भोजन में प्रोटीन के स्रोत | प्रोटीन का पाचन व अवशोषण| प्रोटीन के कार्य | Protean Source in Food

भोजन में प्रोटीन के स्रोत , प्रोटीन का पाचन व अवशोषण,  प्रोटीन के कार्य

भोजन में प्रोटीन के स्रोत | प्रोटीन का पाचन व अवशोषण|  प्रोटीन के कार्य | Protean Source in Food
 

भोजन में प्रोटीन के स्रोत

प्रोटीन पशु जगत तथा वनस्पति जगत दोनों साधनों से प्राप्त होता है। पशु वनस्पति प्रोटीन का उपयोग कर अपने शरीर के अनुरूप बना लेता है। मनुष्य पशु एवं वनस्पति दोनों माध्यम से प्रोटीन का उपयोग करता है। पशु प्रोटीन हमारे शरीर के अधिक समान होता हैअतः पशु जगत से प्राप्त प्रोटीन अधिक उपयोगी होता है जैसे- माँसमछलीअण्डापक्षीदूधपनीर आदि। कुछ वनस्पति प्रोटीन भी हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होता है जैसे सोयाबीनसूखे मेवेमूंगफली आदि। फल एवं सब्जियों का प्रोटीन अत्यन्त निम्न कोटि का होता है।

 

कुछ प्रमुख भोज्य पदार्थों की प्रोटीन की मात्रा

 

कुछ प्रमुख भोज्य पदार्थों की प्रोटीन की मात्रा

प्रोटीन की दैनिक आवश्यकताएँ

 

प्रोटीन की दैनिक मात्रा के लिए इकाई के अंत में दी गई तालिका देखें ।

 

प्रोटीन का पाचन व अवशोषण

 

प्रोटीन का अपने सरलतम रूप अर्थात अमीनो अम्ल में परिवर्तन ही उसका पाचन है। पाचन की यह क्रिया मुंह से सम्भव नहीं हो पाती क्योंकि प्रोटियोलाइटिक एन्जाइम (प्रोटीन को तोड़ने वाले एन्जाइम) यहां उपस्थित नहीं रहते। आमाशयिक रस (Gastric juice) में प्रोटीन पर क्रिया करने वाले पेप्सिन व रेनिन एन्जाइम उपस्थित रहते हैंपरन्तु पेप्सिन अक्रियाशील अवस्था में रहता है। आमाशय में पाया जाने वाला हाइड्रोक्लरिक अम्ल इसे क्रियाशील रूप में ले आता है। रेनिन इन्जाइम दूध पर क्रिया कर उसके प्रोटीन केसीन को जमा देता है। पेप्सिन की क्रिया से अपघटित होकर प्रोटीन पेप्टोन व पेप्टाइड में बदल जाते हैपक्वाशय (Duodenum) के रस में ट्रिप्सिनोजन तथा काइमोट्रिप्सिनोजन एन्जाइम निष्क्रिय अवस्था में पाये जाते हैं। छोटी आँत से निकलने वाला एन्ट्रोकाइनेज एन्जाइम इन पर क्रिया कर उन्हें अपने क्रियाशील रुप ट्रिपसिन व काइमोट्रिपसिन में बदल देते हैं। प्रोटीन पर इन दोनों की क्रिया होती हैपरिणामस्वरुप पॉलीपेप्टाइड व पेप्टाइड प्राप्त होते हैं। अन्त में आँतों में पाये जाने वाले इरेप्सिन इन्जाइम की क्रिया से प्रोटीन अमीनो अम्ल में परिवर्तित हो जाते है। यहाँ पाये जाने वाले “विलाई' (villi) प्रोटीन को अवशोषित कर रक्त प्रवाह में पहुचाते हैं जहाँ से ये कोशिकाओं द्वारा उपयोग में लाये जाते हैं। रक्त प्रवाह से यह यकृत में भी लाये जाते हैं जहाँ इन पर विभिन्न चयापचय की क्रियाएं सम्पन्न होती हैं।

