मध्यप्रदेश की मझवार जनजाति की जानकारी | MP Majhvaar Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की मझवार जनजाति की जानकारी (MP Majhvaar Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश की मझवार जनजाति की जानकारी | MP Majhvaar Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की मझवार जनजाति की जानकारी 

  • कुल जनसंख्या 443 मात्र आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.001 प्रतिशत है।

 

मझवार जनजाति कानिवास क्षेत्र 

  • मध्यप्रदेश में मझवार जनजाति की जनसंख्या जिला ग्वालियरशिवपुरी, गुनाछतरपुरसतनाउमरिया, शहडोलनीमच, उज्जैन, शाजापुर, देवास, इन्दौर, बड़वानी, पूर्वी निमाड, राजगढ़, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, मण्डला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में पायी जाती है।

 

मझवार जनजाति गोत्र 

  • इनके प्रमुख गोत्र- मैसा, सुरही, टाटी, साहड़ा, भेलवा, बाघ, झिंगा, चुटरू, डुमर, नाग, खोकसा, डांग, खूटा, धानकी, बाम्बी, केकरा आदि हैं।

 

मझवार जनजाति रहन-सहन 

  • इसके घर मिट्टी के बने होते हैं। छप्पर घासपूस या देशी खपरैल से बना होता हैं। घर में सामान्य रूप से दो तीन कमरे होते हैं। दीवार की पुताई सफेद मिट्टी से की जाती है। फर्श मिट्टी का होता है। जिसे गोवर से लीपते हैं। घरेलू वस्तुओं में चारपाई, चक्की, मूसल, ओढने, बिछाने के कपड़े, भोजन बनाने व भोजन करने के बर्तन कुल्हाड़ी, कृषि उपकरण, मछली पकड़ने के जाल आदि सामग्री पायी जाती है।

 

मझवार जनजाति खान-पान 

  • मुख्य भोजन कोदो, कुटकी, चावल का भात व पेज है। उड़द, मूंग की दाल तथा मौसमी सब्जी कंदमूल फल जंगली भाजी खाते हैं। मछली, मुर्गा, बकरा आदि का मांस खाते हैं।

 

मझवार जनजाति वस्त्र-आभूषण 

  • महिलाएँ सिर के बाल मिट्टी से धोकर फली, तिल या गुली का तेल लगाकर चोटी बनाकर जुड़ा बांधती हैं। महिलाओं के हाथ पैर व चेहरे पर गुदना पाया जाता है। गहनों की शौकीन होती हैं। वस्त्र विन्यास में पुरूष पंचा, बंण्डी तथा महिलाएँ लुगड़ा, पोलका पहनती हैं।

मझवार जनजाति  तीज-त्यौहार 

  • प्रमुख त्यौहार हरेली, पोला, नवाखानी, दशहरा, दिवाली, कर्मापूजा, होली आदि हैं।

 

मझवार जनजाति नृत्य 

  • मझवार जनजाति के लोग पारम्परिक सांस्कृतिक नृत्यों में कर्मा पूजा के समय करमा नाच, भोजली पर्व पर भुजरिया नाच, विवाह के अवसर पर विवाह नाच, होली पर रहस, दिवाली पर महिलाऐं फड़की नृत्य करती हैं। प्रमुख लोक गीत करमा गीत, सुआ गीत, फाग गीत विवाह गीत ददरिया, भजन आदि है। वाद्ययंत्रों में पुष्प मादल, ढील, टिमकी खरताल आदि है।

 

मझवार जनजाति व्यवसाय 

  • इनका मुख्य व्यवसाय कृषि, वनोपज संग्रह आदि पर निर्भर रहता है। कोदों, धान, मूंग, उड़द, कृषि उपज है। जंगली उपज में महुआ, गुली, तेन्दूपत्ता, हर्रा, गोंद, इमली आदि संग्रह कर बेचते हैं। जंगली कंदमूल, फल, भाजी स्वयं के उपयोग के लिए एकत्र करते हैं। वर्षा ऋतु में स्थानीय नाले से स्वयं के उपयोग के लिए मछली पकड़ते हैं।

 

मझवार जनजाति जन्म-संस्कार 

  • प्रसव बुजुर्ग महिलाओं की देखरेख में घर में ही कराया जाता है। बच्चे का  नाल घर में ही गाड़ा जाता है। प्रसूता को कुल्थी, छींद की जड़, सरई छाल, ऐठी मुड़ी, गोंद सोंठ गुड़ आदि का काड़ा बनाकर पिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं।

 

मझवार जनजाति विवाह-संस्कार

 

  • इस जनजाति में विवाह की उम्र लड़कों की  उम्र 16-18 तथा लड़कियों की 14-16 वर्ष सामान्यतः मानी जाती है। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है।  विवाह में वर के पिता वधू के पिता को अनाज गुड़, तेल, दाल तथा कुछ  नगद रूपये सूक भरना के रूप में देता है। विवाह मुख्यतः मंगनी, सगाई, ब्याह और गौना के रूप में पूर्ण होता है। फेरा लगवाने की रस्म जाति का प्रमुख कराता है। विनिमय, सेवा विवाह, घुसपैठ, सहपलायन, विधवा पुनर्विवाह, देवर भाभी पुनर्विवाह को भी सामाजिक मान्यता है।

 

मझवार जनजाति मृत्यु संस्कार 

  • मझवार जनजाति में जब कोई व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो मृतक के शव को दफनाते हैं।  विशेष व्यक्ति के शव को जलाते हैं। तीसरे दिन परिवार के पुरूष सदस्य दाड़ी, मूंछ तथा सिर का मुण्डन कराते हैं। दसवे दिन स्नान पश्चात पूर्वजों की पूजा करते हैं तथा मृत्युभोज दिया जाता है।

 

मझवार जनजाति देवी-देवता 

  • प्रमुख देवी देवता ठाकुर देव, बूढ़ा देव, दूल्हादेव, भीमसेन, बगरमपाट, बूढ़ी माई, कंकालिन माई आदि हैं। हिन्दू देवी देवता तथा सूर्य चन्द्रमा, धरती, नदी, वृक्ष, नाग आदि की भी पूजा करते हैं। 

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