जैव तकनीकी पर टिपण्णी लिखिए ? | MPPSC Mains 2014 Question Answer

जैव तकनीकी पर टिपण्णी लिखिए ?

जैव तकनीकी पर टिपण्णी लिखिए ? | MPPSC Mains 2014 Question Answer

जैव तकनीकी पर टिपण्णी लिखिए ? 

उत्तर- 

जैव प्रौद्योगिकी- जीवों या उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग करके मनुष्यों के लिए मूल्यवान वस्तुओं का उत्पादन करना तथा जैव-विविधता में संतुलन को बने रहने देना ही जैव प्रोद्योगिकी है। 

जैव-प्रौद्योगिकी का चिकित्सा में उपयोग जैव-प्रौद्योगिकी के चिकित्सा में उपयोग को हम निम्न बिंदुओं में देख सकते हैं- 

1. जैव-प्रौद्योगिकी पुनर्योजन DNA (Recombinant (DNA) तकनीकी के माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्व है। इसके द्वारा उत्पन्न सुरक्षित व अत्यधिक प्रभावी चिकित्सा औषधियों का निर्माण किया जा सकता है। 


2. जैव-प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रतिरक्षा क्षेत्र (immuned system) को मजबूत बनाने वाले सस्ते टीकों का निर्माण सम्भव हुआ है।

 

3. वायो-डायग्नॉस्टिक किट का प्रयोग करके असाध्य रोगों का पता लगाकर उनका उपचार किया जा सकता है। 

4. जैव-प्रौद्योगिकी से प्रोटीन जैसे इन्टरफेरोन (inter feron ), इन्सुलिनसोमोट्रस्पिन जैसे वृद्धि हार्मोनों का उत्पादन सम्भव है। 

5. जैव-प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा एन्जाइमों जैसे यूरोकिनेस का उत्पादन किया जा सकता है। 

6. जैव-प्रौद्योगिकी के माध्यम से जेनेटिकली इंसुलिन का उत्पादन संभव हो पाया है जिससे मधुमेह जैसे रोगों में महत्वपूर्ण सहायता मिली है। 

7. आनुवांशिक रोगों के उपचार के लिए जीन थैरेपी ने नए अवसर उपलब्ध करवाए हैं। 

जैव-प्रोद्योगिकी की सहायता से रोगों की पहचान में भी सहायता मिली है। पहले रोग के प्रभावी उपचार के लिए परंपरागत विधियों (सीरम व मूल विश्लेषण) का सहारा लिया जाता था। लेकिन यह जाँच भी रोग की प्रारंभिक अवस्था में उपयोगी नहीं होती है। 

जैव-प्रद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा विकसित "एलाइज" के माध्यम से रोग की प्रारंभिक पहचान की जा सकती है।

 

9. वर्तमान में DNA टीकों का विकास किया जा रहा है। DNA टीकों का प्रयोग वैसी बीमारियों के विरुद्ध किया जाएगा जो प्रभावकारी टीके के विकास के लिए एक चुनौती बने हुए हैंजैसे- मलेरियाटी. बी. और H. I. V. आदि।

 

10. जैव-प्रौद्योगिकी के माध्यम से विकसित प्रोटीन इंटरफेरान (Interferon) एक शक्तिशाली एन्टीवायरल (Anti viral Agent) है। इंटरफेरान कई प्रकार के वायरसों से उत्पन्न बीमारियों में काफी प्रभावकारी है। इसके द्वारा विषाणु रोगों (Viral Diseases) जैसे सर्दीहरपीजहेपेटाइटिस एवं विभिन्न प्रकार के कैंसर को रोका जा सकता है।

 

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि विभिन्न तकनीकी नवाचारों तथा जैव-प्रौद्योगिकी ने मानव स्वास्थ्यप्रतिरक्षा शास्त्र तथा प्रतिरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए हैं लेकिन साथ ही मानव क्लोनिंग और ट्रांसजेनिक फसलों के दुष्प्रभाव जैसे नैतिक मुद्दे भी पैदा हो गए हैं। इसलिए आवश्यक है तकनीकों का प्रयोग मानव स्वास्थ्य व हित में तथा ग्रामीण गरीब जनों के लिए किया जाना चाहिए।

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