मध्यप्रदेश की कंवर जनजाति की जानकारी | MP Kanwar Tribes Details in Hindi
मध्यप्रदेश की कंवर जनजाति की जानकारी
(MP Kanwar Tribes Details in Hindi)
मध्यप्रदेश की कंवर जनजाति की जानकारी
कंवर जनजाति की जनसंख्या
- कंवर जनजाति की कुल जनसंख्या 18603 आँकी गई है, जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.026 प्रतिशत हैं।
कंवर जनजाति निवास क्षेत्र
- कंवर जनजाति की जनसंख्या जिला श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पश्चिम निमाड़, बड़वानी, पूर्वी निमाड, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा, बालाघाट में पायी जाती है।
कंवर जनजाति गोत्र
- कंवर जनजाति में बधवा, विच्छी, विलवा, बोकरा, चन्द्रमा, चंवर, चीता, चुवा, धनगुरू, ढेंकी, गोवरा, जांता, खुमरी, लोधा, सुआ, सोनवानी, नाहना, भैसा, कोड़िया, दुध, सोन पाखर, भंडारी, डहरिया आदि गोत्र पाये जाते हैं।
कंवर जनजाति रहन-सहन
- इनके मकान मिट्टी के बने होते हैं। जिस पर देशी खपरैल या घासफूस का छप्पर होता है। मकान में सामान्य रूप से चार या पांच कमरे होते हैं। एक कमरा रसोई व पूजा के लिए होता है। आगे परछी होती है। रसोई से सटे हुए कमरे की दीवारों मेे खोड़िया (कोठी) रहती है। जिसमें धान का भंडारण रहता है। दीवारों पर सफेद या पीली मिट्टी से पुताई की जाती है। पशुओं के लिए अलग से एक कोठा होता हैं। घर में खाट, मिट्टी, कांसा, पीतल, एल्युमोनियम के बर्तन, जांता, मूसल, टोकनी, कृषि उपकरण, नागर, कोपर, कुल्हाड़ी, टंागी, रांजी इत्यादि तथा शिकार के औजार भी रहते हैं।
कंवर जनजाति खान-पान
- मुख्य भोजन चावल तथा कोदो का भात, बासी पेज, उड़द, अरहर की दाल तथा मौसमी सागसब्जी हैं। मुर्गा, बकरा, मछली आदि का मांस खाते हैं।
कंवर जनजाति वस्त्र-आभूषण
- वस्त्र विन्यास में सामान्य रूप से पुरूष घुटनों तक धोती व कमीज, स्त्रियाँ सूती साड़ी, पोलका, छोटी लड़कियां लंहगा, ब्लाउज पहनती हैं। आभूषण के भी शौकीन होते हैं। पुरूष हाथ की अंगुठी में मुदरी हाथ में चूड़ा, स्त्रियाँ हाथ में ककनी, चूड़ी, ऐंठी, बांह में नागमोरी, पंहुची, गले में सूता, हार, कान मेें सुतवा, खिनवा, नाक में फुली, कमर में करधन, पैरों में पैरी सांरी पहनती हैं।
कंवर जनजाति गोदना
- स्त्रियाँ हाथ, पैर, बाह में गुदना गुदवाती हैं।
कंवर जनजाति तीज-त्यौहार
- प्रमुख त्यौहार- हरियाली, जन्माष्ठमी, पोला, तीजा, पितर, नवाखानी, दशहरा, दिवाली आदि हैं।
कंवर जनजाति नृत्य
- कंवर जनजाति में कर्मानृत्य, सुआनाच, भोजली नृत्य, रामसत्ता आदि नृत्य प्रचलित है। स्त्रियाँ सुआगीत, मोजलीगीत, पुरूष फाग, देवी सेवागीत आदि गाते हैं।
कंवर जनजाति व्यवसाय
- कंवर जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि है। कृषि में धान, कोदो, तिल, तिवरा, मूंग, उड़द आदि की फसल लेते हैं। बनोपज संग्रह भी इनकी आर्थिक आय का साधन हैं। जंगलोें से महुआ, तेन्दूपत्ता, माहुल पत्ता अचार गोंद, हर्रा आदि वनोपज संग्रह करते हैं।
कंवर जनजाति जन्म-संस्कार
- प्रसव बुजुर्ग महिला/दायी द्वारा घर में ही कराया जाता हैं। प्रसव के बाद नरा काटकर प्रसव स्थान में गड्डा खोदकर गाड़ दिया जाता हैं। प्रसूता को तीन दिन तक भोजन नही दिया जाता, इसके बदले तीन दिन तक कशापानी गुड़, सोंठ, तिल का लड्डू भोजन में दिया जाता है। इसके बाद साधारण भोजन दिया जाता है। छठे दिन घर की शुध्दि कर छठी मनाते हैं।
कंवर जनजाति विवाह-संस्कार
- इस जनजाति में विवाह उम्र लड़को की 14-18 तथा लड़कियों के लिए 12-16 वर्ष सामान्यतः मानी जाती है। विवाह की पहल वर पक्ष की ओर से होती है, और विवाह का निर्णय कन्या पक्ष पर निर्भर होता हैं। संबंध तय होने पर वर पक्ष के लोग नई साड़ी, गुड़, कुछ रूपये व शराब लेकर कन्या पक्ष के घर मंगनी के लिए जाते हैं। विवाह रस्म में क्रमशः मंगनी, द्वारमांगा, रोटी तोडना, विवाह एवं गौना सहित पांच चरणों में सम्पन्न होती है। वर पक्ष द्वारा वधु पक्ष को सूक भरना के रूप में चावल, दाल, तेल, गुड़, हल्दी, कुछ नगद रूपये दिये जाते हैं। विवाह संस्कार जाति के बुजुर्ग व्यक्ति संम्पन्न कराते थे। अब ब्रम्हण की सेवाएँ ली जाने लगी हैं। विनिमय तथा घर जमाई प्रथा भी प्रचलित हैं। घुसपैठ(ढुकू) सहपलायन (उड़रिया) को कुछ सामाजिक जुर्माना लेकर विवाह का रूप में दिया जाता है। विधवा को चूड़ी पहनने (पुनर्विवाह) की अनुमति है।
कंवर जनजाति मृत्यु संस्कार
- मृत्यु होने पर मृतक को सामन्यतः जलाते हैं। कभी कभी दफनाते भी हैं। तीसरे दिन तीज नहान की रस्म में परिवार, रिश्तेदार व बिरादरी के लोग बाल, दाड़ी के बाल कटवाते हैं। घर की साफ-सफाई की जाती है। दसवें दिन पुरूष एवं नोवे दिन स्त्री मृतक का दशकर्म किया जाता है। जिसमें पूजा के बाद भोज दिया जाता है। बच्चे की मृत्यु होने पर उसे जमीन में दफनया जाता है। पाचवें दिन भोज कर दिया जाता है।
कंवर जनजाति देवी-देवता
- प्रमुख देवी देवता- दुल्हादेव, बाहनदेव, ठाकुरदेव, शिकार देव, सर्वमंगलादेवी, सगाई देवी, बुढ़वा, रक्शादेवी, मातिन देवी, बंजारी देवी आदि हैं। इनके अतिरिक्त हिन्दू देवी देवताओं की भी पूजा करते हैं।
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