खाद्य पदार्थों में रंग एवं स्वाद के लिए मिश्रित किए जाने वाले पदार्थ | Food additives for color and flavor in Hindi
खाद्य पदार्थों में रंग एवं स्वाद के लिए मिश्रित किए जाने वाले पदार्थ
खाद्य पदार्थों में रंग एवं स्वाद के लिए मिश्रित किए जाने वाले पदार्थ
खाद्य पदार्थों में रंगों का प्रयोग, उन्हें अधिक आकर्षक व उनकी बेहतर बिक्री हेतु किया जाता है। परन्तु रंगों का प्रयोग एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। पी०एफ०ए० के नियमानुसार खाद्य पदार्थों में मिश्रित किए जाने वाले रंग प्रायः दो प्रकार के होते हैं।-
प्राकृतिक रंग-
इस रंग का उपयोग भरपूर मात्रा में किया जा सकता है क्योंकि इसके प्रयोग से मानव शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे हल्दी, केसर ।
अप्राकृतिक रंग-
इस रंग का उपयोग PFA के द्वारा दिये गये मानक के अनुरूप करना चाहिए। अन्यथा इसका अधिक मात्रा में उपयोग द्वारा मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रायः दो प्रकार के होते हैं।
खाने के प्रयोग हेतु अप्राकृतिक रंग
खाद्य पदार्थों में उपयोग किये जाने वाले अप्राकृतिक रंग मुख्यतः दो भागों में विभाजित किये जा हैं- खाद्य रंग, अखाद्य रंग।
खाद्य रंग
इन रंगों को प्रयोग करने की अनुमति उनके अन्दर व्यापत विषाक्तता का परीक्षण के बाद मिलती है। पी0एफ0ए0 द्वारा भारत में केवल आठ मान्यता प्राप्त अप्राकृतिक रंग ही खाने में प्रयोग करने योग्य हैं। इसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में एक निर्धारित मात्रा तक करने की अनुमति होती है। ये मुख्यतः आठ प्रकार के होते हैं और खाद्य पदार्थों को विभिन्न शेड प्रदान करते हैं जैसे टारटराजीन व सनसैट यल्लो-पीले रंग के लिए, कारमोजीन, पोनसीयूफोर आर, इरीथरोजीन - लाल रंग के लिए, ब्रीलिट - रंग के लिए, व फास्ट ग्रीन व इन्डीगो कारमीन हरे रंग के लिए। खाद्य में रंगों के इस्तेमाल को पी0एफ0ए0 अधिनियम नियंत्रित करता है, जिसे राज्य स्तर पर, राज्य स्वास्थ्य एवं खाद्य अधिकारी और स्थानीय स्तर पर नगरपालिका या स्थानीय स्वास्थ्य एवं खाद्य अधिकारी लागू कर हैं। पी0एफ0ए0 कानून के अनुसार ये आठ रंग केवल सात खाद्य वर्गों में उपयोग किये जा सकते हैं।
खाद्य पदार्थों के सात वर्ग इस प्रकार हैं:
खाद्य पदार्थ जिनमें अप्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है:
1. आइसक्रीम, दूध, खास स्वाद वाला दूध, दही, आइसक्रीम पाउडर, दूध से बनी टॉफी 2. बिस्कुट, वेफर्स, पेस्ट्री, केक, कैण्डीज, मिठाई, केक, चॉकलेट, मसालेदार खाद्य पदार्थ, जैसे दालमोठ, साबुदाना पापड़ इत्यादि ।
3. मटर, स्ट्रोबेरी और चैरीज, सील बन्द डिब्बों में परिरक्षित और कटा हुआ पपीता, डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ जैसे टमाटर का जूस, फलों का रस, फलों का स्कवॉश, फलों का गूदारहित जूस, जैली, जैम, मुरब्बा, चीनी लगे खाद्य पदार्थ ।
4. शराब रहित कार्बनिकृत व अकार्बनिकृत कृत्रिम पेय पदार्थ, शरबत, फलों के , कोल्ड ड्रिंक । रस,
5. कस्टर्ड पाउडर।
6. जैली क्रिस्टल और आइसकैंडी ।
7. कार्बनिकृत व अकार्बनिकृत पेय के स्वाद के लिए मिश्रण अथवा पेस्ट।
अखाद्य रंग
इन रंगों को खाद्य पदार्थों में उपयोग की अनुमति नहीं होती है जैसे लेड ऑक्साईड । इन रंगों के इस्तेमाल से मानवीय अंगों को नुकसान होता है, जैसे एलर्जी, आँतों को नुकसान तथा कैंसर भी हो सकता है।
स्वादवर्धन के लिए मिश्रित किये जाने वाले पदार्थ
भोज्य पदार्थों में स्वाद बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के स्वादवर्धक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। जैसे- सिट्रिक ऐसिड, टाटरिक ऐसिड का प्रयोग जैम, जैली व मुरब्बे में किया जाता है।
परिरक्षण हेतु मिश्रित किये जाने वाले पदार्थ
खाद्य सामग्री को लम्बे समय तक संरक्षित करने के लिए खाद्य परिरक्षक का प्रयोग किया जाता है। ये प्राकृतिक या कृत्रिम रासायनिक रूप में हो सकते हैं। परिरक्षक पदार्थों को मुख्यतः दो श्रेणीयों में बाँटा गया है:
प्रथम श्रेणी:
सादा नमक, चीनी, शहद, मसाले, खाने योग्य वनस्पति तेल, सिरका, डेक्सट्रोज़। इस श्रेणी के परिरक्षक पदार्थ को तुरन्त परोसने के खाद्य पदार्थों में प्रयोग कर सकते हैं।
द्वितीय श्रेणी :
सोडियम बेन्जोएट, बैंजोयिक एसिड, पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम डाई ऐसिटेट।
परिरक्षित खाद्य पदार्थों में मात्र सोडियम बैंजोएट का प्रयोग किया जा सकता है। सिट्रिक ऐसिड स्वाद वर्धक के साथ-साथ परिरक्षक का कार्य भी करता है। सिरका परिरक्षक के रूप में टमाटर का सॉस, टमाटर की प्यूरी तथा अचार में प्रयोग में लाया जाता है।
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