खाद्य पदार्थों के परिरक्षण की घरेलू विधियाँ | Food Conservation Home Method in Hindi

खाद्य पदार्थों के परिरक्षण की घरेलू  विधियाँ 

Food Conservation Home Method in Hindi

खाद्य पदार्थों के परिरक्षण की घरेलू  विधियाँ | Food Conservation Home Method in Hindi



खाद्य पदार्थों के परिरक्षण की घरेलू  विधियाँ

 

कुछ प्रयोगात्मक विधियाँ घरेलू वातावरण में खाद्य पदार्थों को परिरक्षित करने के लिए प्रयोग में लाई जा सकती हैं। जैसे सुखानाअचार बनानाजैमजैलीमुरब्बा व मार्मलेड बनाना आदि।

 

1 धूप में सुखाना

 

  • यह खाद्य पदार्थों को परिरक्षित करने की सरल व घरेलू तकनीक है। इस विधि के माध्यम से खाद्य पदार्थों को सीधे सूर्य की किरणों के द्वारा सुखाया जाता है जिससे उन्हें लम्बे समय तक उपयोग में लाया जाता है। प्राचीन काल से यह तकनीक फसल की उपज के बाद अनाजदाल एवं तिलहन को वर्षभर तक उपयोग में लाने के लिए प्रयोग में लायी जाती है। विभिन्न प्रकार के पापड़आम को सुखाकर अमचूर बनाना आमतौर पर हर घर में किया जाता है।

 

  • अनाज व दालों के मिश्रण से बनने वाले पापड़ को पतला बेल कर तेज धूप में सुखाया जाता है। सब्जियों को काट कर गर्म पानी में 2 से 5 मिनट तक डुबाकर ब्लाँच किया जाता है। तत्पश्चात् सब्जी को उबलते पानी से निकालकर पोटेशियम मैटाबाईसल्फाइट (KMS) (0.25-0.5%) के घोल में डाला जाता है। प्रतिकिलोग्राम सब्जी के लिए आधा लीटर घोल पर्याप्त होता है। सब्जी को घोल से निकालकर धूप में सुखाया जाता है। सूखी सब्जी को नमी रहित डब्बों में रखकर संग्रहित किया जाता है।

 

सब्जी सुखाने की विधि

सब्जी सुखाने की विधि

 

2 अचार बनाना 

  • भारत में अचार भोजन का मुख्य अंग होता है जो अधिकतर सब्जियों का परिरक्षण करके बनाया जाता है। अचार नमक (15-25 प्रतिशत)तेल व सिरका द्वारा परिरक्षित होते हैं। मुख्यतः आमनींबूआँवलाअदरकहरीमिर्च का अचार बनाया जाता है। 

  • इस विधि में भोज्य पदार्थों को धोकर काटने के उपरान्तधूप में सुखाया जाता है तथा इसमें सूखा नमक छिड़का जाता है या उन्हें नमक के घोल में डुबाया जाता है। 
  • इन पर मसालों को मिलाकरमहीनाभर या कुछ समय तक खमीरीकरण के लिए रख दिया जाता है। खमीरीकरण की क्रिया की वजह से अचार में एक अलग महक व सुगन्ध आ जाती है। 
  • सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकने के लिए अचार की उपरी सतह नमक या तेल से ढकी होनी चाहिए तथा उसे नमी रहित साफ शीशी में रखा जाना चाहिए।

 

3 फ्रीज़ किये हुए खाद्य पदार्थ 

  • घरेलू स्तर पर बेमौसमी सब्जियों को परिरक्षित करने में फ्रीजिंग का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। इस प्रक्रिया में खाद्य पदार्थों में व्याप्त पानीबर्फ के कणों में परिवर्तित हो जाता है जिस कारण सूक्ष्म वाओं की वृद्धि विकास नहीं हो पाता है। इस विधि में सब्जियों को धोकरफिर ब्लाँच कर तुरन्त बर्फ में डुबाया जाता है तथा तत्पश्चात उसे पोलीथीन के छोटे-छोटे पैकेटों में बन्द करके फ्रीज़र में रखा जाता है। इस विधि द्वारा खाद्य पदार्थों को कम से कम 6 महीने तक परिरक्षित रखा जा सकता है। जैसे- मटरफलजूस व अन्य तरल पदार्थ ।

 

4.प्यूरी (Puree) 

