महात्मा गाँधी का जीवन तिथि वार : भारत में वापसी भाग 3 | Mahatma Gandhi Life Chronology
महात्मा गाँधी का जीवन तिथि वार : भारत में वापसी
महात्मा गाँधी का जीवन तिथि वार
11 फरवरी 1933
'हरिजन' साप्ताहिक पत्र अंग्रेजी और हिंदी भाषा में
प्रकाशित किया।
08
मई 1933
आत्म शुद्धि के लिए 21 दिनों का व्रत।
1933
छः सप्ताह के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन भंग।
1933
व्रत समाप्त।
26 जुलाई 1933
सत्याग्रह आश्रम भंग कर (तोड़) दिया।
1933
बंबई सरकार को सूचना दी कि उन्होंने अपने 33 अनुयाइयों के साथ अमदाबाद से सविनय अवज्ञा
आंदोलन पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है।
1933
गिरफ्तार हुए और बिना मुकदमे के जेल भेज दिया
गया।
04 अगस्त 1933
रिहा हुए। लेकिन कानून तोड़ने के अपराध में फिर
गिरफ्तार।
1933
अछूतों को सुविधाएं मिलें, इसलिए व्रत रखा।
1933
रिहा किये गये। लेकिन एक बार फिर प्रतिबंधित
कानून तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार हुए।
07 नवंबर 1933
हरिजनों के उद्धार के लिए यात्रा शुरू।
17 सितंबर 1934
राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा। अब उनका उद्देश्य
गांव में उद्योगों का विकास करना, हरिजन
सेवा और उन लोगों को उनकी बुनियादी कला का ज्ञान कर शिक्षित करना था।
26 अक्तूबर 1934
'ऑल इंडिया विलेज इंडस्ट्रीज असोसिएशन' का उद्घाटन।
30 अप्रैल 1936
वर्धा के पास स्थित गाँव सेवाग्राम को अपनी
गतिविधि का मुख्य केंद्र बनाया। वहाँ बस गये।
22 अक्तूबर 1937
वर्धा में शैक्षिक कांफ्रेस को संबोधित किया।
अपने उन विचारों को भी रखा जिसके माध्यम से बुनियादी कला द्वारा शिक्षा प्राप्त
करने की बात थी।
03 मार्च 1939
'आमरण अनशन' राजकोट में शुरू। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के
विकास के लिए उन्हें दिए गये वचन के अनुसार नियम बनें। वाइसराय द्वारा खुद मामले
में मध्यस्ता और 7
मार्च को व्रत समाप्त।
जुलाई-सितंबर 1940
वाइसराय से मिलकर युद्ध की स्थिति पर चर्चा की।
अक्तूबर 1940
व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा को मान्यता। अधिकारियों
की मांग पर हरिजन और उससे संबंधित पत्रों का प्रकाशन बंद।
30 दिसंबर 1941
उनकी खुद की मांग पर उन्हें कांग्रेस कार्य
समिति के उच्च पद से पदमुक्त कर दिया गया।
18 जनवरी 1942
हरिजन और संबंधित साप्ताहिकों का प्रकाशन फिर
शुरू।
27 मार्च 1942
सर स्टैंफोर्ड क्रिप्स से नई दिल्ली में
मुलाकात।
मई 1942
ब्रिटिश सरकार से 'भारत छोड़ो' की अपील।
08 अगस्त 1942
'भारत छोड़ो आंदोलन' के लिए बंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की
बैठक को संबोधित किया, और
उसे अमल में लाने को कहा।
1942
गिरफ्तार हुए। उन्हें पूना के आगा खाँ महल में
कैद कर दिया गया।
1942
गांधीजी के सहयोगी और उनके निजी सचिव महादेव
देसाई की हार्ट फेल होने से मृत्यु।
अगस्त-दिसंबर 1942
देश के अशांत माहौल को लेकर वाइसराय और भारत
सरकार से पत्राचार।
10 फरवरी 1943
21 दिन का व्रत शुरू, जो 3 मार्च को खत्म हुआ।
22 फरवरी 1944
आगा खाँ महल में कस्तूरबा की मृत्यु।
06 मई 1944
बिना शर्त रिहा किये गये।
09-27 सितंबर 1944
मोहम्मद अल्ली जिन्ना से पाकिस्तान के संबंध
में चर्चाएँ।
02 अक्तूबर 1944
