भारत पर WTO का प्रभाव |विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) और भारत
भारत पर WTO का प्रभाव
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) और भारत
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को वैधानिक एवं संस्थात्मक रूप देने के उद्देश्य से GATT के उरुग्वे चक्र की लम्बी वार्ता (1986 से 1993 ) के परिणामस्वरूप 1 जनवरी, 1995 को की गई थी। इसकी स्थापना उरुग्वे चक्र के समझौते पर मोरक्को के कराकश नगर में अप्रैल 1994 में गैट के 123 सदस्य राष्ट्रों के हस्ताक्षर के साथ हुई थी। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में है। इसके सदस्य देशों की संख्या 163 है। विश्व व्यापार संगठन में सभी सदस्यों को बराबरी का दर्जा हासिल है।
विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य
(1) जीवन स्तर में वृद्धि करना ।
(2) पूर्ण रोजगार एवं प्रभावपूर्ण मार्ग में वृहद स्तरीय, - वृद्धि करना ।
(3) वस्तुओं का उत्पादन एवं व्यापार का प्रसार करना ।
(4) सेवा के उत्पादन एवं व्यापार का प्रसार करना ।
(5) विश्व संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग करना।
(6) अविरत विकास की अवधारणा को स्वीकार करना।
(7) पर्यावरण का संरक्षण एवं उसकी सुरक्षा करना।
विश्व व्यापार संगठन और भारत
भारत 1947 में स्थापित गैट तथा 1995 में स्थापित विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य रहा है। भारत का विश्व व्यापार में अपेक्षाकृत स्वल्प भाग होने के बावजूद विश्व व्यापार संगठन में भारत की भूमिका अत्यधिक प्रभावी रही है।
1. अगले आठ वर्षों तक पेटेन्ट कानून में छूट मिलने के कारण प्राकृतिक उत्पादों के पेटेन्ट की आवश्यकता नहीं रेगी | मार्च 2005 में लागू किया गया था।
2. प्रशुल्कों में छूट प्रदान की गई है जिससे उपभोक्ताओं को भारत की अच्छी वस्तुओं के उपयोग का सुअवसर प्राप्त होगा। वस्तुओं पर 25 प्रतिशत, औद्योगिक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत तथा कृषि वस्तुओं पर 100 प्रतिशत प्रशुल्क की छूट प्रदान की गई है।
3. मई 1997 को भारत सरकार ने 9 साल तक के लिए सभी वस्तुओं एवं सेवाओं से प्रतिबन्ध समाप्त कर दिए हैं, परन्तु कुछ आयातित देशों द्वारा यह समय स्वीकार नहीं किया अपितु 6 वर्ष के लिए ही प्रतिबन्ध हटाया गया है। 4. भारत के निर्यातों में प्रतिवर्ष 150 से 200 करोड़ डॉलर के समकक्ष वृद्धि होने की आशा है।
5. विश्व व्यापार संगठन के कारण भारत को विकसित राष्ट्रों में भी अपने माल को बेचने के लिए अच्छे बाजार पहुँचाने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
6. विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता के फलस्वरूप भारत में विदेशी पूँजी निवेश में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.
7. उन्नत प्रौद्योगिकी का पयोग सम्भव हो सका।
8. विदेशी विनिमय कोषों में वृद्धि हो सकी।
9. विश्व व्यापार संगठन के सदस्य के नाते भारत वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार तथा इनसे सम्बन्धित विवादों के निपटारे हेतु संगठन में शिकायत दर्ज करवा सकता है और वहाँ अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखकर उनका उपयुक्त समाधान निकलवा सकता है.
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