संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका? | Role of UPSC in Hindi
संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका?
संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका?
उत्तर-
- संघ लोक सेवा आयोग के कार्य एवं भूमिका निम्न हैं भारत में लोक सेवा आयोग के गठन की प्रक्रिया भारत सरकार अधिनियम (1919) से प्रारम्भ हुई। इस अधिनियम के तहत भारत की लोक सेवाओं में नियुक्ति और नियंत्रण में सरकार को वही कार्य करने थे जो भारत सचिव की परिषद के द्वारा तय किए जाते। भारत सरकार अधिनियम, 1919 की धारा 96-C के अंतर्गत भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान था, जिसमें अध्यक्ष सहित पाँच से अधिक सदस्य नहीं होते। इनकी नियुक्ति भारत सचिव की परिषद के द्वारा होती थी।
- 1924 में ली आयोग ने भी एक केन्द्रीय लोक सेवा आयोग के गठन की सिफारिश की थी। इस प्रावधान के तहत भारत में पहली बार 1926 में लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 264 के अंतर्गत प्रान्तीय लोक सेवा आयोगों के साथ-साथ एक संघीय लोक सेवा आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया। इसके फलस्वरूप 1 अप्रैल 1937 से तत्कालीन केन्द्रीय लोक सेवा आयोग को फेडरल लोक सेवा आयोग (एफ.पी.एस.सी.) कहा जाने लगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के अनुसार, "भारत में केन्द्रीय स्तर पर एक संघ लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए पृथक रूप से एक लोक सेवा आयोग की व्यवस्था होगी।" अतः 26 जनवरी, 1950 से फेडरल लोक सेवा आयोग संघ लोक सेवा आयोग कहलाने लगा।
संविधान की धारा 320 में संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों का विवरण है, जो इस प्रकार है-
1. लोक सेवाओं में नियुक्ति के तरीके से संबंधित सभी मामलों और सिद्धान्तों पर सरकार को सलाह देना। यह सरकार को लोक सेवा में सीधे प्रवेश या पदोन्नति के माध्यम से प्रवेश दोनों विषयों में सरकार को सलाह दे सकता है।
2. अखिल भारतीय और केन्द्रीय सेवा जैसी विविध सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाएँ आयोजित करना ।
3. सेवा में सीधे प्रवेश के लिए उम्मीदवारों से साक्षात्कार करना।
4. स्थानान्तरण या प्रोन्नति के लिए उम्मीदवारों की उपयुक्तता पर सरकार को सलाह देना ।
5. अस्थायी नियुक्तियों (एक साल से अधिक तथा तीन साल से कम के लिए), निश्चित अवकाश प्राप्त अधिकारियों के पुनर्नियोजन जैसे मामलों में आयोग से सलाह ली जाती है।
6. लोक सेवकों को प्रभावित करने वाले सभी अनुशासनात्मक विषयों पर सरकार को सलाह देना ।
7. नियुक्तियों के स्थायीकरण, पेंशन दावे, सरकारी कार्य करने के क्रम में किसी अधिकारी पर चल रहे मुकदमे के खर्चे व ड्यूटी के दौरान पहुँची किसी चोट या क्षति के लिए प्रणाली से अलग रखना है, जो मुख्य परीक्षा में बैठने योग्य नहीं है। यह ऊपर से तो सही लगता है, लेकिन इसके कारण यह परीक्षा विश्व में सबसे लम्बी नियुक्ति परीक्षा हो गई है। इस परीक्षा के कारण आवेदन पत्र भरने और अंतिम सूची जारी करने के बीच की अवधि करीब डेढ़ साल हो जाती है। प्रारम्भिक परीक्षा मई-जून में होती है। मुख्य लिखित परीक्षा नवम्बर-दिसम्बर में होती है, जबकि साक्षात्कार मार्च-अप्रैल ( अगले साल ) में आयोजित होता है। अतः एक उम्मीदवार को एक साल से अधिक समय तक पढ़ते रहना पड़ता है।
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