मध्यप्रदेश में महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं का वर्णन कीजिए। MPPSC 2014 Mains Question Answer in Hindi
म.प्र. के सदंर्भ में महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं का वर्णन ?
म.प्र. के सदंर्भ में महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
किसी भी स्वस्थ समाज का आधार महिला स्वास्थ्य ही होता है। इसके अतिरिक्त म.प्र. में महिला स्वास्थ्य मानकों में कमी देखी गई है। इस सम्बन्ध में म.प्र. सरकार द्वारा विशेष योजनाओं के द्वारा महिला स्वास्थ्य में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख का वर्णन इस प्रकार है -
1. जननी एक्सप्रेस योजना :
- जननी एक्सप्रेस योजना गर्भवती महिलाओं को प्रसव हेतु चिकित्सालय ले जाने के लिये वाहन सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। इसके अन्तर्गत प्रदेश के सभी जिलों में कॉल सेन्टर आधारित जननी एक्सप्रेस की सुविधा उपलब्ध है। जिले के कॉल सेन्टर पर कोई भी व्यक्ति गर्भवती महिला को प्रसव हेतु अस्पताल ले जाने के लिये वाहन उपलब्ध कराने के लिये सूचित कर सकता है। काल सेन्टर पर •सूचना मिलने पर संबंधित गर्भवती महिला के निवास की जानकारी ली जाती है। तत्काल वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। उद्देश्य तत्काल परिवहन सुविधा मिलने से आकस्मिकता की स्थिति में महिला की जान बचाई जा सकती है।
- क्रियान्वयन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विभाग कार्यकर्ता पात्रता- समस्त गर्भवती महिलाए।
- सम्पर्क- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ कार्यकर्ता एवं टोल फ्री नम्बर 108
2. जननी सुरक्षा योजनाः
- जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव कराने पर शहरी क्षेत्र में निवास करने वाली महिला को 1000 रूपये और ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली महिला को 1400 रूपये की राशि प्रदान की जाती है। उद्देश्य सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना
- क्रियान्वयन- स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग पात्रता- समस्त गर्भवती महिलाऐं प्रसव पश्चात् इस योजना के अंतर्गत लाभ की पात्रता रखती है।
- सम्पर्क- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ कार्यकर्ता ।
3. जननी शिशु सुरक्षा योजना
- समस्त गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को ( जन्म से 30 दिवस तक) आवश्यक पैथालॉजी जांचें, रक्त व्यवस्था, परिवहन व्यवस्था, भोजन इत्यादि निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
- उद्देश्य: निशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना क्रियान्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग
- पात्रता : समस्त गर्भवती महिलायें एवं नवजात शिशु
- सम्पर्क: स्थानीय चिकित्सालय के अधिकारी / कर्मचारी।
4. लाडली लक्ष्मी योजना
- बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्तर तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश में 01 अप्रैल, 2007 से लाडली लक्ष्मी योजना लागू की गई।
आवेदन की प्रक्रिया:
