हरबर्ट स्पेन्सर का जीवन परिचय (जीवन-वृत्त) | Short Biography of Herbert Spencer in Hindi

हरबर्ट स्पेन्सर का जीवन परिचय (जीवन-वृत्त) 

 Short Biography of Herbert Spencer in Hindi

हरबर्ट स्पेन्सर का जीवन परिचय (जीवन-वृत्त) | Short Biography of Herbert Spencer in Hindi


हरबर्ट स्पेन्सर के बारे में सामन्य जानकारी  

शिक्षा के अत्यधिक पुस्तक केन्द्रित, दुर्बोध एवं कृत्रिम हो जाने के विरोध में यथार्थवादी प्रवृत्ति का विकास हुआ जिसमें वस्तुओं एवं मानव के प्रत्यक्ष अध्ययन पर जोर दिया गया। इसके लिए आगनात्मक विधि के द्वारा वैज्ञानिक अध्ययन को सर्वश्रेष्ठ विधि माना गया । यह आन्दोलन महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजों के काल, उन्नीसवीं शताब्दी में अपने चरम पर पहुँचा। जीवन की तैयारी के लिए विज्ञान की शिक्षा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया। इस आन्दोलन के एक प्रमुख प्रजनक एवं प्रसारक हरबर्ट स्पेन्सर थे । स्पेन्सर ने व्यक्ति की स्वतंत्रता पर अत्यधिक जोर दिया । "कौन सा ज्ञान अधिक उपयोगी है?" प्रश्न पर विचार करते हुए विषयों को महत्व के आधार पर प्रथम बार क्रमबद्ध करने का प्रयास किया। उनकी दृष्टि में विज्ञान की शिक्षा सबसे  महत्वपूर्ण है। इस तरह से स्पेन्सर ने शिक्षा के सिद्धान्त और उसके व्यावहारिक स्वरूप को व्यापक रूप से प्रभावित किया ।


हरबर्ट स्पेन्सर का जीवन परिचय (जीवन-वृत्त)

 

हरबर्ट स्पेन्सर का जन्म इंग्लैंड के डर्बी नामक स्थान में 18200 में हुआ था । माता एवं पिता दोनों ही तरफ से वह विद्रोही एवं सुधारवादी धर्मावलम्बियों एवं प्रगतिशील राजनीतिक परिवारों से जुड़ा था । हरबर्ट स्पेन्सर के पिता, विलियम जार्ज स्पेन्सर में यह विरोध का भाव अधिक था । उन्हें दर्शन, साहित्य, विज्ञान आदि का ज्ञान था । कार्य-कारण सिद्धान्त के प्रति स्पेन्सर के रूझान का कारण पिता का ही प्रभाव था। साथ ही इन सबका संयुक्त परिणाम यह था कि हरबर्ट स्पेन्सर व्यक्तिवाद का कट्टर सर्मथक बन गया ।

 

स्पेन्सर के पिता, चाचा, दादा सभी निजी विद्यालयों के अध्यापक थे लेकिन पुत्र, जो कि अपनी शताब्दी का इंग्लैंड का सर्वाधिक प्रसिद्ध दार्शनिक था, चालीस वर्ष की उम्र तक अशिक्षित था । तेरह वर्ष की अवस्था में हिन्टन में तीन वर्षों तक शिक्षा प्राप्त की। केवल यही तीन वर्ष उसके व्यवस्थित स्कूली जीवन के थे। वह बाद में नहीं कह पाता कि उसने विद्यालय में क्या पढ़ा- कोई इतिहास नहीं, कोई प्राकृतिक विज्ञान नहीं, कोई साहित्य नहीं। वह गर्व के साथ कहते थे "न तो बचपन में, न युवावस्था में मैंने अंग्रेजी में कोई पाठ पढ़ा, अभी तक वाक्य विन्यास का कोई ज्ञान नहीं है।" उन्होंने अपने प्रिय विषयों जैसे रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि में भी कोई व्यवस्थित शिक्षा नहीं पाई थी, न ही इनका व्यवस्थित अध्ययन किया था ।

 

जीविकोपार्जन की दृष्टि से उन्होंने सर्वेयर, सुपरवाइजर, रेलवे लाइन तथा ब्रिजों के डिजाइनर के रूप में कार्य किया। इंजीनियर के रूप में उन्होंने कई अविष्कार के प्रयास किए पर असफल रहे। कार्य की व्यावहारिक प्रकृति के कारण स्पेन्सर के विचार भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रभावित हुए। आजीवन अविवाहित रहने के कारण उनमें मानवीय दृष्टिकोण तथा संवेदना का विकास कम हो सका। वे अपने तर्कों और प्रमाणों पर अड़े रहते थे। पर उनका मस्तिष्क अत्यन्त ही तर्कशील था- वे अपने तथ्यों को आगमन या निगमन पद्धति के माध्यम से शतरंज के खिलाड़ी की कुशलता से रखते थे ।

 

सुपरवाइजर, इंजीनियर आदि के रूप में कार्य करने के उपरांत कुछ समय तक उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र को आजमाया। वे 'दि इकोनोमिस्ट' नामक पत्रिका के सम्पादक भी बने। इसके उपरांत, चालीस वर्ष की अवस्था में वे लेखन के क्षेत्र में उतरे और अगले तैंतीस वर्ष तक जीवन, ज्ञान एवं शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर लिखते रहे। उनकी लेखनी से ज्ञान के अनेक क्षेत्र - तत्त्व मीमांसा, जीव विज्ञान, समाज शास्त्र, नीतिशास्त्र आदि लाभान्वित हुए। इंग्लैंड के जॉन स्टुअर्ट मिल एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के एडवर्ड एल० यूमैंस ने स्पेन्सर के कार्य को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें लिखते रहने हेतु प्रोत्साहित किया ।

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