मध्यप्रदेश की पनिका जनजाति की जानकारी | MP Panika Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की पनिका जनजाति की जानकारी  (MP Panika Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश की पनिका जनजाति की जानकारी | MP Panika Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की पनिका जनजाति की जानकारी 

पनिका जनजाति की जनसंख्या

पनिका जनजाति की जनसंख्या 97767 आंकी गई है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.135 प्रतिशत है।

 

पनिका जनजाति की जनसंख्या का निवास क्षेत्र

 

मध्यप्रदेश में पनिका जनजाति की जनसंख्या जिला दतिया, टीकमगढ़,  छतरपुर, पन्ना,  सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी में पायी जाती है।

 

पनिका जनजाति गोत्र 

जाति विभिन्न गोत्रों में विभक्त हैं, जिसे “कुर” कहा जाता हैं। सीधी, शहडोल क्षेत्र के पनिका जाति के मुख्य कुर है बघेल, सरूबा, कुरूहा, विरगंथ, टांडिया, भैसा, नेवला, खैरवार, कुथरिया, पनरिया, पड़वार, घाखरिया, खूंटी, तेन्दू परेवा, मोगरी, सोन सनवानी, सत सतवानी गलमोल, घुरा आदि। एक ही गोत्र के सदस्य को “कुरूहा” कहा जाता हैं।

 

पनिका जनजाति रहन-सहन

 

घर मिट्टी का बना होता हैं। जिसमें लकड़ी, बांस लगे होते हैं, तथा छत खपरैल की होती है। मकान सामान्यतः दो या तीन कमरों के होते हैं। दीवारों पर सफेद मिट्टी की पुताई की जाती हैं, घर का फर्श मिट्टी का बना होता हैं, जिसे गोवर से लीपते हैं। घरेलू वस्तुओं मंे अनाज रखने की कोठी, चारपाई, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, भोजन बनाने व भोजन करने के बर्तन, अनाज पीसने की चक्की, धान कूटने की ढेहकी, मूसल आदि वस्तुऐं होती हेैं। अधिकांश घरों में सूत काटने का चरखा, कपड़ा बुनने की मशीन पाई जाती हैं।

 

पनिका जनजाति खान-पान

 

इनका मुख्य भोजन कोदो, चावल का भात, बासी, पेज, उड़द, तुवर,मूंग की दाल तथा मौसमी सब्जियां हैं। सक्तहा पनिका मांसाहार में मुर्गा, बकरा का मांस खाते हैं।

 

पनिका जनजाति वस्त्र-आभूषण

 

गिलट चांदी आदि के गहने पहनती है। वस्त्र विन्यास मेें पुरूष पंछी, बंडी, धोती, कुर्ता, स्त्रियाँ लुगड़ा, पोलका पहनती हैं।

 

पनिका जनजाति गोदना 

हाथ पैरों में गुदने  पाये जाते हैं।

 

पनिका जनजाति तीज-त्यौहार 

इनमें कई उत्सव त्यौहार मनाये जाते हैं। जैसे - नवाखाई, घमसानु बाबा, छेरता, जबारा, कजलिया आदि प्रमुख है।

 

पनिका जनजाति नृत्य 

पनिका जाति के लोग विवाह, होली आदि के अवसर पर नृत्य करते हैं। इनके प्रमुख लोकगीत, विवाहगीत, होली में फाग, भजन आदि हैं।

 

पनिका जनजाति व्यवसाय 

पनिका जाति का मुख्य परम्परागत व्यवसाय कपड़ा बुनना, गांव की कोटवारी, कृषि हैं। इस जाति के लोग सूत से कपड़ा बुनते हैं, जिसे स्थानीय बाजार में बेचते हैं। खेतों में कोदो, कुटकी, उड़द, तुवर, धान मक्का आदि बोते हैं। सीधी, शहडोल के पनिका महुआ, तेन्दूपत्ता, गोंद आदि एकत्र कर बाजार में बेचते हैं।

 

पनिका जनजाति जन्म-संस्कार 

प्रसव बुजुर्ग महिलाओं तथा स्थानीय दायी की मदद से घर पर ही कराते हैं। बच्चे की नाल हँसिए या ब्लेड से काटकर घर में ही गाड़ते हैं। प्रसूता को महुआ, तेन्दू की जड़, तुरा को फोड़कर, खजूर का काड़ा बनाकर पिलाते हैं। तीसरे दिन चावल और तुवर की दाल खाने को देते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं।

 

पनिका जनजाति विवाह-संस्कार

 

पनिका जाति में लड़के तथा लड़कियों की विवाह उम्र सामान्यतः लड़को की 16-18 वर्ष व लड़कियों की 15-17 लगभग मानी जाती हैं। विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। वर पक्ष, वधु पक्ष को चावल, दाल, गुड़, हल्दी, तेल या कुछ रूपये वधुधन के रूप में देता है। विवाह चार चरणों में मंगनी, चारी फलदान, विवाह तथा गौना के रूप मंे पूर्ण होता है। जाति के बुजुर्ग या मुखिया के मार्गदर्शन में विवाह कार्य सम्पन्न होता है। विनिमय, सहपलायन, घुसपैठ तथा सेवा विवाह की भी इनमें मान्यता हैं। विधवा, पुनर्विवाह देवर-भाभी विवाह को सामाजिक मान्यता है।

 

पनिका जनजाति मृत्यु संस्कार

 

मृत्यु होने पर मृतक को सामान्यतः दफनाते हैं। कुछ सक्ताहा पनिका मृतक को जलाते हैं तथा अस्थियों को सोन या नर्मदा में विसर्जित करते हैं। दसवें दिन स्नान कर मृतक आत्मा की शांति के लिए धार्मिक पूजा करते तथा मृत्यु भोज दिया जाता है।

 

पनिका जनजाति देवी-देवता

 

कविराहा पनिका संत कबीर की पूजा करते हैं तथा “चौका” नामक पूजा भी करते हैं। सक्ताहा पनिका के मुख्य देवी देवता बूढ़ी माई, मरही माई, काली भवानी, खैरमाई, दूल्हादेव आंधी माई आदि हैें। इनके अतिरिक्त हिन्दू देवी देवता सूरज, चन्द्र, नदी, पहाड़, धरती, वृक्ष आदि की भी पूजा करते हैं।

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