- जिनके माता-पिता म.प्र. के मूल निवासी हों। आयकरदाता न हों। द्वितीय बालिका के प्रकरण में आवदेन करने से पूर्व माता-पिता ने परिवार नियोजन अपना लिया हो। आवश्यक दस्तावेजों के साथ सीधे अथवा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से परियोजना कार्यालय में आवेदन किया जा सकेगा लाभ बालिका के नाम से शासन की ओर से रुपये 1,18,000 का प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा। योजनान्तर्गत बालिका के नाम से पंजीकरण के समय से लगातार पांच वर्षों तक रूपये 6-6 हजार म.प्र. लाडली लक्ष्मी योजना निधि में जमा किये जायेंगे। बालिका के कक्षा में प्रवेश लेने पर रू. 2000/- कक्षा 9 वीं में प्रवेश लेने पर रू. 4000/- कक्षा 11 वीं में प्रवेश लेने पर रू. 6000/- तथा 12 वीं में प्रवेश लेने पर रू. 6000/- ई-पेमेंट के माध्यम से किया जायेगा। अंतिम भुगतान रू. 100000 /- बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर कक्षा 12 वी परीक्षा में सम्मिलित होने पर भुगतान किया जावेगा, किन्तु शर्त यह होगी कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पूर्व न हुआ हो।
5. कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना
- अनुसूचित जाति की ऐसी कन्यायें जो कक्षा 6, 9 एवं 11 में प्रवेश - लेती है उनको प्रवेश लेने पर क्रमशः रूपये 500 /- 1000/- एवं 2000/- प्रतिवर्ष की दर से राशि दी जाती है। यह राशि छात्रवृत्ति के अतिरिक्त होती है उद्देश्य: अनुसूचित जाति की कन्याओं को निरंतर शिक्षा जारी रखने हेतु आर्थिक रूप से प्रोत्साहन करना। पात्रताः शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त शासकीय संस्था में कक्षा 6, 9 एवं 11 में अध्ययनरत् अनुसूचित जाति की ऐसी छात्राएं जो नियमित रूप से अध्ययन करती है। कक्षा 9 में अध्ययनरत् ऐसी छात्रायें जिन्हें निशुल्क साइकिल प्रदाय का लाभ की पात्रता है उन्हें प्रोत्साहन राशि प्राप्त नहीं होती है।
स्वीकृति की प्रक्रियाः
- शाला में अध्ययन करने वाली छात्राओं को अपने आवेदन पत्र संस्था प्रमुख को देना होता है। आवेदन पत्र के साथ अंकसूची, टी.सी. एवं निर्धारित जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है। आयकरदाता अभिभावक की पुत्री को इस योजना की पात्रता नहीं है।
स्वीकृति के अधिकारः
- संबंधित जिला संयोजक / सहायक आयुक्त को स्वीकृति के अधिकार प्राप्त है। सम्पर्क: सहायक आयुक्त / जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग, मण्डल संयोजक एवं संबंधित शाला के प्राचार्य / प्रधान पाठक।
6. निःशुल्क गणवेश ( अध्ययन सामग्री) प्रदाय योजनाः
- मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की बालिकाओं की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार हेतु प्रति वर्ष सर्वशिक्षा अभियान एन.पी.ईजी.ई.एल. योजना के अंतर्गत राजीव गांधी मिशन द्वारा गणवेश प्रदाय योजना में विकासखण्डों मे शासकीय शालाओं में दर्ज कक्षा 1 से 8 तक अध्यनरत् अनुसूचित जाति वर्ग की बालिकाओं को निःशुल्क गणवेश प्रदाय अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा की जाती है।
पात्रताः
- सर्वशिक्षा अभियान अंतर्गत ए.पी.ई.जी.ई.एल. योजनान्तर्गत राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा गणवेश प्रदाय योजना से शेष रहे विकासखण्डों की अनुसूचित जाति वर्ग की बालिकाओं को निःशुल्क गणवेश दी जाती है, जिसमें समस्त शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक एवं शिक्षा गारंटी शालाओं में कक्षा 1 से 8 तक दर्ज समस्त अनुसूचित जाति वर्ग की बालिकायें सम्मिलित हैं।
- गणवेश क्रय एवं वितरण के अधिकार पालक शिक्षक संघ को होगा। पालक शिक्षक संघ को इस हेतु दी जाने वाली राशि के उपयोग के संबंध में संबंधित शाला के सचिव जिम्मेदार होंगे सामग्री क्रय की प्रक्रिया पालक शिक्षक संघ 90 रूपये प्रति गणवेश के मान से प्रदाय की गई राशि में स्थानीय स्तर पर अपने संसाधनों से और अधिक राशि मिलाना चाहे तो 90 रूपये के अतिरिक्त राशि मिलाकर गणवेश क्रय कर सकेंगे। संपर्क सहायक आयुक्त/ जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी / संस्था प्रमुख ।
