संक्रामक बीमारी एवं उपचार पर टिपण्णी लिखिए ? | MPPSC Mains Answer in Hindi
संक्रामक बीमारी एवं उपचार पर टिपण्णी लिखिए?
संक्रामक बीमारी एवं उपचार पर टिपण्णी लिखिए ?
उत्तर-
संक्रामक कुछ रोग ऐसे होते हैं जो एक-दूसरे के संपर्क से फैलते हैं। ये संक्रामक रोग कहलाते हैं। संक्रामक रोग कई प्रकार के सूक्ष्मजीवों के द्वारा होते हैं। ये सूक्ष्मजीव विभिन्न माध्यमों, वाहकों के द्वारा रोगी से स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में प्रवेश करके रोग फैलाते हैं। इनके फैलने के कुछ माध्यम इस प्रकार हैं-
1. वायु द्वारा-
वायु में उपस्थित अनेक सूक्ष्मजीव साँस या खुले घावों द्वारा स्वस्थ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वायु द्वारा फैलने वाले कुछ सामान्य रोग हैं- खसरा, क्षयरोग (टी.बी.), सर्दी-जुकाम आदि। सर्दी के रोगी के छींकने से रोगाणु वायु में पहुँचते हैं तथा वहाँ से साँस द्वारा स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में पहुँचकर उन्हें अस्वस्थ कर देते हैं।
2. जल एवं भोजन-
अनेक रोगों के सूक्ष्मजीव दूषित जल एवं भोजन में उपस्थित रहते हैं। इन्हें ग्रहण करने से ये रोगाणु (सूक्ष्मजीव) स्वस्थ शरीर में पहुँचकर विभिन्न प्रकार के रोग जैसे टाइफाइड, हैजा आदि फैलाते हैं।
3. कीटों द्वारा -
कुछ रोगों के सूक्ष्मजीव मच्छर, मक्खी आदि जीवों के शरीर में पलते हैं। जब ये हमें काटते हैं या हमारे भोजन पर बैठते हैं तो रोगों के रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उदाहरण- हैजा, मलेरिया, आदि ।
4. संपर्क द्वारा
कुछ रोग ऐसे हैं जो रोगी व्यक्ति के शरीर या उसकी वस्तुओं के संपर्क द्वारा फैलते हैं। जैसे दाद, खाज-खुजली, आँखें आना (कन्जक्टिवाइटिस) आदि।
प्रमुख संक्रामक रोगों के लक्षण एवं बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-
1. हैजा -
जब कभी बड़ी-बड़े सम्मेलन होते हैं, मेला लगता है, जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ अधिक होती है, ऐसे स्थानों पर हैजा होने की आशंका ज्यादा होती है। इसका मुख्य कारण साफ-सफाई का नहीं होना है, जिससे भोजन व जल प्रदूषित होता है और लोगों द्वारा दूषित भोजन एवं जल को ग्रहण कर लिया जाता है, जो रोग का कारण बनता है।
हैजा सूक्ष्मजीव -
विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु से होता है । हैजा रोग से प्रभावित होने वाले अंग- पेट तथा आँत हैं।
हैजे के लक्षण-
उल्टियाँ होने लगती हैं। जलीय दस्त होते हैं। मांसपेशियाँ ऐंठने लगती हैं। शरीर में जल की कमी होने लगती है। बुखार भी आ सकता है। तेज प्यास लगती है। जीभ सूखने लगती है आँखे धँसने लगती हैं। पानी की अत्यधिक कमी से मृत्यु भी हो सकती है। बचाव- यदि आस-पास हैजा फैलने की खबर मिलती है तो हमें निम्न सावधानियाँ रखना चाहिए-
1. पानी को उबालकर पीना चाहिए।
2. भोजन को स्वच्छ स्थान पर हमेशा ढँक कर रखना चाहिए।
3. मल-मूत्र, सड़ी-गली वस्तुओं के निस्तारण की उचित व्यवस्था करना चाहिए।
4. रोगी के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए।
5. हैजे का टीका लगवाना मेले, बाढ़, सम्मेलनों के अवसर पर हैजे का टीका लगवाना चाहिए। इससे छः माह तक सुरक्षित रह सकते हैं।
हैजे का नियंत्रण-
निर्जलीकरण से बचने के लिए जीवन रक्षक घोल पीना चाहिए।
भली-भाँति पके हुए भोजन तथा उबले हुए पानी का उपयोग करना चाहिए। हैजे के लक्षण जैसे ही दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक के पास जाकर इलाज करवाना चाहिए।
2. क्षयरोग (टी.बी.)
टी.बी. का पूरा नाम "ट्यूबरकुलोसिस " है। यह बहुत खतरनाक बीमारी है। जिस स्थान पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है, ताजी हवा नहीं होती। ऐसे स्थान पर इस रोग के जीवाणु पाए जाते हैं।
क्षयरोग सूक्ष्मजीव माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु द्वारा होता है। क्षयरोग आहार नली हड्डियों एवं मुख्य रूप से श्वसन तंत्र, फेफड़ों की बीमारी है, परन्तु शरीर के अन्य अंगों में से भी क्षय रोग का संक्रमण हो सकता है।
(क्षयरोग के लक्षण)
- भूख नहीं लगना ।
- वजन घटने लगता है। कमजोरी बढ़ने लगती है।
- लंबे समय तक लगातार सर्दी एवं कफ रहता है। कम ताप का बुखार बना ही रहता है।
- कभी-कभी थूक के साथ रक्त निकलता है।
- छाती में दर्द रहता है।
- ज्यादा चलने पर साँस फूलती है। लसिका ग्रंथि फूल जाती है।
- बचाव- क्षयरोग संक्रामक रोग है।
- सावधानियाँ क्षयरोगी को अन्य व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए।
- रोगी की वस्तुएँ वस्त्र, बर्तन आदि के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- बचपन में ही (9 माह के बच्चे को) बी.सी.जी. (बैसिलस कैलेमेटि ग्लूरीन) के टीके लगवाना चाहिए।
क्षयरोग के लक्षण दिखाई देने पर निम्नलिखित जांच करवा लेना चाहिए।
- थूक की जाँच, सीने का एक्स रे, ट्यूबरकुलिन जाँच करवाना चाहिए।
- प्रतिजैविक से रोगों का उपचार किया जाना चाहिए।
- क्षयरोगी को निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए खाँसते समय अपना मुँह ढँक ले। कहीं भी थूके नहीं।
- छोटे बच्चों से दूर रहें। ज्यादा से ज्यादा समय खुले वातावरण में रहें।
- रोगी को चिकित्सक के निर्देशानुसार दवाइयों को अवश्य लेना चाहिए।
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