भारत में संसाधन विकास पर एक निबंध लिखिए। MPPSC 2014 Question Answer in Hindi
भारत में संसाधन विकास पर एक निबंध लिखिए?
भारत में संसाधन विकास पर एक निबंध लिखिए?
सामान्यतः संसाधनों से आशय उस माल से है जिसका प्रयोग करके अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हम संसाधनों को दो भागों में वर्गीकृत करते हैं।
1. भौतिक संसाधन -
जल खनिज वन आदि ये भौतिक संसाधन अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं।
2. मानव संसाधन
मानजाति को भी एक संसाधन के रूप में माना जाता है क्योंकि यह भी अर्थव्यवस्था में योगदान करती है।
जिस तरह प्रकृति से प्राप्त कच्चे उत्पाद कम उत्पादक होते हैं उसी तरह मानव संसाधन जिनमें कुशलता की कमी है वे भी अर्थव्यवस्था में सीमित ही योगदान करते हैं। इसीलिए आवश्यक है कि मानव संसाधनों को आवश्यकता के अनुरूप विकसित किया जाए। मानव संसाधन के विकास की इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कारक है शिक्षा । शिक्षा के माध्यम से ही उपलब्ध मानव संसाधन में अपेक्षित दक्षता और कुशलता पैदा की जा सकती है।
मानव संसाधन विकास में शिक्षा की उपयोगिता
मानव संसाधन में शिक्षा के महत्व को निम्न बिन्दुओं में अंतर्गत देखा जा सकता-
1. बुद्धि और तर्क का विकास
शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति में वृद्धि और तर्क का विकास होता है। यह सामाय बुद्धि और तर्क ही शिक्षित और अशिक्षित मानव संसाधन में अंतर पैदा करते हैं। बुद्धि और तर्क युक्त मानव संसाधन ज्यादा उत्पादक होता है।
कौशल का विकास
2. शिक्षा के माध्यम से मानव संसाधन में अपेक्षित कौशल का विकास किया जा सकता है, जो अर्थव्यवस्था में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से योगदान देता है.
3. सीखने / समझने की क्षमता का विकास-
शिक्षा / के माध्यम से व्यक्ति दूसरों के विचारों को बेहतर तरीके से समझ सकता है। साथ ही व्यक्ति की सीखने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति अपने विचार बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकता है। इन सभी योग्यताओं से युक्त मानव संसाधन ज्यादा उत्पादक होता है।
4. अर्थव्यवस्था के लाभ-
मानव संसाधनों का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होता है। बिना शिक्षा के मानव संसाधन, अर्थव्यवस्था में सीमित योगदान ही दे पाता है, जिससे कि अर्थव्यवस्था भी अल्पविकसित बनी रहती है। यदि इसी मानव संसाधन का शिक्षा के माध्यम से विकास किया जाए तो अर्थव्यवस्था अपने ईस्टतम स्तर को प्राप्त कर सकती है।
5 बेरोजगारी और गरीबी का निदान -
भारत में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ रही है और इस बेरोजगारी का प्रमुख कारण अधिकतर जनसंख्या का निरक्षर होना। यदि इन मानवीय संसाधनों का शिक्षा के माध्यम से विकास किया जाएगा तो निश्चय ही बेरोजगारी की दर में कमी होगी। वेरोजगारी में कमी का प्रभाव गरीबी में भी नकारात्मक रूप से पड़ेगा।
6. उद्योगों की आवश्यकता की पूर्ति
मानव संसाधन का सबसे ज्यादा उपयोग उद्योगों में होता है लेकिन उद्योगों के लिए आवश्यक कौशलयुक्त मानव संसाधन न मिलने से रोजगार और उद्योगों के बीच असंतुलन की स्थिति बनी रहती है।
भारत में मानव संसाधन विकास और शिक्षा से संबंधित समस्याए
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि मानव संसाधन विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन इस संबंध में कुछ मूलभूत समस्याएँ भी विद्यमान है। जैसे
- भारत में सर्वव्यापक और सर्वसुलभ शिक्षा के आधारभूत ढाँचे की कमी है। जिस वजह से भी मानव संसाधन विकास के अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
- भारत में वर्तमान समय में जो शिक्षा प्रदान की जा रही इसमें गुणवत्ता संबंधी समस्याएँ भी हैं। पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बिना मानव संसाधन विकास का स्वप्न अधूरा ही रहेगा। वर्तमान में दी जा रही शिक्षा और उद्योगों की आवश्यकता में असंतुलन बना हुआ है। यह असंतुलन मानव संसाधन विकास के लिए चुनौती है।
वर्तमान समय में उच्च तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा का व्यवसायीकरण और निजीकरण हो गया है। जिससे कि सामान्य जनता इस मंहगी शिक्षा को प्राप्त करने में असक्षम है।
भारत में शिक्षा से संबंधित किए गए प्रयास
मानव संसाधन विकास में शिक्षा की भूमिका को ध्यान में रखते हुये केन्द्र और राज्य सरकारों ने समय-समय पर कार्य किए हैं जिसका वर्णन इस प्रकार है
- सभी क्षेत्रों और वर्गों शिक्षा की परिधि में लाने के लिए शिक्षा के अधिकार के माध्यम से अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये पाठ्यक्रमों में सुधार तथा शिक्षक शिक्षण को वरीयता दी जा रही है।
- समाज के कमजोर वर्गों तथा महिला शिक्षा के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं जैसे- छात्रवृत्ति योजना उच्च अध्ययन के लिए अनुदान आदि ।
- राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क गणवेश पाठ्य सामग्री तथा साइकिल वितरण जैसी योजना संचालित की जा रही है।
- शिक्षा को व्यावसायिकता से जोड़ने के लिए विभिन्न विशेष व्यावसायिक संस्थान स्थापित किए गए हैं जैसे- ITI, पॉलीटेक्निक, NCBT आदि ।
संक्षेपतः कहा जा सकता है कि मानव संसाधन विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन भारत में इस संबंध में अभी तक किए गए प्रयास अपर्याप्त हैं। साथ ही इन प्रयासों में गुणवत्ता की कमी है। समावेशी विकास के लक्ष्यों को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि इस संबंध में समन्वित प्रयास किए जाएँ जिससे केन्द्र राज्य और निजी क्षेत्र अपना योगदान दे सकें।
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