7. निःशुल्क साइकिल प्रदाय योजनाः
- इस योजना में अनुसूचित जाति कन्या साक्षरता प्रोत्साहन के उद्देश्य से कक्षा 9 वीं में अध्ययनरत् पात्र बालिकाओं की निःशुल्क सायकिल प्रदान की जाती है। पात्रताः कक्षा 8 वीं उत्तीर्ण करने बाद कक्षा 9 वीं में प्रवेश करने वाली पात्र अनुसूचित जाति वर्ग की ऐसी बालिकाओं को, जो स्वयं के ग्राम में शासकीय शाला न होने की स्थिति में अन्य ग्राम की शासकीय शाला में प्रवेश लेंगी, निःशुल्क सायकिल प्राप्त की पात्र समझी जाती हैं। एक बालिका को एक ही बार सायकिल की पात्रता होगीं।
योजना का क्रियान्वयनः
- पात्र अनुसूचित जाति बालिकाओं के लिये जाति प्रमाण पत्र आधार माना जायेगा, संबधित शाला के प्राचार्यो द्वारा प्रवेश लेने वाले समस्त अनुसूचित जाति बालिकाओं के नाम एवं संख्या जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण / सहायक कल्याण / सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को प्रेषित की जायेगी, सायकिल का क्रय जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा किया जायेगा। सायकिल का वितरण विकासखण्ड मुख्यालय पर पालक शिक्षक संघ के सदस्यों की उपस्थिति में किया जायेगा। सायकिल देने के बाद यदि कोई बालिका शाला बीच में छोड़ देती है तो प्रदाय की गई सायकिल वापस ले ली जायेगी।
- संपर्क- सहायक आयुक्त / जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण संबंधित शाला के प्राचार्य ।
8. गांव की बेटी योजनाः
- इस योजना का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभावान बालिकाओं की शिक्षा का स्तर बढ़ाने एवं उच्च शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करने के लिये आर्थिक सहायता प्रदान करना। इस योजना में छात्रा को प्रतिमाह 500 रू. की दर से शैक्षणिक सत्र के लिये 5000 रुपये सालाना की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
पात्रता-
- मध्यप्रदेश के प्रत्येक गाँव से प्रतिवर्ष 12 वी परीक्षा उत्तीर्ण समस्त बालिकाओं का चयन किया जायेगा। चयनित बालिकाओं में से जिसने उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा या चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया हो। यह योजना समस्त शासकीय एवं अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं के लिये लागू होगी। नवोदय विद्यालय से 12 वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्राओं को भी योजना का लाभ मिलेगा। संपर्क- संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य ।
9. प्रतिभा किरण योजनाः
- इस योजना में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली शहर की मेधावी छात्राओं को शिक्षा का स्तर बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन स्वरूप आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। योजना का स्वरूप- इस योजना में चयनित छात्रा को परम्परगत उपाधि पाठ्यक्रम हेतु 500 रु प्रतिमाह ( 10 माह तक ) तथा तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम हेतु 750 रू प्रतिमाह (10 माह तक) दिये जाते हैं।
- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की ऐसी छात्राओं को योजना का लाभ मिलेगा जिन्होंने शहर की पाठशाला से 12 वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हो। छात्रा ने जिस सत्र में कक्षा 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो उसी सत्र में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेना जरूरी है।
- संपर्क - संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य ।
10. सबला योजना