  • प्यूरी मुख्यतः टमाटर की बनाई जाती है। इसमें अधिक गूदे वाले टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पकाया जाता हैफिर उन्हें छलनी में रखकर लकड़ी की चम्मच से दबाव बनाया जाता है ताकि छना हुए गूदा बाहर निकल जाये। प्यूरी को परिरक्षित रखने के लिए पोटेशियम मेटाबाईसलफाइट (KMS) ( 1/8 चम्मच प्रतिकिलोग्राम) का प्रयोग किया जाता है। उसके बाद प्यूरी को बोतल में संग्रहित कर सकते हैं।

 

5 फल का जूस 

  • फल को धोकर उसका छिल्का निकाल दिया जाता है। फल के गूदे को चीनी के घोल के साथ तब तक मिलाते हैं जब तक अन्तिम पदार्थ में चीनी की आर्द्रता 5 से 10 प्रतिशत न हो। फिर इस मिश्रण को उबालकर गर्म अवस्था में बोतल में संग्रहित किया जाता है। ऊपर पांच सेमी) की जगह खाली छोड़ी जाती है जिससे परिरक्षण करने वाले रसायन की गैस भरी रह सके। जूस के लिए पोटेशियम मैटाबाईसल्फाइड (KMS) परिरक्षक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

 

6 स्कवैश 

  • फल का रसपानीचीनी व साइट्रिक एसिड को साथ मिलाकर बारीक कपड़े से छाना जाता है। मिश्रण में रंग एवं खुशबू तथा पोटेशियम मेटाबाईसलफाइड (KMS ) ( 1/8 चम्मच प्रतिकिलोग्राम) डालकर तत्पश्चात् साफ़-सूखी बोतल में भरना चाहिए। बोतल के ऊपरी सिरे में पिघली मोम डालकर संग्रहित करना चाहिए।

 

7 जैम 

  • फलों को छोटा-छोटा काटकर या कद्दूकस कर पानी के साथ मुलायम होने तक पकाया जाता है। तत्पश्चात् फलों के गूदे को चीनी की पर्याप्त मात्रा में उबाला जाता हैजिसके परिणामस्वरूप वह गाढ़ा हो जाता है (जैसे 45 प्रतिशत फल के गूदे में 55 प्रतिशत चीनी को मिलाया जाता है ताकि घुलनशील ठोस पदार्थ की अन्तिम आर्द्रता 68.5 प्रतिशत से कम न हो) । यदि खाद्य पदार्थ अम्लीय न हो तो उसमें नींबू का रस (2 किलोग्राम फल पर दो बड़े चम्मच) डाला जाता हैजिससे उसमें पैक्टिन निकलने में आसानी रहती है व स्वाद भी बेहतर हो जाता है।

 

  • जैम तैयार होने की पहचान उसके भार द्वारा (सामान्यतः जैम की मात्रा कुल मिलाई गई चीनी का डेढ़ गुना होना चाहिए)थर्मामीटर द्वारा (तैयार जैम का तापमान 105°C), शीट द्वारा (पकते हुए जैम को एक चम्मच द्वारा गिराने पर यदि चम्मच के नीचे भाग में एक चादर सी बनती है) किया जाता है। तैयार जैम को गरम-गरम चौड़े मुंह की साफ़ सूखी बोतलों में भरें तथा ऊपर मौम की परत से सील करें।

 

8 जैली 

  • फलों के रस को चीनी तथा अम्ल की निश्चित मात्रा के साथ पकाये हुए पदार्थ को जैली कहते हैं जो देखने में पारदर्शक होती हैछूने पर अंगुली में नहीं चिपकती है तथा जिस बर्तन में जमायी जाये उसी का आकार ग्रहण कर लेती है। जैली बनाने के लिए फलों को काटकर पानी के साथ अम्ल मिलाकर पकाया जाता है। पकाने से फल का पेक्टिन पानी में आ जाता है। पेक्टिन युक्त फल के गूदे को मलमल के कपड़े में छाना जाता है। छानते समय कपड़े को टांग दें ताकि रस स्वयं निकलता रहे। तत्पश्चात् छने हुए रस में सही अनुपात में चीनी ( 750 ग्राम - 1 कि.ग्रा.) मिलाकर पकाना चाहिए। जैली के तैयार होने पर इसे आंच से हटाकर तुरन्त जैली को साफ़ बोतलों में भरकर ऊपर डालकर तथा जैली को सैट होने के लिए छोड़ दिया जाता है

 

9 मार्मलेड 

  • यह एक प्रकार का जैम होता है जो विशेषकर रसदार फल (जैसे नींबूसंतरा आदि) से बनाया जाता है। मार्मलेड फलों के रस से तैयार किया जाता है तथा उसमें छिलकों को बारीक कतर कर डाल दिया जाता है। यह खाने में स्वादिष्ट होता है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.