सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी सारांश | Subhadra Kumari Chouhan Biography in Hindi
सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी सारांश
सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी सारांश
मृत्यु 15 फ़रवरी 1948
सुभद्रा कुमारी चौहान के कार्य को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय
प्रमुखता मिली थी। सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) के निहालपुर में
हुआ था। उनकी पहली कविता तब प्रकाशित हुई थी, जब वह मात्र 9 वर्ष की थीं। विवाह के बाद वह अंग्रेज़ों के विरुद्ध महात्मा
गांधी के साथ ‘असहयोग आंदोलन’ में शामिल हो गईं और इस तरह देश की पहली महिला
सत्याग्रही बनीं। ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण
उन्हें दो बार (वर्ष 1923
और वर्ष 1942 में) जेल जाना पड़ा था।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की एक प्रतिभागी के नाते उन्होंने अपने प्रभावशाली लेखन
और कविताओं को अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिये एक हथियार के रूप में इस्तेमाल
किया। उनकी रचनाओं में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय महिलाओं की
कठिनाइयों और चुनौतियों को गंभीरता से दर्शाया गया है। उन्होंने अपने लेखन में
हिंदी की ‘खड़ी बोली’ का प्रयोग किया। उनकी विचारोत्तेजक राष्ट्रवादी कविता ‘झांसी
की रानी’ को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं
में से एक माना जाता है।
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