- किशोरी बालिकाओं को स्वस्थ एवं स्वावलंबी बनाना। योजना का स्वरूपः समस्त 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को पूरक पोषण आहार का वितरण, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी तथा स्वावलंबी बनाने हेतु विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिलाया जाता है।
- पात्रता- 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाएं।
- संपर्क: एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता / पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी।
11. मुख्यमंत्री कन्या विवाह / निकाह योजना
- इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकार द्वारा जरूरतमंद निराश्रित / निर्धन परिवार की विवाह / निकाह योग्य कन्या विधवा परित्यक्ता महिलाओं के सामूहिक विवाह हेतु गृहस्थी की स्थापना हेतु आर्थिक सहायता पहुँचाना है। उसमें कन्या / विधवा / परित्यक्त महिलाओं के गृहस्थी की स्थापना हेतु राशि 13000 रुपये एवं प्रायोजक को सामूहिक आयोजन की प्रतिपूर्ति हेतु राशि 2000 रू की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
पात्रता :
- म.प्र. के मूल निवासी हो। आवदेक की आयु 18 वर्ष से अधिक आयु की कन्या / विधवा / परित्यक्ता महिला हो तथा गरीब, जरूरतमंद, निराश्रित निर्धन परिवार की हो। आर्थिक सहायता कैसे प्राप्त करे निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत / जनपद पंचायत एव शहरी क्षेत्र में नगर निगम / नगर पालिका / नगर पंचायत के कार्यालयों में आवश्यक अभिलेखों के साथ जमा किये जा सकते हैं। सम्पर्क विस्तृत जानकारी हेतु जिले के संयुक्त संचालक / उपसंचालक, पंचायत एवं सामाजिक न्याय म.प्र. से सम्पर्क किया जा सकता है।
12. सौभाग्यवती योजना:
- अनुसूचित जाति वर्ग के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की कन्या विवाह हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना। योजना का स्वरूप- इस योजना में अनुसूचित जाति के ऐसे माता-पिता / अभिभावकों की विवाहयोग्य कन्या की शादी हेतु रूपये 5000/- की राशि उपलब्ध कराई जाती है जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है।
पात्रता-
- कन्या के माता-पिता को मध्यप्रदेश का मूल निवासी एवं अनुसूचित जाति का होना आवश्यक है। कन्या की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष या उससे अधिक होना चाहिये। एक ही परिवार की अधिकतम 2 कन्याओं के विवाह हेतु राशि स्वीकृत करने का प्रावधान होगा। अनुसूचित जाति की परित्यक्ता एवं विधवा महिला भी योजना का लाभ ले सकती हैं। आवेदन की प्रक्रिया पात्र कन्या के विवाह हेतु इच्छुक माता-पिता / अभिभावक को लिखित आवेदन पत्र कलेक्टर अथवा विभाग के जिला संयोजक / सहायक आयुक्त / मंडल संयोजक को प्रस्तुत करना होगा, साथ ही जाति प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा के नीचे सूची में सरपंच द्वारा दिया गया प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र मे कन्या विवाह की निश्चित तिथि, वर का नाम, पूर्ण पता एवं व्यवसाय का उल्लेख करना आवश्यक है। कन्या विवाह के लिये स्वीकृत राशि कन्या की
- शादी की तिथि से कम से कम 7 दिवस पूर्व कन्या के अभिभावकों को बैंक ड्राफ्ट के रूप में दी जायेगी। राशि के सदुपयोग का दायित्व- शासन की ओर से इस स्वीकृत राशि के पूर्ण सदुपयोग का दायित्व हितग्राही पर रहेगा। उससे शासन की अपेक्षा है कि स्वीकृत राशि का उपयोग कन्या विवाह के लिये ही होगा। स्वीकृत राशि का उपयोग अन्य उद्देश्यों में करने पर पूर्ण राशि की वसूली की जावेगी संपर्क जिला कलेक्टर, जिला - संयोजक, सहायक आयुक्त, मंडल संयोजक।
13. विवाह सहायता योजनाः