 

प्रोटीन के कार्य

 

प्रोटीन शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक एवं उपयोगी तत्व । यह तत्व न केवल शरीर के निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक हैंवरन् शरीर के रखरखाव के लिए भी इनका विशेष महत्व है। प्रोटीन की शरीर के लिए उपयोगिता एवं आवश्यकता प्राणी की 'भ्रूणावस्थासे ही प्रारम्भ हो जाती है तथा जब तक शरीर रहता हैतब तक किसी न किसी मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता बनी रहती है। शरीर के लिए प्रोटीन के कार्यों एवं उपयोगिता का परिचय निम्नलिखित विवरण द्वारा प्राप्त होता है:

 

(1) शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए उपयोगी - 

शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्थान है। भ्रूणावस्था से ही जैसे-जैसे शरीर का विकास होता हैवैसे-वैसे और अधिक मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

 

(2) शरीर की क्षतिपूर्ति एवं रखरखाव के लिए उपयोगी- 

हमारे शरीर की कोशिकाओं में निरन्तर टूटफूट होती रहती हैइसलिए क्षतिपूर्ति आवश्यक है। शरीर की इस क्षतिपूर्ति के लिए प्रोटीन सहायक है। यह शरीर के नए तन्तुओं के निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करता हैइसलिए यदि कोई दुर्घटनावश शरीर में चोट लग जाएकट जाए या जल जाए तो शरीर के पुनः स्वस्थ होने के लिए उसे अतिरिक्त मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। किसी कटे स्थान से बहने वाले रक्त को रोकने में भी प्रोटीन सहायक होती है। हमारे रक्त में फाइब्रिन नाम प्रोटीन होती है जो रक्त का थक्का बनाती हैफलस्वरुप रक्त का बहना रुक जाता है।

 

(3) शरीर में ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी- 

शरीर में आवश्यक ऊर्जा के उत्पादन के लिए भी प्रोटीन उपयोगी है। एक ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में वसा व कार्बोज प्राप्त नहीं होतेतब शरीर को प्रोटीन से ही ऊर्जा एवं शक्ति प्राप्त होती है।

 

(4) एंजाइम्स तथा हार्मोंस के निर्माण के लिए उपयोगी- 

शरीर के सुचारु रुप से कार्य करने के लिए एंजाइम्स तथा हार्मोस का विशेष महत्व है। विभिन्न एंजाइम्स तथा हार्मोस के निर्माण में प्रोटीन विशेष रुप से सहायक होती है। शरीर के लिए उपयोगीविभिन्न नाइट्रोजनयुक्त यौगिकों के निर्माण में भी प्रोटीन सहायक होती है।

 

(5) रोग-निरोधक क्षमता उत्पन्न करने में उपयोगी-

 शरीर पर विभिन्न रोगों का आक्रमण होता रहता हैपरन्तु शरीर अपनी स्वाभाविक रोग निरोधक क्षमता के कारण स्वस्थ बना रहता है। प्रोटीन शरीर में इस रोग निरोधक क्षमता को उत्पन्न करने एवं बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

(6) विभिन्न क्रियाओं में सहायक 

प्रोटीन शरीर की विभिन्न महत्वपूर्ण क्रियाओं में भी सहायक - होता है। यह रक्त के प्रवाह को सुचारु बनाने में सहायक होता है। शरीर के रक्त संगठन को भी संतुलित बनाए रखने में प्रोटीन सहायक होता है।

 

वास्तव में प्रोटीन एक ऐसा तत्व हैजो प्रारम्भ से अन्त तक शरीर के निर्माणविकासवृद्धि तथा रखरखाव के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी एवं आवश्यक है।


आहार एवं पोषण की अवधारणायें सम्पूर्ण अध्ययन के लिए यहाँ क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.