राज्य का अर्थ परिभाषायें | प्राचीन आधुनिक विचारक के अनुसार परिभाषायें | Definitions of state in Hindi

 राज्य का अर्थ परिभाषायें ,प्राचीन आधुनिक विचारक के अनुसार परिभाषायें

राज्य का अर्थ परिभाषायें | प्राचीन आधुनिक विचारक के अनुसार परिभाषायें | Definitions of state in Hindi

राज्य का अर्थ: 

  • राज्य राजनीति विज्ञान में एक वैज्ञानिक अर्थ रखने वाला शब्द है। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक राजनीतिक चिंतन का केन्द्रीय प्रतिपाद्य विषय राज्य रहा है। अरस्तू की दृष्टि से व्यक्ति की कल्पना राज्य के अन्दर की जा सकती है। उसने कहा था कि राज्य के बाहर रहने वाला व्यक्ति पशु या देवता होगा, मानव नहीं हो सकता। इसी कारण उसने राज्य को स्वाभाविक संस्था माना था तथा अपने विचारों में केन्द्रीय स्थान राज्य को दिया था। गेटेल ने राजनीति विज्ञान को 'राज्य का विज्ञान' कहकर पुकारा था तथा जाने माने राजनीति शास्त्र के विद्वान गार्नर ने तो यहाँ तक कह दिया था कि राजनीति विज्ञान का अध्ययन राज्य के साथ प्रारम्भ होता है तथा राज्य के साथ ही समाप्त हो जाता है। सामान्य भाषा में प्रत्येक व्यक्ति अपनी सुविधानुसार राज्य का प्रयोग सरकार समाज, समुदाय एवं राष्ट्र आदि के लिए करता है। ये सभी शब्द अपना-अपना निश्चित एवं स्पष्ट अर्थ रखते हैं परन्तु राज्य शब्द इनसे कुछ भिन्न अर्थ रखता है।

 

  • यदि हम बोलचाल की भाषा में बात करें तो राज्य शब्द के अन्तर्गत अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, कनाडा, भारत जैसे राज्य आ जाते हैं। दूसरी ओर संघात्मक शासन की इकाईयों के लिए भी राज्य शब्द का प्रयोग किया जाता है। अमेरिकी संघ शासन की इकाईयों न्यूयार्क, कैलीफोर्निया व भारत संघ की इकाईयों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, केरल इत्यादि राज्य कहे जाते हैं परन्तु ये राज्य शब्द का सही प्रयोग नहीं है। वास्तव में राज्य के शाब्दि अर्थ तथा उसके राजनीतिक अर्थ में बहुत अन्तर है।

 

  • प्राचीन यूनान में राज्य शब्द के लिए पोलिस शब्द का प्रयोग किया जाता था जिसका अर्थ नगर राज्य होता है। उस काल के यूनान के इन छोटे-छोटे नगर राज्यों का स्वरूप आधुनिक काल के विशाल राज्यों जैसा नहीं था। वाद भौगोलिक खण्ड के लिए किया था। यहाँ पर यह ध्यान देना आवश्यक है कि ग्रीक एवं रोमन विचारों में आधुनिक काल के राज्य का वर्णन नहीं मिलता । सोलहवीं सदी के प्रारम्भ में आधुनिक राज्य के दृष्टिकोण का उदय हुआ । मै क्यावेली जैसे जाने माने राजनीतिक विचारक ने राज्य शब्द का समुचित प्रयोग किया। उसने अपने ग्रंथ 'दि प्रिंस' में लिखा है “जहाँ व्यक्तियों पर शक्ति का प्रयोग किया जाता है वह राज्य है।" वास्तव में राज्य हमारे सामाजिक जीवन को व्यवस्थित बनाता है तथा शान्ति स्थापित करता है। यह सामाजिक सहयोग का ऐसा वातावरण बनाता है जिसके माध्यम से विभिन्न सभ्याताओं एवं संस्कृतियों का विकास सम्भव हो सका है।


राज्य शब्द का व्यापक अर्थ एवं परिभाषायें

राज्य शब्द का व्यापक अर्थ समझने के लिए हमें कुछ परिभाषाओं की ओर ध्यान देना होगा ।


राज्य की परिभाषायें :- 

राजनीति विज्ञान के विद्वानों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से राज्य की परिभाषायें प्रस्तुत की है। प्राचीन तथा आधुनिक विचारकों ने अलग-अलग ढंग से राज्य की परिभाषायें दी हैं। यहाँ हमें दोनों प्रकार की परिभाषाओं का अध्ययन करना होगा।

 

राजनीति विज्ञान के प्राचीन विचारक:- 

  • राजनीति विज्ञान के जनक अरस्तू ने राज्य की उत्पत्ति के पूर्व अनेक समुदायों के संगठनों की कल्पना की थी। उसके अनुसार मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसमें सामाजिक जीवन से ही सद्गुणों का विकास होता है। मनुष्य परिवारों में रहता था, परिवारों से कुलों तथा कुलों से ग्रामों का विकास हुआ। अन्ततः ग्रामों का संगठन राज्य के रूप में प्रकट हुआ। इस प्रकार राज्य एक सर्वोच्च समुदाय माना गया जिसमें परिवार कुल एवं ग्राम समाहित है। अ अरस्तू ने राज्य की परिभाषा इस प्रकार दी है “राज्य परिवारों तथा ग्रामों का एक ऐसा समुदाय है। जिसका लक्ष्य पूर्ण सम्पन्न जीवन की प्राप्ति है।” प्रसिद्ध रोमन विचारक सिसरों के अनुसार “राज्य एक ऐसा बहुसंख्यक समुदाय है जिसका संगठन सामान्य अधिकारों तथा पारस्परिक लाभों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।” ग्रोशियस राज्य को एक ऐसा स्वतंत्र मुनष्यों का पूर्ण समुदाय मानता है। जो अधिकारों की सामान्य भावना तथा लाभों में पारस्परिक सहयोग द्वारा जुड़ा होता है।