- योजना के अंतर्गत पंजीकृत निर्माण श्रमिक की दो पुत्रियों तक अथवा स्वयं महिला पंजीकृत श्रमिक के विवाह हेतु सहायता प्रदान करना। योजना का स्वरूप-योजना के अंतर्गत पंजीकृत निर्माण श्रमिक की दो पुत्रियों तक अथवा स्वयं महिला पंजीकृत श्रमिक के विवाह हेतु 10,000 रू प्रति विवाह सहायता एवं सामुहिक विवाह के आयोजन की दशा में हितग्राही को 9,000 रू तथा सामुहिक विवाह के आयोजक को 1,000 रू प्रति विवाह राशि दी जाती है।
पात्रता
- पंजीकृत निर्माण श्रमिक की दो पुत्रियों तक अथवा स्वयं महिला पंजीकृत श्रमिक होना। आवेदन की प्रक्रिया: आवेदक विवाह की प्रस्तावित तिथि से एक दिन पूर्व तक आवेदन कर सकता है। आवदेन पत्र में हस्ताक्षर एवं फोटो आवेदिका महिला श्रमिक के स्वयं अथवा निर्माण श्रमिक की पुत्री का भी होना चाहिए। निर्माण श्रमिक (पिता / माता) के मात्र हस्ताक्षर / अंगूठा निशानी होंगे । ग्रामीण क्षेत्रों अंतर्गत जनपद पंचायत को तथा शहरी क्षेत्र में श्रम कार्यालय / नगर पालिका नगर निगम कार्यालय में समयावधि के अंदर निर्धारित प्रारूप में आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
संपर्क:
- पात्रता की जाँच उपरांत, ग्रामीण क्षेत्रों के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत प्रकरण को स्वीकृत कर सकेंगे। नगरीय क्षेत्रों के लिये स्वीकृति के अधिकार सहायक श्रमायुक्त तथा श्रम पदाधिकारी को है। अन्य नगरीय क्षेत्रों में संबंधित मुख्य नगर पालिका अधिकारी / आयुक्त, नगर निगम स्वीकृति हेतु सक्षम होंगे ।
14. विधवा सहायता योजनाः
इस योजना में पुरूष श्रमिक की मृत्यु हो जाने पर उसकी विधवा को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
पात्रताः
- इस योजना के अंतर्गत लाभ हेतु आवश्यक है कि मृत्यु से पूर्व श्रमिक का एक वर्ष से निरन्तर संस्थान / स्थापना में कार्यरत् रहा होना चाहिए तथा उसकी विधवा को अन्य कहीं से पेंशन प्राप्त नहीं हो तथा विधवा ने पुनः विवाह न किया हो। आवेदिका को सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण-पत्र प्रतिवर्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है। आवेदन: आवेदन मृत्यु दिनांक से 1 वर्ष तक मान्य होगा।
15. बिटिया शिक्षा प्रोत्साहन योजनाः
- इस योजना के अंतर्गत पंजीबद्ध निर्माण श्रमिकों की कक्षा 1 से 8 तक शासकीय स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को स्वेटर प्रदान किये जाते है।
16. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजनाः
- इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदिका का मध्य प्रदेश की मूल निवासी, आयु 40-49 वर्ष होने के साथ भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार से संबंधित होना चाहिये। इस योजना में 600 रूपये की पेंशन राशि प्रतिमाह दी जाती है। राशि का भुगतान हितग्राहियों द्वारा बैंक / पोस्ट ऑफिस में खोले गये खातों के माध्यम से किया जाता है। संपर्क ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत स्थानीय नगरीय निकाय, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) जिले के संयुक्त संचालक / उपसचालक, पंचायत एवं सामाजिक न्याय म.प्र. से संपर्क किया जा सकता है।
17. शहरी महिला स्व सहायता कार्यक्रम योजना (यूडब्ल्यूएसपी) (ऋण व अनुदान):
- इस कार्यक्रम में प्रत्येक समूह में कम से कम पांच महिलाओं के एक समूह को अधिकतम 3 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया जाता है। परियोजना लागत का 35 प्रतिशत अनुदान और 60 प्रतिशत ऋण के रूप में प्रदान किया जाता है। तथा 5 प्रतिशत सीमान्त राशि (मार्जिन मनी) हितग्राही द्वारा स्वयं उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
