प्रोटीन की कमी के प्रभाव |प्रोटीन की कमी के कारण होने वाले रोग |Effects of protein deficiency
प्रोटीन की कमी के प्रभाव , प्रोटीन की कमी के कारण होने वाले रोग
प्रोटीन की कमी के प्रभाव , प्रोटीन की कमी के कारण होने वाले रोग
प्रोटीन की उचित मात्रा हमारे आहार में सम्मिलित होना परम आवश्यक है। प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरुप हमारे शरीर पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसा अनुमान है कि भारतवर्ष में प्रतिवर्ष लगभग दस लाख बच्चों की मृत्यु प्रोटीन के अभाव एवं कुपोषण के परिणामस्वरुप होती है। प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण लक्षणों की एक लम्बी श्रृंखला है जिसके एक तरफ मरास्मस है, जो ऊर्जा प्रोटीन की कमी से उत्पन्न होता है तथा दूसरी ओर क्वाशिओरकर है जो कि प्रोटीन की कमी है। इन दोनों के मध्य अनेक ऐसे लक्षण देखे जा सकते हैं जो प्रोटीन तथा ऊर्जा की कमी से होते हैं।
क्वाशियोरकर (Kwashiorkor)
क्वाशियोरकर का अर्थ पूर्व में निम्न प्रकार से दिया गया “दूसरे बच्चे के जन्म से बड़े बच्चे को होने वाली बीमारी"। क्योंकि बड़े बच्चे को आकस्मिक दध मिलना बन्द हो जाता है और यह वह समय होता है जब बच्चे के लिए केवल दूध ही उत्तम गुणों वाला प्रोटीन देने का स्रोत है। इसमें प्रोटीन की मात्रात्मक कमी हो जाती है, परन्तु ऊर्जा मिलती रहती है।
Child with Kwashiorkor |
इस रोग में बच्चे की सामान्य वृद्धि रुक जाती है, सारे शरीर पर विशेष रुप से चेहरे पर सूजन (Oedema) आ जाती है, बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और बालों और चेहरे की स्वाभाविक चमक घटने लगती है। त्वचा रूखी, शुष्क हो जाती है। खून की कमी, अतिसार की शिकायत, भूख का घटना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना भी प्रायः देखा जाता है। विटामिनों की न्यूनता भी होने लगती है, यकृत बढ़ जाता है, जिससे पेट निकला हुआ दिखाई देता है।
मरास्मस (Marasmus)
यह रोग उस स्थिति में होता है जब बच्चे के आहार में प्रोटीन की कमी के साथ ऊर्जा या कैलोरी पोषण की भी कमी होती है। इससे प्रमुख लक्षण हैं- वृद्धि रुक जाना, उल्टी-दस्त, बच्चे का दिन प्रतिदिन सूखते जाना, पानी की कमी, सामान्य से कम ताप, पेट का सिकुड़ना अथवा गैस से फूलना व कमजोर माँसपेशियाँ।
कुछ मरीजों में मरास्मस व क्वाशियोकर के मिले-जुले लक्षण भी पाये जाते हैं। प्रोटीन की कमी प्रभाव व्यस्कों पर भी पड़ता है। कमी के कारण सामान्य भार का घटना व रक्त की कमी देखी जाती है। हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है।
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