मध्यप्रदेश की कोलम जनजाति की जानकारी | MP Kolam Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की कोलम जनजाति की जानकारी  (MP Kolam Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश की कोलम जनजाति की जानकारी | MP Kolam Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की कोलम जनजाति की जानकारी 


कोलम जनजाति जनसंख्या  

  • कोलम जनजाति की कुल जनसंख्या 224 मात्र आंकी गई है।


कोलम जनजाति निवास क्षेत्र 

इस जनसंख्या के अनुसार प्रदेश के 19 जिलों में दर्शित हैं। जिनमें मात्र शहडोल जिले में 95, जबलपुर जिले में 14, रीवा जिले में 12, भोपाल जिले में 12, हरदा जिले में 11, सतना जिले में 10 मात्र, जनसंख्या आंकी गई हैं। शेष जिलों में नगण्य के रूप में आंकी गई हैं।

 

कोलम जनजाति गोत्र 

इनमें कई बहिर्विवाही गोत्र पाये जाते हैं। जैसे टेकाम, कुमरा, मंडावी, अटराम, वतुलकर, नेकवरका, पारसिनेकुल, घोटकुल, रविकुल, चेड़ दूव काडया, सुईकेर आदि। इनमें गोत्र क्रमशः चारदेव, पंचदेव, सहदेव और सतदेव वाले होते हैं।

 

कोलम जनजाति रहन-सहन 

कोलम जनजाति मुख्य ग्राम से कुछ दूरी पर अपना टोला बनाकर रहती हैं। टोले के चारो ओर कृषि भूमि होती है। टोला वर्गाकार बसा होता है। जिसके मध्य पूर्वोन्मुख “चवड़ी” (चौरी) जहा गांव के पुरूष एकत्र होते हैं, बैठते हैं। इनके घर मिट्टी बांस से निर्मित होते हैं। छप्पर घास-पूस या देशी खपरैल का बनाते हैं। घर में सामान्यतः एक या दो कमरे होते हैं। घर में अनाज रखने की कोठी, बांस के बर्तन, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, चक्की, चूल्हा, भोजन बनाने व भोजन करने के लिए मिट्टी, एल्यूमोनियम, पीतल के बर्तन होते हैं।

 

कोलम जनजाति खान-पान 

इनका मुख्य भोजन ज्वार की रोटी, उड़द, मूंग, तुवर, बरवटी की दाल, मौसमी सब्जी हैं, जंगली कंदमूल, फल, भाजी भी खाते हैें। मासांहार में मछली, बकरा, मुर्गा आदि का मांस खाते हैं। 


कोलम जनजाति वस्त्र-आभूषण 

वस्त्र विन्यास में पुरूष धोती बंडी, फेंटा तथा महिलाएँ साड़ी, ब्लाउज पहनती हैं। महिलाएँ हाथ की कलाईयों में कांच की चूड़ियाँ, विवाहित महिलाएँ गले मेें कांच के काले मनको का मंगलसूत्र, हमेल, नाक में नथ, कान में कुरकल, बारी इत्यादि पहनती हैं। ये आभूषण अधिकाशतः नकली चांदी गिलट आदि के होते हैं।

 

कोलम जनजाति तीज-त्यौहार 

इनके प्रमुख त्यौहार साती (गांव बंधोनी) नववर्ष (कोरार) उराभीम पूजा (बुमी) दीवाली, सिमगा (होली) और मुरी आदि हैं।

 

कोलम जनजाति नृत्य 

कोलम जनजाति मुख्यतः महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश की जनजाति जिसकी सांस्कृतिक विशष्टिताओं में ‘‘डंडोरी‘‘ नृत्य जो गुसदी और डिमसा कहलाता है, प्रमुख लोक नृत्य है। महिलाएँ विवाह के अवसर पर नृत्य करती है और पुरुष वाद्य यंत्र टापरा (ढोल) और बांस (बांसुरी) बजाते है।


कोलम जनजाति व्यवसाय 

कोलम जनजाति का परम्परागत व्यवसाय बांस बर्तन बनाना, आदिम कृषि, शिकार, खाद्य संकलन मछली (स्वयं के उपयोग हेतु) पकड़ना आदि था। इनके प्रमुख कृषि उत्पादन ज्वार, तुवर, उड़द, मूंग, तिल आदि हैं।

 

कोलम जनजाति जन्म-संस्कार 

प्रसव घर में स्थानीय दायी की मदद से कराते हैं। प्रसूता को जडी-बूटी, गुड़, सोंठ आदि खिलाते हैं। पांचवे दिन शुध्दिकरण क्रिया सम्पन्न करते हैं। मुण्डन तथा नामकरण पैतालीसवे दिन करते हैं।

 

कोलम जनजाति विवाह-संस्कार 

विवाह हेतु मामा या बुआ की लड़की को प्राथमिकता देते हैं। विवाह उम्र लड़कोे की 17-20 वर्ष तथा लड़कियों की 14-18 वर्ष मानी जाती हैं। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से किया जाता है। वधू मूल्य के रूप में अनाज, बकरा, कुछ नगद रूपये दिये जाते हैं। विवाह रस्म वधू के घर जाति के बुजुर्गों द्वारा सम्पन्न होती हैं। सहपलायन, हरण, घुसपैठ प्रथा को जाति पंचायत में निर्णय उपरांत विवाह के रूप में मान्यता दी जाती है। विनिमय, सेवा विवाह, विधवा तथा तलाकशुदा का पुनर्विवाह भी पाया जाता है। विधवा का विवाह माता पिता की स्वीकृति से किया जाता है। यदि कोई स्त्री को माता पिता की स्वीकृति न मिले तो वह सिर पर पानी का घड़ा लेकर अपने पसंद से पुरूष के घर चली जाती है।

 

कोलम जनजाति मृत्यु संस्कार

 

मृत्यु होने पर मृतक को दफनाते हैं। दसवे दिन तक सूतक माना जाता है। इस दिन नदी, तालाब में मुर्गा की बली देकर स्नान करते हैं। दाड़ी, मूंछ, सिर के बाल मुंडन कराते हैं तथा मृत्युभोज दिया जाता है।

 

कोलम जनजाति देवी-देवता 

कोलम जनजाति के प्रमुख देवी देवता भीमदेव, पोचमाई, मरीमाई, सीतादेवी, लक्ष्मी, इंदूमालादेवी आदि है। इनके अतिरिक्त हिन्दू देवी देवता वृक्ष, नदी, पहाड़ की पूजा करते हैं। सीता देवी को ग्राम देवी के रूप में पूजते हैं।

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