18. शहरी महिला स्वसहायता कार्यक्रम योजना (यूडब्ल्यूएसपी) (आवर्ती निधि)-
- इस कार्यक्रम में छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहित करने और शहरी गरीब महिलाओं में बचत की आदत डालने के लिये बचत एवं साख समूहों का गठन करने का प्रावधान है। समूह द्वारा एक वर्ष तक नियमित बचत करने पर उन्हें सरकार की ओर से उस समूह को 2000 रूपये प्रति सदस्य के मान से अधिकतम 25000 रू. आवर्ती निधि उपलब्ध कराई जाती है।
19. शहरी घरेलू कामकाजी महिला कल्याण योजनाः
- इस योजना के अंतर्गत पंजीबद्ध कामकाजी महिलाओं को कौशल उन्नयन हेतु स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। योजना का स्वरूप- इस योजना में घरेलू कामकाजी महिलाओं को प्रदेश में आई.टीआई के माध्यम से प्रशिक्षण के दौरान 2000 रुपये एकमुश्त राशि प्रदान की जाती हैं इसके अतिरिक्त पंजीबद्ध साईकिल रिक्शा / हाथ ठेला चालक के परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु पर 2000 रूपये अंतिम संस्कार हेतु तथा प्रसूती सहायता के अन्तर्गत निर्धारित कलेक्टर दर पर 6 सप्ताह की मजदूरी के समतुल्य राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है। पात्रताः शहरी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार जिनके नाम शहरी गरीबी की सर्वे सूची में शामिल किये गये है। सम्पर्क - जिला शहरी विकास अभिकरण अथवा जिले की नगर निगम / नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत ।
20. उषा किरण योजनाः
- यह योजना घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं जिसमें शारीरिक, मानसिक, लैंगिक आर्थिक, मौखिक और भावनात्मक आदि प्रकार की हिंसा शामिल है को संरक्षण एवं सहायता का अधिकार उपलब्ध कराती है। इस अधिनियम एवं नियम में किये गये प्रावधानों के अंतर्गत पीड़िता को सेवायें उपलब्ध कराने के लिये विभाग द्वारा उषा किरण योजना संचालित है।
योजनांतर्गत प्राप्त होने वाली सहायताएं-
- योजना अंतर्गत पीड़ित को निम्नलिखित सहायता प्राप्त होगी- (1) अस्थयी आश्रय (2) कानूनी सहायता (3) चिकित्सा सुविधा (4) पुलिस सहायता (5) 24 घंटे हेल्प लाइन (6) आर्थिक सहायता, विपणन व्यवस्था, आर्थिक समृद्धि पुनर्वास (7) आवश्यक प्रशिक्षण (8) सूचना बैंक
संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति
- किसी महिला के उसके परिवार में घरेलू हिंसा से पीड़ित होने पर उसे इस कानून के तहत सहायता उपलब्ध करवाने के लिए तथा पीड़ित को संरक्षण देने के लिए सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना अधिकारियों को उसके क्षेत्र के लिए संरक्षण अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिन क्षेत्रों में बाल विकास परियोजना स्वीकृत नहीं है उन क्षेत्रों में जिला कार्यक्रम अधिकारी संरक्षण अधिकारी होंगे। महिला हेल्प लाइन- महिला हेल्प लाइन अंतर्गत टोल फ्री नम्बर 1090 समस्त जिलास्तरीय (पुलिस) परिवार परामर्श केन्द्रों में स्थापित की गई है।
21. महिला वसति गृह योजनाः
- कामकाजी महिलाओं के लिए महिला वसति गृह अपने घरों से दूर रहने वाली, कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास व्यवस्था उपलब्ध कराने के उद्देश्यसे केन्द्र शासन द्वारा संचालित है, जिसके निर्माण के लिये कुल लागत का 75 प्रतिशत के मान से सहायक अनुदान स्वीकृत किया जाता है।
22. अल्पकालीन आवास गृह संचालन की योजनाः
- अल्पकालीन आवास गृह योजना में मूलतः अनैतिक सम्बन्धों से उत्पन्न तनावों अथवा भावनात्मक अशांति से पीड़ित महिलाओं को संरक्षण तथा पुनर्वास के साथ-साथ प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है। केन्द्र शासन की इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत आर्थिक रूप से सक्षम, साधन संपन्न तथा अनुभवी संस्थाओं को आवर्ती एवं अनावर्ती मद में सहायक अनुदान स्वीकृत किया जाता है।
