गाँधी जयंती क्विज तैयारी : गाँधी जी के सुविचार | Gandhi GK Quiz in Hindi
गाँधी जयंती क्विज तैयारी : गाँधी जी के सुविचार
गाँधी जयंती क्विज तैयारी : गाँधी जी के सुविचार
➽ अहिंसा एक विज्ञान है। विज्ञान के शब्दकोश में 'असफलता' का कोई स्थान नहीं।
➽ उस आस्था का कोई मूल्य नहीं जिसे आचरण में न लाया जा सके ।
➽ सार्थक कला रचनाकार की प्रसन्नता, समाधान और पवित्रता की गवाह होती है ।
➽ एक सच्चे कलाकार के लिए सिर्फ वही चेहरा सुंदर होता है जो बाहरी दिखावे से परे, आत्मा की सुंदरता से चमकता है।
➽ मनुष्य अक्सर सत्य का सौंदर्य देखने में असफल रहता है, सामान्य व्यक्ति इससे दूर भागता है और इसमें निहित सौंदर्य के प्रति अंधा बना रहता है।
➽ चरित्र और शैक्षणिक
सुविधाएँ ही वह पूँजी है जो मातापिता अपने संतान में समान रूप से स्थानांतरित कर
सकते हैं।
➽ विश्व के सारे महान धर्म मानवजाति की समानता, भाईचारे और सहिष्णुता का संदेश देते हैं।
➽ अधिकारों की प्राप्ति का मूल स्रोत कर्तव्य है |
➽ सच्ची अहिंसा मृत्युशैया पर भी मुस्कराती रहेगी।
➽ 'अहिंसा' ही वह एकमात्र शक्ति है जिससे हम शत्रु को अपना मित्र बना सकते हैं और उसके प्रेमपात्र बन सकते हैं |
➽ अधभूखे राष्ट्र के पास न कोई धर्म, न कोई कला और न ही कोई संगठन हो सकता है।
➽ निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
➽ आत्मरक्षा हेतु मारने की शक्ति से बढ़कर मरने की हिम्मत होनी चाहिए।
➽ जब भी मैं सूर्यास्त की अद्भुत लालिमा और चंद्रमा के सौंदर्य को निहारता हूँ तो मेरा हृदय सृजनकर्ता के प्रति श्रद्धा से भर उठता है।
➽ वीरतापूर्वक सम्मान के साथ मरने की कला के लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती। उसके लिए परमात्मा में जीवंत श्रद्धा काफी है।
➽ क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
➽ एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है वह है सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता जो हम सभी में समान रूप से विद्यमान है।
➽ पकी समस्त विद्वत्ता, आपका शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ का संपूर्ण अध्ययन निरर्थक है यदि आप अपने चरित्र का निर्माण व विचारों क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते।
➽ वक्ता के विकास और चरित्र का वास्तविक प्रतिबिंब 'भाषा' है।
➽ स्वच्छता, पवित्रता और आत्मगसम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
➽ निर्मल चरित्र एवं आत्मिक
पवित्रता वाला व्यक्तित्व सहजता से लोगों का विश्वास अर्जित करता है और स्वतः अपने
आस पास के वातावरण को शुद्ध कर देता है।
➽ जीवन में स्थिरता, शांति और विश्वसनीयता की स्थापना का एकमात्र साधन भक्ति है।
➽ सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है।
➽ अधिकार-प्राप्ति का उचित माध्यम कर्तव्यों का निर्वाह है।
➽ उफनते तूफान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढना होगा।
➽ रोम का पतन उसका विनाश होने से बहुत पहले ही हो चुका था।
➽ गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है।
➽ जहां तक मेरी दृष्टि जाती है मैं देखता हूं कि परमाणु शक्ति ने सदियों से मानवता को संजोये रखने वाली कोमल भावना को नष्ट कर दिया है।
➽ मेरे विचारानुसार गीता का उद्देश्य आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग बताना है।
➽ गीता में उल्लिखित भक्ति, कर्म और प्रेम के मार्ग में मानव द्वारा मानव के तिरस्कार के लिए कोई स्थान नहीं है।
