गुजरात राज्य के पश्चिमी छोर पर अरब सागर के मनोरम बंदरगाह पोरबंदर में गांधीजी का जन्म हुआ।
गांधीजी के
जन्म की स्मृति को जीवंत बनाने के लिए 79 फीट ऊंची एक इमारत का निर्माण उस गली में किया गया जहाँ 2 अक्टूबर 1869 को बापू का जन्म हुआ।
कीर्ति मंदिर यहाँ का प्रमुख आकर्षण केंद्र है।
यहाँ गांधीजी का तिमंजिला पैतृक
निवास भी है जहाँ ठीक उस स्थान पर एक स्वस्तिक चिह्म बनाया गया है जहाँ गांधीजी की
माँ पुतलीबाई ने उन्हें जन्म दिया था।
लकडी की संकरी सीढी अभ्यागतों की ऊपरी मंजिल
तक ले जाती है जहाँ गांधीजी का अध्ययन कक्ष है।
कीर्तिमंदिर के पीछे नवी खादी है
जहाँ गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा का जन्म हुआ था।
कीर्ति मंदिर से जुडी हुई
नयी इमारत में एक गांधी साहित्य ग्रंथालय, एक प्रार्थना गृह, एक पौध शाला तथा गांधीजी के जीवन की चित्रावलियों से सजी
ऊंची मीनार है
साबरमती आश्रम
साबरमती आश्रम, पहले सत्याग्रह आश्रम के
नाम से जाना जाता था। यह उन तमाम ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है जिसने ब्रिटिश
साम्राज्य को हिला दिया था। 1915 में इसकी स्थापना की गई। यह मूल्य और अनुशासन पर आधारित
सामुदायिक जीवन का बेहतरीन उदाहरण है।
राज्य में अहमदाबाद से सिर्फ 5 किलो मीटर दूर साबरमती
नदी के किनारे पर यह बसा है।
साबरमती आश्र के प्रमुख आकर्षण
आश्रम परिसर में एक
उल्लेखनीय संग्रहालय है। इस संग्रहालय की पांच ईकाइयाँ हैं जिनमें कार्यालय, ग्रंथालय, चित्रावली दीर्घा और एक
सभागृह है। संभवतः यहाँ गांधीजी के पत्रों और लेखों की सर्वाधिक मूल पांडुलिपियाएँ
हैं।
संग्रहालय में गांधीजी के
जीवन के आठ आदमकर रंगीन तैलचित्र हैं। जिनमें "मेरा जीवन ही मेरा संदेश
है।" और 'अहमदाबाद में
गांधीज' प्रदर्शित हैं।
यहाँ एक पुराभिलेख संग्रहालय भी स्थापित किया गया है जिसमें गांधीजी के 34,066 पत्र, 8,633 लेखों की पांडुलिपियाँए 6367 चित्रों के निगेटिव्स, उनके लेखन पर आधारित
माइक्रोफिल्म के 134 रील तथा गांधीजी
और उनके स्वाधीनता आंदोलन पर आधारित 210 फिल्में संग्रहित हैं। ग्रंथालय में 30,000 से अधिक पुस्तकें हैं
इनके अलावा यहाँ गांधीजी को दिये 155 प्रशस्ति-पत्र एवं दुनिया भर में गांधीजी पर जारी की गई मुद्राएँ सिक्के और डाक टिकटों का अद्भुत संकलन है।
सेवाग्राम आश्रम
महाराष्ट्र राज्य में
नागपूर के समीप वर्धा जिले में सेवाग्राम अवास्थित है। यह गांधीजी का मुख्यालय था।
1934-1940 के बीच गांधीजी
के प्रयोगों की भूमि भी रहा है। यहाँ बापू की रसोई भी देख सकते हैं।
सबसे पहले जो कुटी बनाई
गयी उसका नाम था आदि निवास,
जो कि एक
प्रार्थना स्थल है।
गांधीजी और कस्तूरबा जहाँ रहते थे वह बापू कुटी और बा कुटी
भी यहीं है।
आखिरि निवास :-
नोआखली जाने से पहले बापू
कुछ दिनों के लिए यहीं रूके थे। फिर वे कभी नहीं लौटे। उनकी वजन करने की मशीन आज
भी यहाँ सुरक्षित है।
परचुरे कुटी :-
श्री. परचुरसंस्कृत के प्रकांड
विद्वान तथा निमार्ण कार्यकर्ता थे। वे कुष्ठरोग से ग्रस्त थे। इसी झोपड़ी में
गांधीजी उनकी देखभाल किया करते थे।
महादेव कुटी :-
यह गांधीजी के सचिव
महादेव भाई देसाई का निवास स्थान है।
किशोर निवास :-
यह इकलौता भवन है जो
ईंट-सीमेंट से बना है। गांधीजी के निकट सहयोगी और हरिजन साप्ताहिक के अंशकालिक
संपादक किशोरलाल मशरूवाला यही रहते थे।
रूस्तम भवन :-
यह चार कमरों वाला अतिथि
गृह है। 1991 में सरकार ने
यहाँ एक चित्र-प्रदर्शनी की स्थापना की। 1982 में यही पर अभ्यागतों के लिए यात्री-निवास भी बनाया गया, जहाँ संगोष्ठियाँ और
प्रशिक्षण-शिविर भी आयोजित किये जाते है। बुनियादी शिक्षा के लिए नयी तालीम परिसर
भी है।
आगा खान महल
अगस्त 1942 से मई 1944 तक
अपने कारावास के समय महात्मा गाँधी आगा खान महल में ही रहे थे।
आगा खान महल में वो अपनी
पत्नी कस्तूरबा गाँधी, अपने सहायक महादेव देसाई और स्वतंत्रता सेनानी
नायडू के साथ रहे।
कस्तूरबा गाँधी और महादेव देसाई का स्वर्गवास
इसी कारावास के दौरान इसी महल में हुआ था।
आगा खान महल में महल का एक कोना इन्हीं दोनों की
समाधि को समर्पित है। इन दोनों समाधियों के पास महात्मा गांधीजी के अवशेष का कुछ
हिस्सा रखा हुआ है। असल में यह समाधि नही है बस यहाँ पर इन दोनों का दाहसंस्कर
किया गया था। इस जगह पर तुलसी के पौधों को लगाया गया है।
आगा खान तृतीय या सर
सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान तृतीय इस्लामी मुस्लिम खोजा के 48वें इमाम थे। वह आल
इंडिया मुस्लिम लीग के संस्थापक थे।
राजघाटसमाधि स्थल
यमुना नदी के पश्चिमी
तटपर 31 जनवरी 1948 की शाम यहीं पर गांधीजी
का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी स्मृतियाँ अब भी यहाँ जीवंत है। यहाँ एक साधारण-सा
चबूतरा है जिस पर बापू के अंतिम शब्द ''हे राम`` कुदे हुए है। पास ही उपवन, फव्वारा तथा विलक्षण पेड़-पौधे लगे हुए है।
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