मध्यप्रदेश की कमार जनजाति की जानकारी (MP Kamar Tribes Details in Hindi)
कमार जनजाति की जनसंख्या
कुल जनसंख्या 666 मात्र आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल
जनसंख्या का 0.001 प्रतिशत हैं।
कमार जनजाति निवास क्षेत्र
मध्यप्रदेश में कमार
जनजाति की जनसंख्या जिला शिवपुरी, ग्वालियर, गुना, टीकमगढ़, छतरपुर,सागर,सतना, उमरिया, शहडोल, सीधी, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, शाजापुर, देवास,इन्दौर, पश्चिम निमाड़,पूर्वी निमाड, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन,होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, छिंदवाड़ा में पायी जाती
है।
कमार जनजाति गोत्र
इस जनजाति में जगत, नेताम, मरकाम, सीदी, मुराई, चेदिहा और कुंजाम आदि
गोत्र प्रचलित हैं।
कमार जनजाति रहन-सहन
कमार जनजाति के लोगों के
घर घासफूस, लकड़ी, मिट्टी के बने होते हैं।
घर में प्रवेश हेतु एक द्वार होता है। जिसमें लकड़ी या बांस का किवाड़ लगा रहता है।
घर का छप्पर घासफूस खपरैल का होता हैं। दीवारों पर सफेद मिट्टी की पुताई करते हैं।
फर्श मिट्टी का होता हैं। इसे गोबर से लीपा जाता है। घरेलू सामग्री में सामान्यतः
चक्की, अनाज रखने की
कोठी, बांस की टोकरी, सूपा, चटाई, मिट्टी के बर्तन, मूसल, बांस, बर्तन बनाने के औजार, कपड़े, खेती के औजार, तीर, धनुष, मछली पकड़ने के जाल
प्रत्येक घरों में होता है।
कमार जनजाति खान-पान
इस जनजाति का मुख्य भोजन
चावल, कोदो का पेज, भात, बासी, मूंग, उड़द, तुवर की दाल तथा मौसमी
सागभाजी मांसाहार में मुर्गा तथा मछली खाते हैं।
कमार जनजाति वस्त्र-आभूषण
नकली चांदी गिलर आदि के
गहने पहनती हैं। वस्त्र विन्यास में पुरूष पंछा (छोटी धोती) बण्डी, सलूका एवं स्त्रियाँ
लुंगड़ा पोलका पहनती हैं।
कमार जनजाति गोदना
महिलाएँ हाथ पैरों में
गुदना गुदवाती हैं।
कमार जनजाति तीज-त्यौहार
इनमें मनाये जाने वाले
त्यौहार हरेली, पोरा, नवाखाई, दशहरा, छेरछेरा, होली आदि हैं।
कमार जनजाति की नृत्य
कमार जनजाति की महिलाऐं
दीपावली पर्व के अवसर पर सुआ नृत्य करती हैं। विवाह अवसर पर महिलाऐं व पुरुष दोनों
साथ-साथ नाचते हैं। पुरुष होली मेंदीवाली
में पारम्परिक नृत्य करते हैं।
कमार जनजाति व्यवसाय
इस जनजाति का मुख्य
व्यवसाय बांस से सूपा, टुकना बनाकर
बेचना, शिकार, मछली पकड़ना (स्वयं के
लिए) कंदमूल तथा जंगली उपज संग्रह करना और आदिम कृषि हैं। इनकी मुख्य कृषि उपज
कोदो, धान, उड़द, मूंग आदि हैं। इस जनजाति
का आर्थिक जीवन का दूसरा पहलू वनोपज संग्रह करना हैं। जिसमें महुआ, तेन्दू, सालबीज, बांस चिरोंजी, गांेद, आवंला आदि संग्रह करते
हैं। इसे बेचकर अन्य आवश्यक वस्तुएं जैसे अनाज, कपड़े इत्यादि खरीदते हैं। कुछ कमार लोग शहद, जड़ी बूटी भी एकत्रित कर
बेचते हैं।
कमार जनजाति जन्म-संस्कार
प्रसव घर में ही कराया
जाता है। इस जनजाति में नवजात यदि लड़काहुआ तो तीर से तथा लड़की हुई तो कहरा (बांस छिलके का ) से नरा काटते हैं।
नरा प्रसव स्थान में ही गड्डा खोदकर गाड़ दिया जाता है। जन्म के छठे दिन नवजात शिशु
और प्रसूता को गरम (कुनकुने) पानी से नहलाया जाता है। इसके बाद तेल, हल्दी लगाई जाती हैं।
कमार जनजाति विवाह-संस्कार
कमार जनजाति के लड़कों की
विवाह उम्र 18-19 तथा लड़कियों की
विवाह उम्र 16-17 वर्ष सामान्यतः
मानते हैंे। मामा या फुआ के लड़का लड़की से विवाह को प्राथमिकता देते हैं। विवाह
प्रस्ताव वर पक्ष की और से आता है। विवाह तय होने पर वर पक्ष द्वारा वधूपक्ष को
चावल, दाल, नगद रूपये वधूधन के रूप
में दिया जाता है। सामान्य विवाह के अतिरिक्त घर जमाई प्रथा भी प्रचलित हैं।
घुसपैठ सहपलायन (उढ़रिया) को सामाजिक दण्ड के बाद समाज स्वीकृति मिल जाती हैं।
विधवा पुनर्विवाह को मान्यता हैं। विधवा भाभी देवर के लिए चूड़ी पहना सकती हैं।
कमार जनजाति मृत्यु संस्कार
मृत्यु होने पर शव को
दफनाते हैं। तीसरे दिन तीज नहावन होता है, जिसमें परिवार के पुरूष सदस्य दाड़ी, मूंछ व सिर के बाल मुण्डन
कराते हैं। घर की साफ-सफाई कर सभी स्नान कर हल्दी पानी अपने शरीर के कुछ भागों में
लगाते हैं। तेहरवें दिन मृत्युभोज देते हैं।
कमार जनजाति देवी-देवता
कमार जनजाति के प्रमुख
देव रचना, धुरवा, बूढ़ादेव, ठाकुरदेव, दूल्हादेव, बड़ी माता, मझली माता, छोटी माता, बूढ़ी माई, धरती माता आदि हैं। पोगरी
देवता (कुलदेव) मांगर माटी (पूर्वजों के गांव व घर की मिट्टी) गाताडूमा (पूर्वज)
की भी पूजा करते हैं।
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