मध्यप्रदेश में शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम | MPPSC Mains Question Answer 2014 in Hindi
मध्यप्रदेश में शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम
मध्यप्रदेश में शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम
उत्तर- म.प्र. में शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं
शिशु उत्तरजीविता तथा सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम (सी.एस.एस.एम.पी.)
- भारत में मातृ मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म) तथा शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म) बहुत ऊँची है। यह दर विकसित देशों की तुलना में लगभग दस गुना अधिक है। एक राज्य से दूसरे राज्य में तथा एक जिले से दूसरे जिले में इन आँकड़ों में बहुत भिन्नता है। उच्च मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर का कारण सेवाओं का अल्प उपयोग, उपलब्ध सुविधा के बारे में जानकारी का अभाव, सेवाओं का पहुँच में न होना, उपचार के पारम्परिक तरीकों में विश्वास, महिलाओं का अल्प शिक्षा स्तर तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ उचित संपर्क न होना है। हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में अभी तक कार्यक्रम विशेष पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, न कि माताओं तथा बच्चों की समुचित आवश्यकताओं पर। सी.एस.एस.एम.पी. कार्यक्रम का उद्देश्य माताओं तथा शिशुओं की स्वास्थ्य और बीमारियों संबंधी समग्र आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर एक पैकेज के रूप में मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है। इस कार्यक्रम को 1991 में देश के 100 जिलों में प्रारंभ किया गया था, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश राज्यों को कवर किया गया।
'समन्वित बाल विकास सेवा योजना (आई.सी.डी.एस.)
- बच्चों के सम्बन्ध में अपनाई गई राष्ट्रीय नीति का अनुसरण करते हुए समन्वित बाल विकास सेवा योजना 2 अक्टूबर 1975 को 33 विकासखण्डों में प्रयोगात्मक आकार पर प्रारंभ की गई थी। इस योजना की सफलता को देखते हुए मार्च 1991 के अंत तक इस योजना का व्यापक विस्तार हुआ तथा इसके अंतर्गत संभावित परियोजनाओं की संख्या 2400 हो गई। वर्ष 1991-92 में 75 नई परियोजनाएँ प्रारंभ की गईं। भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित यह सबसे बड़ा पोषण कार्यक्रम है। इस समय 1.85 लाख आँगनवाड़ियाँ 142.52 लाख बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पूरक पोषण प्रदान करने में लगी हुई हैं।
गतिविधियाँ- कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं-
पूरक पोषण
प्रतिरक्षीकरण (टीकाकरण)
स्वास्थ्य संबंधी जाँच
रैफरल सेवा/ संदर्भ सेवाए
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