राजपूतकालीन सामाजिक संरचना की विवेचना कीजिए ? | MP Old Question with Answer

राजपूतकालीन सामाजिक संरचना की विवेचना कीजिए?

राजपूतकालीन सामाजिक संरचना की विवेचना कीजिए ? | MP Old Question with Answer

राजपूतकालीन सामाजिक संरचना की विवेचना कीजिए?

MPPSC 2018 PAPER 1

उत्तर-

राजपूतकालीन समाज कई जातियों और उपजातियों में समाज विभाजित था। समाज में ब्राह्मणों का ऊँचा स्थान था। वे राजपूत राजाओं के पुरोहित और मंत्री होते थे। उन्हें विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त थींजैसे प्राणदण्ड ब्राह्मणों को नहीं दिया जाता था। वे अपना समय अध्ययनअध्यापनयज्ञ और धार्मिक संस्कारों में बिताते थे। रक्षा का भार क्षत्रियों पर होता था और वे शासक और सैनिक होते थे। व्यापार वैश्य करते थे। शूद्र अन्य जातियों की सेवा का कार्य करते थे । जाति-बन्धन कठोर होने के कारण समाज का विकास अवरुद्ध हो गया था। विचारों में संकीर्णता और रूढ़िवादिता आ गई थी। रूढ़िवादी प्रवृत्तियों से ग्रस्त हो जाने के कारण हिन्दू समाज की गतिशीलता समाप्त हो चुकी थीफलतः अब वह विदेशियों को अपने में आत्मसात नहीं कर सका।

 

प्रसिद्ध विद्वान अलबरूनी को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि हिन्दू लोग यह नहीं चाहते थे कि जो एक बार अपवित्र हो चुका हैउसे पुनः अपना लिया जाय। उनका विश्वास था कि एक देशधर्म और जाति के रूप में श्रेष्ठतम थे। अलबरूनी कहता है- हिन्दू विश्वास करते हैं कि उनके जैसा कोई देश नहींउनके कोई जैसा राष्ट्र नहींउनके जैसा शास्त्र नहीं। उनके पूर्वज वर्तमान पीढ़ी के समान संकुचित मनोवृत्ति वाले नहीं थे।

 

नारी का समाज में सम्मान होता था। पर्दे की प्रथा नहीं थी। राजपूतों की नारियों को पर्याप्त स्वतंत्रता प्राप्त थी और वे अपने पति का वरण स्वयं कर सकती थीं। स्वयंवर प्रथा का प्रचलन था। उच्च परिवारों की नारियाँ साहित्य और दर्शन का अच्छा ज्ञान रखती थीं। राजपूतों में सती-प्रथा भी प्रचलित थी। जौहर की प्रथा भी थी। जौहर एक प्रकार से. सामूहिक आत्महत्या की पद्धति थीजिसमें राजपूत नारियाँ विजयी शत्रुओं द्वारा अपवित्र होने के बजाय स्वयं को अग्नि की भेंट कर देती थीं।

 

विवाह सवर्ण और सजातीय होते थे। अन्तर्जातीय विवाह भी कभी-कभी होते थे। विधवा-विवाह आमतौर पर निम्न जातियों में प्रचलित था। विधवाओं को कठोर जीवन व्यतीत करना पड़ता था। कन्या का जन्म राजपूतों में अशुभ माना जाता था क्योंकि कन्या के विवाह के समय पिता को पड़ता था। कई बार कन्याओं का जन्म के समय ही वध कर दिया जाता था।

 

शुद्ध भोजन अच्छा समझा जाता था। शराब और अफीम का भी राजपूतों में प्रचलन था। चावलदालगेहूँदूधदहीसब्जी तथा मिष्ठान्न लोगों का प्रमुख भोजन था। गरीब लोग मक्काजुवारबाजरा का प्रयोग करते थे। रेशमीऊनी और सूती तीनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग होता था । संगीतनृत्यनाटकचौपड़आखेट और शतरंज मनोविनोद के साधन थे। आभूषणों का आम प्रचलन था। आभूषण स्त्रियाँ और पुरुष दोनों पहनते थे।

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