संविधान में राजभाषा से संबंधित मुख्य अनुच्छेद | राजभाषा नियम, 1976| Rajbhasha Aur Samvidha
संविधान में राजभाषा से संबंधित मुख्य अनुच्छेद
संविधान में राजभाषा से संबंधित मुख्य अनुच्छेद
- संविधान के भाग 17 के अध्याय 1 में संघ की भाषा के संबंध में बताया गया है।
- अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। (2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारम्भ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अँग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था।
- परंतु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अँग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
(3) संसद उक्त 15 वर्ष की अवधि के पश्चात, विधि द्वारा
(क) अँग्रेजी भाषा का, या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएँ । अनुच्छेद 344 - राजभाषा के संबंध में आयोग (5 वर्ष के उपरांत राष्ट्रपति द्वारा) तथा बीस लोक सभा तथा दस राज्य सभा के सदस्यों को समाहित करते हुए संसद की समिति का गठन ।
अध्याय 02 में प्रादेशिक भाषाओं के संबंध में बताया गया है।
अनुच्छेद 345 -
राज्य की राजभाषा अथवा राजभाषाएँ (प्रादेशिक भाषा / भाषाएँ या हिन्दी : ऐसी व्यवस्था होने तक अँग्रेजी का प्रयोग जारी)
अनुच्छेद 346-
एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा (संघ द्वारा तत्समय प्राधिकृत भाषा; आपसी करार होने पर दो राज्यों के बीच हिन्दी)
अनुच्छेद 347 -
किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 348-
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा ।
अनुच्छेद 349-
भाषा से संबन्धित कुछ विधियाँ अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया ( राजभाषा संबंधी कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पेश नहीं किया जा सकता और राष्ट्रपति भी आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के बाद ही मंजूरी दे सकेगा)
अध्याय 04 में विशेष निदेश के संबंध में बताया गया है।
अनुच्छेद 350 -
व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा (किसी भी भाषा में)
(क) भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं।
(ख) भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति (राष्ट्रपति द्वारा)
अनुच्छेद 351
हिन्दी के विकास के लिए निदेश संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह
राजभाषा नियम, 1976
गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग की स्थापना किए जाने के बाद वर्ष 1976 में एक अत्यंत महत्वपूर्ण नियम बना जिसे राजभाषा नियम 1976 कहा जाता है और यह 28 जून 1976 की अधिसूचना के तहत राजपत्र में प्रकाशित किया गया। बाद में वर्ष 1987 में कुछ संशोधन हुए। राजभाषा नियम 1976 के अंतर्गत कुल 12 नियम हैं। इन नियमों का सही-सही अनुपालन सुनिश्चित किए जाने के बाद राजभाषा हिन्दी के प्रयोग के मार्ग में आने वाली सारी बाधाओं का निराकरण हो जाता है। इन नियमों का विस्तार तमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर लागू है। इस नियम के तहत भारत के राज्यों को क, ख और ग क्षेत्रों में विभाजित किया गया।
क्षेत्र क से
बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं।
क्षेत्र ख से
गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं ।
क्षेत्र ग से
क्षेत्र क और क्षेत्र ख में निर्दिष्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं। (जम्मू कश्मीर, आंध्रप्रदेश, - तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुदुच्चेरी, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, गोवा, त्रिपुरा, सिक्किम, दादर एवं नगर हवेली, लक्षद्वीप)
यदि इनमें कुछ महत्वपूर्ण नियमों की बात करें तो सर्वप्रथम राजभाषा नियम 5 के अनुसार केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में हिन्दी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिन्दी में दिए जाने अनिवार्य हैं। राजभाषा नियम 6 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि अधिनियम 1963 की धारा (3) के अंतर्गत जारी कागजात पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी / व्यक्ति का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह कागजात हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में हो ।
नियम 9 में हिन्दी में प्रवीणता और नियम 10 के अंतर्गत कार्यसाधक ज्ञान की परिभाषा को परिभाषित किया गया है। नियम - 11 में सभी प्रकार के मैन्युअल, संहिताओं और प्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्य की अनिवार्यतः द्विभाषिक रूप में उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात है ।
नियम - 12 कार्यालय प्रमुख के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है । इस नियम के अनुसार-
1. केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह (i) अधिनियमों और इन नियमों के उपबंधों और उप नियम
(2) के अधीन जारी किए निदेशों का समुचित अनुपालन सुनिश्चित करे और
(ii) इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी जाँच के लिए उपाय करे।
2. केन्द्रीय सरकार के अधिनियम और राजभाषा नियमों के उपबंधों के सम्यक अनुपालन के लिए अपने कर्मचारियों और कार्यालयों को समय-समय पर आवश्यक निदेश जारी कर सकता है।
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