बिरसा मुंडा आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दीजिए ? | MP PSC Old Question With Answer
बिरसा मुंडा आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दीजिए ?
उत्तर-
मुंडा विद्रोह- मुंडा बिहार की एक प्रमुख जनजाति है। भारत की अनेक दूसरी जनजातियों की तुलना में मुंडा लोग राजनीतिक रूप से काफी जागरूक रहे हैं। इस तथ्य को 19वीं शताब्दी के अन्त में होने वाले मुंडा विद्रोह के उदाहरण से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है। इस जनजाति में प्राचीनकाल में भी सामुदायिक कृषि का प्रचलन था ।
अनेक क्षेत्रों के मुंडा गाँव जब राजाओं के अधीन हो गये तथा वहाँ जमींदारी प्रथा आरंभ हो गई तब धीरे-धीरे मुंडा लोगों का आर्थिक शोषण बढ़ने लगा। इस दशा में मुंडा जनजाति लोग डी (बाहरी व्यक्ति या गैर-मुंडा व्यक्ति) लोगों से घृणा करने लगे। ब्रिटिश शासन के दौरान मुंडा जनजाति के ग्रामों में ईसाई मिशनरियों के प्रवेश से भी इनका शोषण बढ़ने लगा। इसके फलस्वरूप सन् 1814 से 1832 के बीच अनेक मुंडा ग्रामों में जमींदारों के खिलाफ संघर्ष होने लगे जिन्हें ब्रिटिश शासन ने दबा दिया।
सन् 1885 में बिरसा मुंडा नाम एक युवक ने मुंडा जनजाति में एक नई राजनीतिक चेतना उत्पन्न की। बिरसा मुंडा की अलौकिक शक्ति को मानते हुए ये मुंडा आदिवासी उसके अनुयायी बन गए। बाद में सन् 1895 में 'बिरसा मुंडा' के नेतृत्व में लगभग सात हजार आदिवासियों ने संगठित होकर अपने शोषण के विरुद्ध विद्रोह किया। यह विद्रोह लगभग पांच वर्षों तक चलता रहा तथा बिरसा की मृत्यु के बाद ही शांत हो सका। इस जनजाति के कुछ क्षेत्रों में आज भी बिरसा को एक अवतार के रूप में देखा जाता है। वास्तविकता यह है कि भारत की अधिकांश जनजातियों में जब किसी तरह की राजनीतिक चेतना नहीं थी, उस समय मुंडा विद्रोह एक सशक्त राजनीतिक घटना के रूप में हमारे सामने आता है। यह विद्रोह मुंडा जनजाति की राजनीतिक चेतना का प्रतीक है।
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