मध्यप्रदेश मुण्डा जनजाति की जानकारी (MP Munda Tribes Details in Hindi)
मध्यप्रदेश मुण्डा जनजाति की जानकारी
मुण्डा जनजाति की कुल जनसंख्या
मुण्डा जनजाति की कुल
जनसंख्या 5041 आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल
जनसंख्या का 0.007 प्रतिशत हैं।
मुण्डा जनजाति का निवास क्षेत्र
मध्यप्रदेश में मुण्डा
जनजाति की जनसंख्या जिला श्योपूर, मुरैना, ग्वालियर,शिवपुरी, गुना,छतरपुर,सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी,नीमच, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार,
पश्चिम निमाड़, इन्दौर, बड़वानी, पूर्वी निमाड, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में पायी जाती
है।
मुण्डा जनजाति गोत्र
इस जनजाति के प्रमुख
गोत्र कुछवा, भंेगरा, बरला, सन्दीगुरा, अम्बा, डुंगडुरा, सन्गा, बोदरा, वलुंग, गुरिया, कूरजी, जिरहुल, गोदली आदि।
मुण्डा जनजाति रहन-सहन
इनके घर मिट्टी के बने
होते हैं।घर की छत देशी खपरैल की होती
है। घर सामान्यतः दो-तीन कमरा का होता है। दीवाल पर सफेद मिट्टी की पुताई की जाती
है। फर्श मिट्टी का होता है, इसे गोवर से लीपते हैं। पशुओं के लिए अलग से कोठा होता है।
गांव में सरना, अखरा और सागन
होता है। घर में अनाज रखने की कोठी, चक्की, मूसल, रसाई के बर्तन, चारपाई, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, कृषि उपकरण, कुल्हाड़ी, मछली पकड़ने का जाल, वाद्ययंत्र आदि पाये जाते हैं।
मुण्डा जनजाति खान-पान
इनका मुख्य भोजन कोदो, कुटकी, चावल का भात उड़द मूंग, तुवर की दाल, मौसमी सब्जी आदि हैं।
मछली, मुर्गी, बकरा का मांस खाते है।
मुण्डा जनजाति वस्त्र-आभूषण
वस्त्र विन्यास में पुरूष
पंछा, बंडी व स्त्रियाँ
लुगड़ा पोलका पहनती हैं।
मुण्डा जनजाति गोदना
स्त्रियों के शरीर पर
गोदना पाया जाता है।
मुण्डा जनजाति तीज-त्यौहार
इनके प्रमुख त्यौहार करमा
पूजा, सरहुल, सोहराई (दिवाली) माघ वरण
(होली) आदि हैं।
मुण्डा जनजाति नृत्य
मुण्डा जनजाति के लोग
करमानृत्य, सरहुलनृत्य, सरहुलगीत, फाग, विवाहगीत भजन आदि प्रमुख
लोक गीत लोक नृत्य हैें।
मुण्डा जनजाति व्यवसाय
मुण्डा जनजाति का मुख्य
व्यवसाय कृषि, वनोपज संग्रह तथा
मजदूरी पर आश्रित हैं। इस जनजाति के लोग कुशल कृषक होते हैं। इनकी मुख्य फसल धान, कोदो, उड़द, मूंग, तुवर, तिल आदि हैं। वनोपज में
तेन्दूपत्ता, लाख, गोंद, हर्रा, आंवला, जंगली कंदमूल, भाजी आदि का संग्रह करते
है, उपयोग करते हैं, और स्थानीय बाजार में
बेचते है।
मुण्डा जनजाति जन्म-संस्कार
प्रसव स्थानीय दायी व
परिवार की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा कराया जाता हैं। शिशु की नाल काटकर प्रसव स्थल
पर गाड़ा जाता हैं। प्रसूता को सोंठ, पीपर, गुड व जड़ी बूटियों से बना काढा पिलाते हैं। छठै दिन छठी
संस्कार करते हैं। बच्चे व प्रसूता को नहलाकर नया वस्त्र पहनाकर सूरज व कुल देवी
देवता को प्रणाम कराते हैं। रिश्तेदारों को भोजन कराते व हड़िया पिलाते है।
मुण्डा जनजाति विवाह-संस्कार
विवाह की उम्र सामान्यतः
लड़कों की 16-20 तथा लड़कियों की 14-18 वर्ष के बीच मानी जाती
हैं। विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है।वर के पिता कन्या के पिता को अनाज, दाल, हल्दी, गुड़, तेल व नगद रूपये 150, साड़ी इत्यादि सामग्री
देता है। विवाह चार चरणों मंगनी, सगाई, ब्याह तथा गौना में पूरा होता हैं। इसके अतिरिक्त विनिमय, सेवाविवाह, घुसपैठ, सहपलायन भी समाज में
मान्य हैं।
मुण्डा जनजाति मृत्यु संस्कार
मृत्यु होने पर मृतक को
दफनाते है। तीसरे दिन दाढ़ी, मूंछ, सिर के बाल कटाकर स्नान करते हैं। 10 वे दिन पूर्वजों की पूजा
पाहन की देखरेख में करते हैं। मृत्यु भोज दिया जाता है।
मुण्डा जनजाति देवी-देवता
इनका प्रमुख देव सिंगबोगा
(सूर्यदेव) है। इसके अतिरिक्त दिसुलबोंगा, चांडीबोगा, हातुबोंगा, ओराबांेगा की पूजा करते हैं।
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