कस्तूरबा गांधी के 75 वें जन्म दिन के अवसर पर कस्तूरबा मेमोरियल के
लिए 110 लाख रुपए (8,25,000 पाउंड) की प्रस्तुति।
17 अप्रैल 1945
सॅन फ्रांसिस्कों कांफ्रेस के संबंध में यह बात
कही कि समान और मुक्त भारत का निर्माण हुए बिना शांति नहीं लाई जा सकती।
19 दिसंबर 1945
शांति निकेतन में 'सी एफ ऍन्ड्रय़ूज मेमोरियल अस्पताल' की नींव रखी।
दिसंबर-जनवरी 1945-46
बंगाल और आसाम के दौरे पर।
जनवरी-फरवरी
1946
अछूत समस्या को दूर करने और हिंदुस्तानी
सिद्धांत का प्रचार करने के इरादे से दक्षिण भारत की यात्रा।
10 फरवरी 1946
हरिजन और संबंधित साप्ताहिक समूहों में एक बार
फिर नई जान फूंकी, उसमें
नई चेतना भरी।
अप्रैल 1946
दिल्ली में कैबिनेट मिशन की राजनीतिक बैठक में
भाग लिया।
05-12 मई 1946
शिमला में, शिमला कांफ्रेस के सेशन में अपने विचार रखें, सेशन फलहीन रहा।
1946
कैबिनेट मिशन ने अपनी योजनाओं की घोषणा की।
1946
कैबिनेट मिशन के साथ योजनाओं पर चर्चा की।
1946
ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई योजनाओं
पर तर्क किये।
06 जून 1946
मैसूरी में गये।
07 जून 1946
दिल्ली वापस।
11 जून 1946
वाइसराय गांधीजी की मुलाकात, केंद्र में संयुक्त सरकार वाले प्रस्ताव पर
बहस।
16 जून 1946
वाइसराय ने अंतरिम सरकार का प्रस्ताव पेश किया।
18 जून 1946
कांग्रेस कार्यसमिति ने अंतरिम सरकार के
प्रस्ताव को स्वीकार करने का निश्चय किया।
20-21 जून 1946
कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। गांधीजी
क्रिप्स से मिले।
23 जून 1946
कांग्रेस को अंतरिम सरकार में शामिल न होने की
सलाह दी। कहा कि वह संविधान सभा में शामिल हो।
24 जून 1946
कैबिनेट मिशन से मिले।
28 जून 1946
पूना जाने के लिए दिल्ली छोड़ी।
07 जुलाई 1946
बंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की बैठक को
संबोधित किया। कांग्रेस ने कैबिनेट मिशन की 16 मई की योजना को स्वीकार किया।
31 जुलाई 1946
जिन्ना ने 'सीधी कार्रवाई' का ऐलान किया।
12 अगस्त 1946
वाइसराय ने कांग्रेस को अस्थायी सरकार बनाने के
लिए आमंत्रित किया।
16 अगस्त 1946
कलकत्ता में भीषण नरसंहार।
24 अगस्त 1946
वाइसराय वॉवेल ने योजना भेजी।
27 अगस्त 1946
बंगाल की दुखद स्थिति पर ब्रिटिश सरकार को
चेतावनी, वॉवेल को भी पत्र लिखा।
04 सितंबर 1946
अंतरिम सरकार बनी।
26 सितंबर 1946
वॉवेल से मुलाकात।
09 अक्तूबर 1946
जिन्ना ने अपनी 9 सूत्री मांग कांग्रेस के सामने रखी।
10 अक्तूबर 1946
नोआखली में खून-खराबा।
15अक्तूबर 1946
मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में शामिल होने के
लिए सहमत हुई।
28 अक्तूबर 1946
कलकत्ता के लिए प्रस्थान, बिहार के दंगे समाप्त।
06 नवंबर 1946
नोआखली यात्रा आरंभ।
20 नवंबर 1946
बिना किसी दल के यात्रा शुरू।
20 दिसंबर 1946
श्रीरामपुर में एक महीने तक रहे।
25 दिसंबर 1946
नोआखली में लोगों से मिलकर अपनी बातें कहीं।
30 दिसंबर 1946
जवाहरलाल नेहरू ने गांधीजी को बुलाया।
02 जनवरी 1947
कहा "मेरे लिए चारों ओर घोर
अंधकार है।"
पदयात्रा करते हुए श्रीरामपुर छोड़ा।
1947
बिहार के दंगा-प्रभावित क्षेत्रों में गये।
1947
दिल्ली जाने के लिए पटना से चले। नया वाइसराय माउंटबेटेन दिल्ली आया।
01-02 अप्रैल 1947
दिल्ली में आयोजित एशियन संबंधों की कांफ्रेंस
को संबोधित किया।
15 अप्रैल 1947