23. स्वाधार योजना:
- इसके तहत कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली महिलाओं को आश्रय, पोषण, कपड़े और अन्य आवश्यक सुविधाओं को उपलब्ध कराते हुए उनके पुनर्वास का प्रयत्न किया जाता है। इस योजना में निराश्रित विधवायें जेल से छूटी हुई महिला कैदी, प्राकृतिक विपदाओं से निराश्रित हुई महिलाएं, हिंसा से पीड़ित महिलाएं तथा मानसिक रूप से विक्षिप्त आदि कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली महिलाएं आश्रय पाती है। इस योजना में जमीन के लिए भवन निर्माण के लिए केन्द्र की व्यवस्था के लिए, परामर्श सेवाओं के लिए पुनर्वास हेतु आर्थिक गतिविधियों के प्रशिक्षण के लिए और हेल्पलाइन सुविधा के लिए राशि दिये जाने का प्रावधान है।
24. उज्जवला योजनाः
- केन्द्र सहायता प्राप्त इस योजना में तस्करी की शिकार महिलाओं एवं उनके बच्चों के बचाव एव पुर्नवास का प्रयत्न किया जाता है। उक्त योजना के अंतर्गत पांच चरण निर्धारित किए गए हैं- 1. रोकथाम, 2. बचाव 3 पुनर्स्थापना 4. पुनर्नाम 5. पुनर्गार्डियनशिप इन पांच गतिविधियों के कार्य हेतु अलग-अलग मापदण्ड का निर्धारण किया गया है। तदनुसार गतिविधि के संचालन करने वाले एन.जी.ओ. को नियमानुसार अनुदान प्रदान किया जाता है।
25. मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजनाः
- इस योजना के तहत विपत्तिग्रस्त, पीड़ित कठिन परिस्थितियों में निवास कर रही महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक उन्ययन हेतु स्थाई प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ताकि रोजगार प्राप्त किया जा सके। इस योजना से निम्नलिखित महिलाएं लाभान्वित हो सकतीं हैं बलात्कार से पीड़ित महिला बालिका दुर्रव्यापार से बचाई गई महिलाऐं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती हो ।
- ऐसिड हमले की पीड़िता जेल से रिहा महिलाएं दहेज प्रताड़ित अग्नि पीड़ित महिलाऐ। पात्रता- आवेदिका व उसके परिवार का मुखिया गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है। मानसिक रूप से विक्षिप्त न हों। सामान्य महिला की उम्र 45 वर्ष से कम हो विधवा, परित्यक्यता तलाकशुदा, एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग की महिला होने की स्थिति में 50 वर्ष प्रशिक्षण के विषय- 1. फार्मेसी, 2. नर्सिंग 3 ब्यूटीशियन, 4. आई.टी.आई. पॉलीटेक्निक पाठयक्रम 5 प्रयोगशाला सहायक आदि चयन प्रक्रिया महिला द्वारा आवेदन जिला महिला सशक्तिरण अधिकारी के कार्यालय में डाक या स्वय उपस्थित होकर प्रस्तुत किया जायेगा। आवेदन के परीक्षण उपरांत निम्नानुसार गठित चयन समिति 15 दिवस के अंदर चयन की कार्यवाही करेगी कलेक्टर या नामित अधिकारी अध्यक्ष पलिस अधीक्षक सदस्य, प्राचार्य, पॉलीटेक्निक आई.टी.आई. सदस्य महाप्रबंधक, जिला उद्योग एवं व्यापार सदस्य, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिविल सर्जन सदस्य जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी सचिव सदस्य।
26. शौर्या दल
शौर्या दल का गठन प्रत्येक ग्राम / वार्ड में किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस दल में 10 सदस्य होंगे। जिसमें महिला समूहों से पांच जागरूक महिलाएं होगी। ग्राम के ही पांच जागरूक, संवेदनशील तथा जनसमुदाय में स्वीकार्यता रखने वाले व्यक्ति होंगे। शौर्या दल का गठन किसी अधिनियम अंतर्गत न होने के कारण इसकी भूमिका विभाग के लिए अनुशंसात्मक तथा स्थानीय समाज के लिए प्रेरक के रूप में होती है।