➽ मैं यह अनुभव करता हूं कि गीता हमें यह सिखाती है कि हम जिसका पालन अपने दैनिक जीवन में नहीं करते हैं, उसे धर्म नहीं कहा जा सकता है।
➽ हजारों लोगों द्वारा कुछ सैकडों की हत्या करना बहादुरी नहीं है। यह कायरता से भी बदतर है। यह किसी भी राष्ट्रवाद और धर्म के विरुद्ध है।
➽ साहस कोई शारीरिक विशेषता न होकर आत्मिक विशेषता है।
➽ संपूर्ण विश्व का इतिहास उन व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पडा है जो अपने आत्म-विश्वास, साहस तथा दृढता की शक्ति से नेतृत्व के शिखर पर पहुंचे हैं।
➽ हृदय में क्रोध, लालसा व इसी तरह की .....भावनाओं को रखना, सच्ची अस्पृश्यता है।
➽ मेरी अस्पृश्यता के विरोध की लडाई, मानवता में छिपी अशुद्धता से लडाई है।
➽ सच्चा व्यक्तित्व अकेले
ही सत्य तक पहुंच सकता है।
➽ शांति का मार्ग ही सत्य
का मार्ग है। शांति की अपेक्षा सत्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
➽ हमारा जीवन सत्य का एक
लंबा अनुसंधान है और इसकी पूर्णता के लिए आत्मा की शांति आवश्यक है।
➽ यदि समाजवाद का अर्थ शत्रु के प्रति मित्रता का भाव रखना है तो मुझे एक सच्चा समाजवादी समझा जाना चाहिए।
➽ आत्मा की शक्ति संपूर्ण
विश्व के हथियारों को परास्त करने की क्षमता रखती है।
➽ किसी भी स्वाभिमानी
व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं
वरन् बेडियों में होती है।
➽ ईश्वर इतना निर्दयी व क्रूर नहीं है जो पुरुष-पुरुष और स्त्री-स्त्री के मध्य ऊंच-नीच का भेद करे।
➽ नारी को अबला कहना
अपमानजनक है। यह पुरुषों का नारी के प्रति अन्याय है।
➽ गति जीवन का अंत नहीं
हैं। सही अर्थ़ों में मनुष्य अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए जीवित रहता है।
➽ जहां प्रेम है, वही जीवन है।
ईर्ष्या-द्वेष विनाश की ओर ले जाते हैं।
➽ यदि अंधकार से प्रकाश
उत्पन्न हो सकता है तो द्वेष भी प्रेम में परिवर्तित हो सकता है।
➽ प्रेम और एकाधिकार एक साथ
नहीं हो सकता है।
➽ प्रतिज्ञा के बिना जीवन
उसी तरह है जैसे लंगर के बिना नाव या रेत पर बना महल।
➽ यदि आप न्याय के लिए लड
रहे हैं, तो ईश्वर सदैव
आपके साथ है।
➽ मनुष्य अपनी तुच्छ वाणी
से केवल ईश्वर का वर्णन कर सकता है।
➽ यदि आपको अपने उद्देश्य
और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी।
➽ युद्धबंदी के लिए
प्रयत्नरत् इस विश्व में उन राष्ट्रों के लिए कोई स्थान नहीं है जो दूसरे
राष्ट्रों का शोषण कर उन पर वर्चस्व स्थापित करने में लगे हैं।
➽ जिम्मेदारी युवाओं को
मृदु व संयमी बनाती है ताकि वे अपने दायित्त्वों का निर्वाह करने के लिए तैयार हो
सकें।
➽ विश्व को सदैव मूर्ख नहीं
बनाया जा सकता है।
➽ बुद्ध ने अपने समस्त
भौतिक सुखों का त्याग किया क्योंकि वे संपूर्ण विश्व के साथ यह खुशी बांटना चाहते
थे जो मात्र सत्य की खोज में कष्ट भोगने तथा बलिदान देने वालों को ही प्राप्त होती
है।
➽ हम धर्म के नाम पर
गौ-रक्षा की दुहाई देते हैं किंतु बाल-विधवा के रूप में मौजूद उस मानवीय गाय की
सुरक्षा से इंकार कर देते हैं।
➽ अपने कर्तव्यों को जानने
व उनका निर्वाह करने वाली स्त्री ही अपनी गौरवपूर्ण मर्यादा को पहचान सकती है।
➽ स्त्री का अंतर्ज्ञान
पुरुष के श्रेष्ठ ज्ञानी होने की घमंडपूर्ण धारणा से अधिक यथार्थ है।
➽ जो व्यक्ति अहिंसा में
विश्वास करता है और ईश्वर की सत्ता में आस्था रखता है वह कभी भी पराजय स्वीकार
नहीं करता।
➽ समुौ जलराशियों का समूह
है। प्रत्येक बूंद का अपना अस्तित्व है तथापि वे अनेकता में एकता के द्योतक हैं।
➽ पीडा द्वारा तर्क मजबूत
होता है और पीडा ही व्यक्ति की अंत–दृष्टि खोल देती है।
➽ किसी भी विश्वविद्यालय के