 

प्राचीन विचारकों की परिभाषाओं से निष्कर्ष स्वरूप राज्य की दो विशेषतायें सामने आती हैं-

 (1) राज्य सभी समुदायों से उच्चतर समुदाय है।

 (2) सभी मनुष्य सम्मिलित रूप में उन लाभों को प्राप्त करते हैं जो केवल राज्य द्वारा प्राप्त होते हैं।

 

राजनीति विज्ञान के आधुनिक विचारक:- 

आधुनिक विचारकों ने राज्य की परिभाषा नये प्रकार से की है। उसमें राज्य को एक समुदाय की अपेक्षा संगठनात्मक इकाई के रुप में स्वीकार किया गया है जो निम्न परिभाषाओं में स्वतः स्पष्ट हो जायेगा

 

बर्गेस के अनुसार राज्य की परिभाषा 

"राज्य एक संगठित इकाई के रुप में मानव जाति का विशिष्ट भाग है"।

 

बलंशली के मतानुसार राज्य की परिभाषा 

“किसी निश्चित भू-भाग पर बसा हुआ राजनीतिक रूप में संगठित समाज राज्य कहलाता है। "

 

हालैंड के अनुसार राज्य की परिभाषा -

“राज्य एक ऐसा विशाल जनसमुदाय है जो एक निश्चित भू-खण्ड में निवास करता है तथा जिसमें बहुमत की अथवा एक बड़े वर्ग की इच्छा, उसकी शक्ति के कारण, उसके विरोधियों को भी मान्य हो। "हाल के शब्दों में- “एक स्वतंत्र राज्य के ये लक्षण हैं कि उस राज्य की जनता अपने राजनीतिक आदर्शों के लिए स्थायी रूप से संगठित हो, उसके अधिकारों में निश्चित भू-खण्ड हो तथा वह बाह्य नियंत्रण से मुक्त हो।”

 

फिलीमोर के शब्दों में राज्य की परिभाषा -

“मनुष्यों का ऐसा समुदाय राज्य कहलाता है जो किसी निश्चित भू-खण्ड पर स्थायी रुप से निवास करता हो तथा जो सामन्य कानूनों, अदालतो व रीति रिवाजों द्वारा एक व्यवस्थित 'समुदाय में संगठित हो तथा जो सुसंगठित सरकार द्वारा उस भू-भाग की सीमा में निवास करने वाले मनुष्य व अन्य सभी पदार्थों पर पूर्व नियन्त्रण, अधिकार व प्रभुत्व रखता हो तथा जो विश्व के किसी भी अन्य समाज से युद्ध करने, शान्ति करने तथा सब प्रकार के अन्य अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को बनाने का अधिकार रखता है। "

 

उपर्युक्त परिभाषाओं से यही निष्कर्ष निकलता है कि राज्य एक संगठित राजनीतिक इकाई है जिसके चार प्रमुख तत्व होते हैं- (1) जनसंख्या (2) निश्चित भू-भाग ( 3 ) शासन (4) प्रभुसत्ता ।

 

परन्तु राज्य की सर्वश्रेष्ठ परिभाषा सम्भवतः गार्नर द्वारा प्रस्तुत की गई है। इसका कारण यह है प्रस्तुत परिभाषा आधुनिक काल के लगभग सभी राज्यों को अपनी सीमा में बाँध सकने की क्षमता रखती है। इसके अतिरिक्त प्रचीन काल एवं मध्यकाल के विभिन्न प्रकार के राज्यों के लिये भी उपर्युक्त प्रतीत होती है। आज संसार में जहाँ एक ओर भारत, चीन अमेरिका, रूस, ब्राजील जैसे बड़ी जनसंख्या तथा भू-क्षेत्र वाले राज्य हैं, वही दूसरी ओर सैन मैरिनो, मालदीव, भूटान, बेन्जिनियम, लम्जेमवर्ग जैसे छोटे भू क्षेत्र एवं जनसंख्या वाले राज्य भी हैं। इस दृष्टि से गार्नर की परिभाषा सर्व महत्वपूर्ण है।” राजनीति विज्ञान एवं सार्वजनिक कानून के विचार के रूप में राज्य मनुष्यों के उस समुदाय का नाम है जो जनसंख्या में चाहे कम या अधिक हो परन्तु जो स्थायी रूप से किसी निश्चित भू-भाग पर रहता हो तथा जो किसी भी बाह्य शान्ति के नियंत्रण से पूर्व रूप से या लगभग स्वतंत्र हो तथा जिसमें एक ऐसी व्यवस्थित शासन व्यवस्था या सरकार हो जिसके आदेश का पालन करने के लिए उस भाग के सब निवासी प्रायः अभ्यस्त हों। "

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.