चिदम्बरम ऐतेहासिक स्थल महत्वपूर्ण जानकारी | Chidambaram historic places
चिदम्बरम ऐतेहासिक स्थल महत्वपूर्ण जानकारी
चिदम्बरम ऐतेहासिक स्थल
तमिल नाडू के तंजावुर से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थिति चिदम्बरम का यह पवित्र शहर अपने द्रविड़ वास्तुकला वाले मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ का मुख्य आकर्षण चिदम्बरम नटराज मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है. वर्तमान मंदिर 10 वीं शताब्दी में बनाया गया था जब चिदम्बरम चोल राजवंश की राजधानी थी.
चिदम्बरम ऐतेहासिक स्थल प्रमुख तथ्य
- यह पूरे राज्य में फैले उन 5 मंदिरों में से एक है, जो वायु, जल, पृथ्वी, अग्नि और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं
- इस मंदिर में भगवान शिव को नृत्य के देवता नटराज के रूप में पूजा जाता है, जबकि बाकी स्थानों पर शिवलिंग की पूजा की जाती है.
- इस मंदिर में भगवान गोविंदराज पेरुमल के रूप में भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है.
- नाट्यशास्त्र पर आधारित कला में चिदम्बरम मंदिर में उत्कीर्णित नटराज की शताधिक नृत्य की भंगिमाओं का निर्माण साहित्य एवं कला की दृष्टि से अद्वितीय एवं कला की दृष्टि से अद्वितीय एवं अप्रतिम है.
- 7वीं शताब्दी से लेकर 16वीं सदी तक चिदम्बरम मंदिर के विकास में पांड्य, चोल, विजयनगर के नरेशों, स्थानीय महाजनों तथा जनगण का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने मंदिर के स्तम्भों और दीवारों पर नटराज की नृत्य मुद्रा की प्रतिमाओं को नाट्यशास्त्रीय आधार पर उत्कीर्ण कराया.
- अरिंजय चोला ने चिदम्बरम मन्दिर के शिव पर तमिल भजन लिखा था.
- चिदम्बरम मंदिर में नटराज के तांडव नृत्य की 108 मुद्राओं को भरत के नाट्यशास्त्र में वर्णित भंगिमाओं का मूर्तरूप हैं.
- चिदम्बरम मंदिर के संरक्षकों ने शब्द को शिल्प में रूपांतरित करने की जिस प्रतिमा कला का विकास भारत में किया है वह स्वयं में भारतीय संस्कृति का एक अकेला मानदंड है.
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