मध्यप्रदेश मवासी जनजाति की जानकारी | MP Mavashi Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश मवासी जनजाति की जानकारी (MP Mavashi Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश मवासी जनजाति की जानकारी | MP Mavashi Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश मवासी जनजाति की जनसंख्या 

  • इनकी कुल जनसंख्या 109180 आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.0150 प्रतिशत है।

 

मवासी जनजाति निवास क्षेत्र 

  • प्रदेश में मवासी जनजाति की अधिकांश आबादी छिंदवाड़ा जिले में निवासरत है। 


मवासी जनजाति गोत्र 

  • प्रमुख गोत्र-लोबो, दरसिया, शीलू, अकरम, चोकूू, झोपा मोफ, सुकम आदि प्रमुख है।

 

मवासी जनजाति रहन-सहन 

  • मवासी जनजाति अधिकांश पहाड़ो की तलहटी एवं मैदानी पठार में निवास करती है। इनके गांव कई कई ढानों में बटे होते हैं। इनके घर मिट्टी की दीवालों के होते हैं। छत में मिट्टी के कवेलू होते है तथा दरवाजे लकड़ी के होते हैं। घर के चारों तरफ निस्तार के लिए परछी बनायी जाती है। दीवालों पर चूना या मिट्टी से पुताई की जाती है। मकानोें में प्रायः दो से चार कमरे होते हैं। सामने परछी व आंगन होता है। परछी में बैठक की व्यवस्था होती है। बीच के कमरे में घरेलू सामान रखा जाता है। इनके घरों में घरेलु वस्तुओं में मिट्टी का चूल्हा, खाना बनाने की हंडी, तवा, बेलन, गंजी, चौकी, थाली, लोटा, गिलास, परांत आदि होती हैं। इनके अतिरिक्त मूसल, चक्की, सूपा, टोकना, मसाला पीसने के लिए सिलबट्टा पाया जाता है। कृषि कार्य के लिए हल, बखर, गेती, फावड़ा, खुरपी, कुल्हाड़ी आदि का उपयोग किया जाता है।

 

मवासी जनजाति खान-पान

 

  • मृख्य भोजन ज्वार, मक्का की रोटी, कोदो, कुटकी का भात दलिया तथा तुवर उड़द सेम आदि की दाल, मौसमी सब्जी आदि हैं, मांसाहार में मुर्गी, मछली, बकरा आदि खाते हैं।

 

मवासी जनजाति वस्त्र-आभूषण 

  • आभूषणों में महिलाएँ पैरों में तोड़ी, पैरपट्टी, हाथों मेें कंगन, बोहरा, गले में टाप आदि पहनती हैं। इनके आभूषण गिलट या नकली चांदी के होते हैं। वस्त्र विन्यास में पुरूष कुर्ता, धोती व बंडी तथा स्त्रियाँ पोलका, लुगड़ा (साड़ी) पहनती हैं।

 

मवासी जनजाति गोदना 

  • महिलाएँ हाथ, पैरों, चेहरे पर गुदना गुदाती हैं।

 

मवासी जनजाति तीज-त्यौहार 

  • इनके मुख्य त्यौहार अखाड़ी, हरियाली, नागपंचमी, पोला-बडगा, तीजा, पितरपक्ष, होली, दीवाली, भुजलिया, राखी आदि मुख्य हैं।

 

मवासी जनजाति नृत्य 

यह जनजाति अन्य जनजातियों के साथ मिलकर त्यौहारों में नृत्य करते हैं, होली में फाग गायी जाती है एवं रहस नाचते है। स्त्रियाँ भी पुरूषों के साथ मिलकर शादी विवाह में नाचती हैं।

 

मवासी जनजाति व्यवसाय 

  • मवासी जनजाति के लोग मुख्य रूप से कृषि, मजदूरी, वनो से लघु वनोपज का संग्रहण, पशुपालन आदि कार्य करते है। मुख्य रूप से कोदो, ज्वार, बाजरा, मक्का, तुवर, उड़द तथा जगनी की फसल होती हैं। वनोपज में महुआ, आंवला, अचार, गुली माहुल पत्ता गांेद तथा शहद एकत्र करते हैं, तथा इन्हें बाजार में बेचते हैं।

 

मवासी जनजाति जन्म-संस्कार 

  • प्रसव पास पड़ोस की औरत व दायी की मदद से कराया जाता है। बच्चे के जन्म के बाद नाल दायी द्वारा काटी जाती है। जिसे घर के ही प्रसव स्थल के किसी कोने में गाड़ दिया जाता है। प्रसूता को सोंठ, पीपर, अजवाइन, गुड़, हल्दी आदि से बना हरिरा बनाकर पिलाया जाता है। कोदो कुटकी व तुवर की दाल खाने को दिया जाता है। प्रसव के छटे दिन छटी मनाई जाती है। छटी के दिन बच्चे और प्रसूता को नहलाकर आस पड़ोस व सगे रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता है तथा बच्चे का नाम रखा जाता है।

 

मवासी जनजाति विवाह-संस्कार 

  • मवासी जनजाति में विवाह की उम्र प्रायः16-20 वर्ष लड़को की तथा 14-16 वर्ष लड़कियो की मानी जाती है। विवाह का प्रस्ताव लड़के वालो की ओर से होता हैं तथा विवाह की बात पक्की (तय) करते हैं। तय होने के बाद फलदान तय करते हैं। वर पक्ष की ओर से वधु पक्ष को “खर्ची” के रूप में अनाज या पैसा दिया जाता है। विवाह के अवसर पर कुल देवता की पूजा अर्चना की जाती है। विवाह की रस्म जाति के भुमका द्वारा संपन्न करायी जाती है। भांवर रस्म के बाद बारात की विदाई दी जाती हैं। वर-वधु के घर आने के बाद रीति रिवाज अनुसार रस्म की जाती हैं। मवासी जनजाति बहू पत्नी विवाह, विधवा विवाह, देवर भाभी विवाह, तमसेना, विवाह प्रथा प्रचलित हैं, इसके अतिरिक्त सहपलायन तथा घुसपैठ प्रथा की समाज को रोटी देने के बाद विवाह के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है।

 

मवासी जनजाति मृत्यु संस्कार 

  • इस जनजाति में जब कोई व्यक्ति को मृत्यु हो जाती है, तो मृतक के शव को दफनाया जाता है। अब जलाने लगे हैं, तथा अस्थियांे नर्मदा या स्थानीय नदी में विसर्जित की जाती हैं। तीसरे दिन कुटकी का भात व मुर्गी के चुजे से मृत आत्मा की पूजा जाति के भुमका द्वारा की जाती है। मृतक को पूर्वजों में मिलाया जाता है, इस रस्म को तीसरा कहा जाता है। रिश्तेदारों को मृत्यु भोज दिया जाता है।

 

मवासी जनजाति देवी-देवता 

  • मवासी जनजाति मुख्य देव पचमढ़ी के महादेव हैं। इसके अतिरिक्त नदी, पर्वत, वृक्ष, सूरज, अग्नि, हवा आदि प्राकृतिक तथा राम, हनुमान, गणेश आदि हिन्दू देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं। इसके साथ ही स्थानीय अन्य जनजातियों की भांति मुठवा, हरदुल लाला, भैसासुर, दूल्हादेव, भीमसेन, जोगनी माता आदि के साथ ही ग्राम देवी की भी पूजा की जाती है। इनकी पूजा भुमका द्वारा होती है।

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