लिए वैभवपूर्ण इमारत तथा सोने-चांदी के खजाने की आवश्यकता नहीं होती। इन सबसे अधिक
जनमत के बौद्धिक ज्ञान-भंडार की आवश्यकता होती है।
➽ विश्वविद्यालय का स्थान
सर्वोच्च है। किसी भी वैभवशाली इमारत का अस्तित्व तभी संभव है जब उसकी नपव ठोस हो।
➽ मेरे विचारानुसार मैं
निरंतर विकास कर रहा हूं। मुझे बदलती परिस्थितियों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया
व्यक्त करना आ गया है तथापि मैं भीतर से अपरिवर्तित ही हूं।
➽ ब्रह्मचर्य क्या है ? यह जीवन का एक ऐसा मार्ग
है जो हमें परमेश्वर की ओर अग्रसर करता है।
➽ प्रत्येक भौतिक आपदा के
पीछे एक दैवी उद्देश्य विद्यमान होता है ।
➽ सत्याग्रह और चरखे का
घनिष्ठ संबंध है तथा इस अवधारणा को जितनी अधिक चुनौतियां दी जा रही हैं इससे मेरा
विश्वास और अधिक दृढ होता जा रहा है।
➽ हमें बच्चों को ऐसी
शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे वे श्रम का तिरस्कार करें।
➽ सभ्यता का सच्चा अर्थ
अपनी इच्छाओं की अभिवृद्धि न कर उनका स्वेच्छा से परित्याग करना है।
➽ अंततः अत्याचार का परिणाम
और कुछ नहीं केवल अव्यवस्था ही होती है।
➽ हमारा समाजवाद अथवा
साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक मजदूर एवं जमपदार किसान के
मध्य परस्पर सद्भावपूर्ण सहयोग हो।
➽ किसी भी समझौते की अनिवार्य
शर्त यही है कि वह अपमानजनक तथा कष्टप्रद न हो।
➽ यदि शक्ति का तात्पर्य
नैतिक दृढता से है तो स्त्री पुरुषों से अधिक श्रेष्ठ है ।
➽ स्त्री पुरुष की सहचारिणी
है जिसे समान मानसिक सामर्थ्य प्राप्त है ।
➽ जब कोई युवक विवाह के लिए
दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है
बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
➽ धर्म के नाम पर हम उन तीन लाख बाल-विधवाओं पर वैधव्य थोप रहे हैं जिन्हें विवाह का अर्थ भी ज्ञात नहीं है।
➽ स्त्री जीवन के समस्त
पवित्र एवं धार्मिक धरोहर की मुख्य संरक्षिका है।
➽ महाभारत के रचयिता ने
भौतिक युद्ध की अनिवार्यता का नहीं वरन् उसकी निरर्थकता का प्रतिपादन किया है।
➽ स्वामी की आज्ञा का
अनिवार्य रूप से पालन करना परतंत्रता है परंतु पिता की आज्ञा का स्वेच्छा से पालन
करना पुत्रत्व का गौरव प्रदान करती है।
➽ भारतीयों के एक वर्ग को दूसरे के प्रति शत्रुता की भावना से देखने के लिए प्रेरित करने वाली मनोवृत्ति आत्मघाती है। यह मनोवृत्ति परतंत्रता को चिरस्थायी बनाने में ही उपयुक्त होगी।
➽ स्वतंत्रता एक जन्म की
भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे ।
➽ आधुनिक सभ्यता ने हमें
रात को दिन में और सुनहरी खामोशी को पीतल के कोलाहल और शोरगुल में परिवर्तित करना
सिखाया है।
➽ मनुष्य तभी विजयी होगा जब
वह जीवन-संघर्ष के बजाय परस्पर-सेवा हेतु संघर्ष करेगा।
➽ अयोग्य व्यक्ति को यह
अधिकार नहीं है कि वह किसी दूसरे अयोग्य व्यक्ति के विषय में निर्णय दे ।
➽ धर्म के बिना व्यक्ति पतवार बिना नाव के समान है।
➽ सादगी ही सार्वभौमिकता का
सार है।
➽ अहिंसा पर आधारित
स्वराज्य में, व्यक्ति को अपने
अधिकारों को जानना उतना आवश्यक नहीं है जितना कि अपने कर्तव्यों का ज्ञान होना।
➽ मजदूर के दो हाथ जो
अर्जित कर सकते हैं वह मालिक अपनी पूरी संपत्ति द्वारा भी प्राप्त नहीं कर सकता।
➽ अपनी भूलों को स्वीकारना
उस झाडू के समान है जो गंदगी को साफ कर उस स्थान को पहले से अधिक स्वच्छ कर देती
है।
➽ पराजय के क्षणों में ही
नायकों का निर्माण होता है। अंतः सफलता का सही अर्थ महान असफलताओं की श्रृंखला है।
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