मध्यप्रदेश माझी जनजाति की जानकारी | MP Majhi Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश माझी जनजाति की जानकारी  (MP Majhi Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश माझी जनजाति की जानकारी | MP Majhi Tribes Details in Hindi



मध्यप्रदेश माझी जनजाति की जानकारी

माझी जनजाति की जनसंख्या  

  • इस जनजाति की कुल जनसंख्या 50655 आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.070 प्रतिशत है।

 

माझी जनजाति निवास क्षेत्र 

  • मध्यप्रदेश में माझी जनजाति की जनसंख्या जिला श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह, सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पश्चिम निमाड़, बड़वानी, पूर्वी निमाड, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर,  नरसिंहपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में पायी जाती है।

 

माझी जनजाति गोत्र 

  • इनके प्रमुख गोत्र- केकरा, खोकसा, धनकी, बाध, सुआ, घीन्या, नाग, बारम, तेलासी, मरकाम, सेमरिया, कुर्राम, उइका, मराई आदि हैं। प्रत्येक गोत्र के टोटम होते हैं।

 

माझी जनजाति रहन-सहन

 

  • माझी जनजाति के गांव सामान्यतः पहाड़ी तथा जंगली क्षेत्रों में होते हैं। यह जनजाति गोंड, मझवार, कंवर, मुण्डा नगेसिया, उरांव कोरवा आदि जनजातियों के साथ गांव में निवास करती है। इनके घर सामान्यतः मिट्टी व लकड़ी के बने होते हैं, जिनके ऊपर सामान्यतः घासपूस या देशी खपरैल का छप्पर होता है। फर्श मिट्टी का होता है। घर में दो तीन कमरे होते हैं। अपने पालतु पशुओं के लिए पीछे का कमरा होता है, जिसका दरवाजा पीछे की ओर खुलता है।     घरेलू वस्तुओं में धान कूटने की ओखली मूसल, बांसकी टोकरी, सूपा, ओढने बिछाने के कपड़े, मिट्टी से बनी हुई गगरी, कनोची, तवा, परई, हंडिया तथा एल्यूमोनियम की थाली इत्यादि होती हैं। प्रत्येक घर में तीर धनुष पाया जाता है। कृषि उपकरण तथा मछली पकड़ने का जाल पाया जाता है।

 

माझी जनजाति खान-पान 

  • इस जनजाति का मुख्य भोजन चावल, कोदो का पेज, भात, मौसमी सब्जी, जंगली कंदमूल, फल आदि है। मांसाहार में सुअर, मछली खाते हैं। पुरूष तम्बाकू को तेन्दू के पत्ते में लपेटकर लम्बी (लगभग पांच छह इंच) चोंगी बनाकर पीते हैं।

 

माझी जनजाति वस्त्र-आभूषण

 

  • वस्त्र विन्यास माझी जनजाति के लोगों की वेषभूषा नितांत साधारण होती है। पुरूष धोती, कमीज स्त्रियाँ सूती साड़ी, पोलका पहनती हैं। वर्तमान में हाट बाजार में उपलब्ध रेडीमेड वस्त्र भी लोग व बच्चे पहनते लगे हैं।

 

माझी जनजाति तीज-त्यौहार 

  • माझी जनजाति में सांस्कृतिक विशिष्टताओं में परम्परागत रूप से सैला, कर्मा, मादल का सुद भगत आदि उत्सव मनाते हैं। इनके प्रमुख त्यौहार होलई नवाखानी, कर्मा, फाल्गुन, तिहार आदि मुख्य हैं।

 

माझी जनजाति नृत्य 

  • इस जनजाति की महिलाएँ सुआ नृत्य, गौरा त्यौहार के समय नाचती हैं। पुरूष होली में डण्डा चलाते हैं। इसके अतिरिक्त युवक-युवतियाँ करमा उत्सव के समय करमा नृत्य विवाह के समय विवाह नाच करते हैं। मुख्य वाद्य यंत्र ढोल तथा मादल है। त्यौहारों के अवसर पर सुआ गीत, डण्डा गीत, करमा गीत गाते हैं। इनके प्रमुख नृत्य करमा, सुआ, डंडा नृत्य, गौरा हैं, जो गीत वालों के साथ और बिना गीत वालों के केवल मांदर, ढाक, नगाड़े की गूंज झुमका तथा बाजे की धुन पर नाचे जाते हैं।

 

माझी जनजाति कला 

  • कोल माझी मोहलाइन के रेसे से रस्सी, गेरूवा, डोरी बनाकर कंवर, गोंड, उरांव, बिंझवार आदि जनजातियों को अनाज के बदले में देते हैं। इसके अतिरिक्त बांस की टुकनी, झापी, झऊवा आदि बनाकर अन्य कृषक आदिवासियों को अनाज के बदले में देते हैं।

 

माझी जनजाति व्यवसाय 

  • माझी जनजाति का जीविकोपार्जन पहाड़ी खेती, जंगली उपजसंग्रह पर आधारित है। पहाड़ी खेती में केादो, धान, उड़द आदि बोते हैं। जंगली उपज संग्रह में महुआ, चिंरोजी आदि एकत्र कर बेचते हैं।

 

माझी जनजाति जन्म-संस्कार 

  • माझी जनजाति में गर्भावस्था में कोई संस्कार प्रचलन में नही हैं। प्रसव सामान्यतः स्थानीय दायी की देखरेख में घर के बाहर एक छोटा प्रसव झोपड़ा बनाकर कराया जाता है। बच्चे की नाल गिर जाने के बाद छठी मनाई जाती है। रिश्तेदारों को खाना खिलाया जाता है। प्रसुता को गुड़, सेमर की छाल, छींद की जड़, सोंठ आदि से बनाया हुआ कसा पिलाया जाता है।

 

माझी जनजाति विवाह-संस्कार 

  • इस जनजाति में विवाह उम्र लड़को की 14-18 तथा लड़कियों की 12-16 सामान्य रूप से अनुमानित मानी जाती है। भाई बहन के पुत्र पुत्रियों में आपस में विवाह (भाई बहिन) होते हैं। विवाह का प्रस्ताव वर का पिता वधू के घर लेकर जाता है। विवाह तय होने पर वधू पक्ष को चावल, ग्यारह रूपये, तेल, दाल, सब्जी “सूक” के रूप में दिया जाता है। विवाह की रस्मंे माझी जनजाति के सियान (बुजुर्ग व्यक्ति/बैगा) द्वारा करायी जाती हैं। इनमें उढ़रिया (सहपलायन) ढुकू (घुसपैठ), लमसेना (घर जमाई) चूड़ी पहनाना (पुनर्विवाह) आदि विवाह के प्रकार प्रचलित हैं।

 

माझी जनजाति मृत्यु संस्कार

 

  • जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं, मृतक के शव को दफनाया जाता है। तीसरे दिन तीसरा व दसवे दिन दशवा किया जाता हैं। इस अवसर पर परिवार के पुरूष सिर के बाल, दाड़ी, मूंछ आदि मुंडन कराते हैं। जाति समाज को मृत्यु भोज दिया जाता हैं।

 

माझी जनजाति देवी-देवता

 

  • माझी जनजाति में पारम्परिक रूप से पूजे जाने वाले मुख्य देवी-देवता ठाकुर देव, बूढ़ी माई, डिहासि ,रातमाई, रक्सेल देव, पाठदेव, भीमसेन, दूल्हादेव आदि मुख्य हैं। इनके अधिकतर देवी देवता पत्थर का कोई टुकड़ा, पेड़, रंग बिरंगी या सफेद ध्वजा के रूप में रहते हैं।

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