सांप्रदायिक शांति हेतु जिन्ना से कुछ मुद्दों
पर बातचीत।
29 अप्रैल 1947
बिहार में।
01 मई 1947
कांग्रेस कार्य समिति ने सैद्धांतिक रूप से देश
का विभाजन स्वीकार कर लिया।
24 मई 1947
बिहार छोड़ दिल्ली के लिए निकल पड़े।
31 मई 1947
कहा विभाजन के लिए शांति पहली शर्त होगी, विभाजन के पक्ष में नहीं थे।
02
जून 1947
वाइसराय ने विभाजन योजना की रूपरेखा रखी।
कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा मंजूरी।
03 जून 1947
माउंटबेटन की यांजना को भारतीय नेताओं द्वारा
रेडियो पर भाषण।
06 जून 1947
गांधीजी ने माउंटबेटन को पत्र लिखकर विभाजन से
पहले सभी मुद्दों को कांग्रेस के साथ सुलझाने को कहा।
12 जून 1947
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक संबोधित की।
जुलाई 1947
'भारतीय स्वतंत्रता विधेयक' पारित हुआ (पास हुआ)।
27 जुलाई 1947
भारत की रियासतों के राजाओं से जनता के वर्चस्व
को विशेषाधिकार देने की अपील की।
14 अगस्त 1947
पाकिस्तान का जन्म।
15 अगस्त
1947
कलकत्ता में हिंदु-मुस्लिम में भाईचारा।
16 अगस्त
1947
कलकत्ता में चल रही हिंसा की आंधी में इस
भाईचारे को गांधीजी ने चमत्कार माना।
01 सितंबर 1947
कलकत्ता की शांति को 'नौ दिन का आश्चर्य' बताया। उपवास का निश्चय।
1947
कलकत्ता के आवास पर भीड़ का जुटना, नोआखली यात्रा का विचार त्याग दिया। शांति का
प्रयास और तेज़ कर दिया।
1947
व्रत तोड़ दिया।
1947
दिल्ली जाने के लिए कलकत्ता से चल पड़े।
दंगा-प्रभावित क्षेत्रों में प्रतिदिन दौरा करते।
1947
पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने कश्मीर पर धावा
बोला।
1947
कश्मीर भारतीय संघ का हिस्सा बना।
01 नवंबर 1947
भारतीय सेना के लोगों ने जूनागढ़ में प्रवेश
किया गया।
1947
जूनागढ़ को भारत में स्वीकार किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति को संबोधित
किया।
1947
जूनागढ़ के भारत में शामिल होने का समर्थन।
25 दिसंबर 1947
भारत-पाकिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण समझौते के
लिए प्रार्थना।
30 दिसंबर 1947
कश्मीर विवाद संयुक्त राष्ट्र के पास भारत ने
भेजा।
12 जनवरी 1948
सांप्रदायिक शांति के लिए दिल्ली में उपवास
शुरू।
-------------1948
स्वास्थ्य की स्थिति नाजुक । भारतीय मंत्रिमंडल
द्वारा पाकिस्तान को 550
करोड़ की राशि अदा किये जाने का स्वागत किया। सांप्रदायिक शांति के लिए व्रत जारी
था।
-------------1948
डॉक्टरों द्वारा चेतावनी, उपवास बंद करने की सलाह। केंद्रीय शांति समिति
बनी और शांति बहाल करने की प्रतिज्ञा ली गई।
-------------1948
शांति समिति ने हस्ताक्षर किये, ''शांति बहाली की प्रतिज्ञा'' वाला पत्र गांधीजी को सौंपा गया। गांधीजी ने
व्रत तोड़ दिया।
-------------1948
प्रार्थना सभा में उनको निशाना बनाकर बम फेंका
गया। गांधीजी बाल-बाल बच गये।
-------------1948
मुस्लिमों के मेहरौले मेले में शामिल हुए।
-------------1948
क्रोधित शरणार्थियों ने गांधीजी से कहा कि वे
सेवानिवृत्त होकर हिमालय में जाकर बस जायें।
-------------1948
कांग्रेस को लोकसेवक संघ में रूपांतरित करने के
लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। शाम को प्रार्थना सभा में जाते समय उनकी हत्या कर दी गई। गांधीजी
शहीद हो गये।
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