड़कर इसे मनोवैज्ञानिक आधार प्रदान किया तथा सभी की शिक्षा की बात कह कर शिक्षा को प्रजातांत्रिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारक
पाश्चात्य शैक्षिक सम्प्रदायों के विचारक |
---|
Post a Comment