- उद्देश्यः महिला / बालिका संबंधी मुद्दों को परिभाषित कर जनसामान्य को जनजागरूक बनाने के तरीकों को बताना। महिला / बालिका हिंसा संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता से जनसमुदायिक सहभागिता से निराकृत करना । जन - सामान्य को महिलाओ / बालिकाओं से संबंधित योजनाओं की जानकारी देना एवं पात्रता अनुसार लाभ दिलाना। महिलाओ / बालिकाओं से संबंधित अधिकारों को चिन्हांकित करना। शिशु लिंगानुपात के अंतर को कम करना। महिलाओ / बालिकाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा को पहचनना व गांव को हिंसामुक्त बनाना। महिलाओ / बालिकाओं का सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण करना। महिला हिंसा मुक्त ग्राम बनाना । विभिन्न कानूनों, महिला अधिकारों, शासकीय योजनाओं को ग्रामीणों के विकास में उपयोग करना। ग्रामवासियों में 'विश्वास स्थापित करना शौर्या दल सरलता व सहानुभुति से समस्या सुनेगा व निर्णय लेगा। विभिन्न लोगों से पारस्परिक संबंध स्थापित कर प्रभावी वार्तालाप समस्या निराकरण करना क्षेत्रीय समस्याओं को समझकर व उनका समाधान करना।
- महिलाओं को घरेलू हिंसा व उनके अधिकारों के विषय में जागरूक करना एवं सहयोग करना (महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अत्याचारों जैसे घरेलू हिंसा, बलात्कार, जमीन से बेदखली संपत्ति का अधिकार न देना आदि पर चर्चा कर उसके प्रभावी निराकरण करना। बालिकाओं को घर में भोजन में भेदभाव, मजदूरी कराना, स्कूल न भेजना के कारणों को पता कर उनका निराकरण करना बाल विवाह, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, लड़के-लड़कियों में भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों से जन-सामान्य को जागरूक करना व रणनीति तैयार करना। स्कूलों की पढ़ाई की गुणवत्ता, आंगनवाडी केंद्रों पर पोषण आहार का वितरण, मिड-डे मील, लाड़ली लक्ष्मी योजना शासकीय भवनों का निर्माण का अवलोकन, टीकाकरण आदि पर निगरानी करना । शासन के प्रभावी एवं सूचना प्रणाली तंत्र को विकसित करना महत्व सामुदायिक विकास के लिए स्वयंसेवा : के भाव से इस दल का गठन किया गया है। आज की स्थिति में कई मुद्दे समुदाय द्वारा आपसी बातचीत व शौर्या दलों की समझाइश द्वारा सुलझाये जा रहे हैं। शौर्या दल के माध्यम से महिला सशक्तिकरण व समानता के लिए समुदाय में जागरुकता बढ़ी है।
- शौर्या दल द्वारा समुदाय के सदस्यों में एकता, भाईचारे व एकजुटता की भावना जागृत हुई है। शौर्य दलों द्वारा घरेलू हिंसा, बालविवाह, मानव तस्करी जैसे अपराधों को रोका गया है। शौर्या दल क्षेत्र में शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं। समुदाय के विकास व हिंसा मुक्त ग्राम के स्वप्न को पूरा करने के लिये शौर्या दल प्रशासन व समुदाय के मध्य मजबूत कड़ी है।
- विभिन्न अधिनियमों तथा सरकार द्वारा निर्मित योजनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि महिलाओं के उत्थान के लिए अत्यधिक प्रयास किये जा रहे हैं। तथापि कोई भी योजना अथवा कानून तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक समाज की प्रत्यक्ष भागीदारी न हो। इसके लिए सरकार के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं को मिलकर समाज के उन प्रबुद्ध सम्मानित तथा प्रभावशाली लोगों के साथ संवाद करना होगा जिनकी बात समाज में मानी जाती है। सरल भाषा में जिनका कहा टाला नहीं जाता। जिस मानसिकता का निर्माण कई सदी में हुआ हो उसे बदलने के लिए जादू नहीं बनायी जा सकती। परंतु यह भी सत्य है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
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