पूरक पोषण कार्यक्रम हेतु शासकीय योजनायें : प्रधानमंत्री पोषण योजना’ | PM Poshan Yojna
पूरक पोषण कार्यक्रम हेतु शासकीय योजनायें : प्रधानमंत्री पोषण योजना’
‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’
यह योजना स्कूलों में
मिड-डे मील योजना के मौजूदा राष्ट्रीय कार्यक्रम का स्थान लेगी।
इसे पाँच वर्ष (2021-22 से 2025-26) की शुरुआती अवधि के लिये
लॉन्च किया गया है।
मिड-डे मील योजना
‘मिड-डे मील योजना’ शिक्षा मंत्रालय के तहत
एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1995 में शुरू किया गया था।
यह प्राथमिक शिक्षा के
सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य हेतु दुनिया के सबसे बड़े
स्कूली भोजन कार्यक्रमों में से एक है।
इसके तहत कक्षा I से VIII में पढ़ने वाले छह से
चौदह वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान करने का प्रावधान
शामिल है।
खाद्यान्न की अनुपलब्धता
अथवा अन्य किसी कारण से यदि विद्यालय में मध्याह्न भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकार आगामी माह
की 15 तारीख तक खाद्य सुरक्षा
भत्ता का भुगतान करेगी।
प्रधानमंत्री पोषण योजना के बारे में
यह योजना देश भर के 11.2 लाख से अधिक स्कूलों में कक्षा I से VIII तक नामांकित 11.8 करोड़ छात्रों को कवर करेगी।
प्राथमिक (1-5) और उच्च प्राथमिक (6-8) स्कूली बच्चे वर्तमान में
प्रत्येक कार्य दिवस में 100 ग्राम और 150 ग्राम खाद्यान्न प्राप्त
करते हैं, ताकि न्यूनतम 700 कैलोरी सुनिश्चित की जा
सके।
इस योजना के तहत सरकारी
और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में चल रहे प्री-प्राइमरी या
बालवाटिका में पढ़ने वाले छात्रों को भी भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
बालवाटिका एक प्रकार के
प्री-स्कूल होते हैं, जिन्हें बीते वर्ष सरकारी
स्कूलों में औपचारिक शिक्षा प्रणाली में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल
करने के लिये शुरू किया गया था।
पोषाहार उद्यान:
इसके तहत सरकार, स्कूलों में ‘पोषाहार उद्यानों’ को बढ़ावा देगी। छात्रों
को अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने हेतु उद्यान स्थापित किये जायेंगे।
पूरक पोषण:
नई योजना में आकांक्षी
ज़िलों और एनीमिया के उच्च प्रसार वाले बच्चों के लिये पूरक पोषण का भी प्रावधान
है।
यह गेहूँ, चावल, दाल और सब्जियों के लिये
धन उपलब्ध कराने हेतु केंद्र सरकार के स्तर पर मौजूद सभी प्रतिबंध और चुनौतियों को
समाप्त करता है।
वर्तमान में यदि कोई
राज्य मेनू में दूध या अंडे जैसे किसी भी घटक को जोड़ने का निर्णय लेता है, तो केंद्र सरकार अतिरिक्त
लागत वहन नहीं करने संबंधी प्रतिबंध को हटा लिया गया है।
तिथि भोजन की अवधारणा:
तिथिभोजन (Tithi Bhojan) की अवधारणा को व्यापक रूप
से प्रोत्साहित किया जाएगा।
तिथि भोजन एक सामुदायिक
भागीदारी कार्यक्रम है जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्योहारों पर बच्चों को विशेष भोजन
प्रदान करते हैं।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण
(DBT):
केंद्र सरकार राज्यों से
स्कूलों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) सुनिश्चित करेगी, जो इसका उपयोग भोजन पकाने की लागत को कवर करने के लिये
करेगी।
पहले राज्यों को धन
आवंटित किया जाता था, जिसमें ज़िला और तहसील
स्तर पर एक नोडल मध्याह्न भोजन योजना प्राधिकरण को भेजने से पहले धन का अपना
हिस्सा शामिल होता था।
इसके माध्ययम से यह
सुनिश्चित करना है कि ज़िला प्रशासन और अन्य अधिकारियों के स्तर पर कोई चूक न हो।
पोषण विशेषज्ञ:
प्रत्येक स्कूल में एक
पोषण विशेषज्ञ नियुक्त किया जाना है, जिसकी ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि बॉडी मास इंडेक्स
(BMI), वज़न और हीमोग्लोबिन के
स्तर जैसे स्वास्थ्य पहलुओं पर ध्यान दिया जाए।
योजना का सामाजिक लेखा
परीक्षा:
योजना के कार्यान्वयन का
अध्ययन करने के लिये प्रत्येक राज्य में प्रत्येक स्कूल हेतु योजना का सामाजिक
लेखा परीक्षा भी अनिवार्य किया गया है, जो अब तक सभी राज्यों द्वारा नहीं किया जा रहा था।
शिक्षा मंत्रालय स्थानीय
स्तर पर योजना की निगरानी के लिये कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को भी शामिल
करेगा।
फंड शेयरिंग:
1.3 लाख करोड़ रुपए की कुल
अनुमानित लागत में से केंद्र 54,061 करोड़ रुपए वहन करेगा, जिसमें राज्य 31,733 करोड़ रुपए (45,000 करोड़ रुपए खाद्यान्न के लिये सब्सिडी के रूप
में केंद्र द्वारा जारी किए जायेंगे) का भुगतान करेंगे।
आत्मनिर्भर भारत हेतु
वोकल फॉर लोकल:
योजना के कार्यान्वयन में
किसान उत्पादक संगठनों (FPO)
और महिला स्वयं सहायता
समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्थानीय आर्थिक विकास को
बढ़ावा देने के लिये स्थानीय रूप से निर्मित जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थों के
उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
चुनौतियाँ:
पोषण लक्ष्यों को पूरा
करना:
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत विश्व के उन 88 देशों में शामिल है, जो संभवतः वर्ष 2025 तक ‘वैश्विक पोषण लक्ष्यों’ (Global Nutrition Targets) को प्राप्त करने में सफल
नहीं हो सकेंगे।
गंभीर 'भुखमरी' स्तर:
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा है।
भारत में भुखमरी का स्तर 'गंभीर' (Serious) है।
कुपोषण का खतरा:
राष्ट्रीय परिवार
स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 के अनुसार, देश भर के कई राज्यों ने
कुपोषण की स्थिति में सुधार के बावजूद एक बार पुनः कुपोषण के मामलों में वृद्धि
दर्ज की है।
भारत में विश्व के लगभग 30% अल्पविकसित बच्चे और
पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 50% गंभीर रूप से कमज़ोर बच्चे हैं।
अन्य:
भ्रष्ट आचरण और जातिगत
पूर्वाग्रह तथा भोजन परोसने में भेदभाव।
आहार एवं पोषण की अवधारणायें सम्पूर्ण अध्ययन के लिए यहाँ क्लिक करें
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