भोजन पकाने की विधियाँ पोषक तत्वों पर प्रभाव |भोजन पकाते समय ध्यान रखे जाने योग्य बातें |Method of Cooking in Hindi
भोजन पकाने की विधियाँ पोषक तत्वों पर प्रभाव , पकाते समय ध्यान रखे जाने योग्य बातें
भोजन पकाने की विधियाँ
भोजन पकाने के माध्यम (वायु, जल आदि) को परिवर्तित कर भोजन को पकाया जाता है। ताप प्रभाव से खाना पकाने के मुख्यतः चार तरीके से देखा जा सकता है।
• जल के माध्यम से
• वायु के माध्यम से
• चिकनाई के माध्यम से
• वाष्प के माध्यम से
1 जल के माध्यम से भोजन पकाना
इस क्रिया को गीली विधि भी कहा जाता है। इस क्रिया में पानी के माध्यम से ताप को खाद्य पदार्थ तक पहुँच जाता है अर्थात् खाद्य पदार्थ पानी व ताप की उपस्थिति में पकता है।
खदकाना (Simmering) -
इस विधि में कम ताप (85°C से 90°C) के प्रभाव में खाना पकाया जाता है, पानी का तापक्रम कम होने के कारण पानी के बुलबुले ऊपरी सतह पर पहुंच से पूर्व ही फूट जाते हैं। इस क्रिया में भाप धीरे-धीरे बनती है, जिसकी वजह से खाद्य पदार्थों के पकने में अधिक समय लगता है। इस विधि में अत्यधिक पोषक तत्व नष्ट नहीं होते, खाद्य पदार्थ का रंग, आकार व स्वाद बरकरार रहता है। इस विधि के माध्यम से अधिक प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे - मछली, अण्डा पकाये जाते हैं क्योंकि तीव्र तापक्रम में प्रोटीन कड़ी हो जाती है तथा अन्दर का भाग कच्चा रह जाता है।
उबालना (Boiling)-
इस विधि के अंतर्गत खाद्य पदार्थों को पानी में डुबाया जाता है तत्पश्चा पानी को 100°C ताप दिया जाता है जिससे वह उबलने लगता है। पानी के भीतर रखा गया भोज्य पदार्थ उबलने की क्रिया से पक कर नरम एवं सुपाच्य हो जाता है। इस विधि द्वारा चावल आदि पकाये जाते हैं। खाद्य पदार्थ को अधिक उबालने से स्वाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तथा जल में घुलनशील विटामिन व खनिज लवण पानी में आ जाते हैं। अधिक उबालने से सब्जियों का रंग भी नष्ट हो जाता है।
सिझाना (Stewing)-
इस विधि में खाना धीमी गति से पकता है। खाद्य पदार्थों को कम पानी डाल कर पकाया जाता है । इस विधि में भोजन को पकाने में अधिक समय लगता है परन्तु भोजन अधिक स्वादिष्ट बनता है। सूखी सब्जियाँ एवं मांस प्रायः इस विधि द्वारा ही बनाये जाते हैं। यह विधि उबालने की तुलना में अधिक उत्तम होती है क्योंकि भोजन सुपाच्य होता है।
2 वायु द्वारा खाद्य पदार्थ पकाना
इस क्रिया को प्रत्यक्ष ऊष्मा पाक विधि भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में ताप का सीधा प्रभाव खाद्य पदार्थ के कणों में पहुँचता है। सीधे आँच के ऊपर पकने की वजह से खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों पर कभी-कभी नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।
सेकना / भूनना (Roasting)-
इस विधि में खाद्य पदार्थ सीधे आँच के सम्पर्क में रहता है तथा उसे बार-बार घुमाया जाता है, जिसकी वजह से वह अच्छी तरह से पक जाता है। इस विधि द्वारा खाद्य पदार्थों के स्वाद में वृद्धि होती है। बैंगन, आलू, पापड़ व भुट्टा इस विधि द्वारा भूने जाते हैं।
भट्टी में पकाना -
यह विधि सेकना का ही परिष्कृत रूप है। इस विधि के द्वारा खाद्य पदार्थ चारों दिशा में एक समान पकता है। जैसे कबाब, सीक कबाब, नान, तन्दूरी ।
धातु के बर्तन में भूनना (Pan Broiling) -
इस क्रिया में भी खाद्य पदार्थों को भूना जाता है। परन्तु यहाँ खाद्य पदार्थ सीधे आँच के सम्पर्क में न आते हुए किसी और माध्यम से आँच के सम्पर्क में आते हैं। जैसे मूंगफली, मक्का भूनने के लिए बालू, रेत व नमक का प्रयोग, तवे पर चपाती सेकना, सूजी व दलिया को कढ़ाई में भूनना ।
ग्रिलिंग (Grilling)-
इस विधि के अन्तर्गत खाद्य पदार्थ को धातु की छड़ी पर लगा कर सीधे या जाली के माध्यम से आग पर रखा जाता है। पकने के उपरान्त खाद्य पदार्थ का रंग भूरा जाता है। यह विधि समान्यतः मांस व मछली को भूनने में करागर होती है जैसे ग्रिल्ड फिश
बेकिंग (Baking)-
यह ओवन के माध्यम से की जाती है। खाद्य पदार्थ को बर्तन पर रखकर, गर्म ओवन में रखा जाता है यहाँ उपस्थित गर्म हवा सीमित परिधि में रहती है जिसके कारण खाद्य पदार्थ पक जाता है। इस विधि द्वारा बने खाद्य पदार्थ कुरकुरे, सुनहरे व अन्दर से नरम होते हैं, जैसे ब्रेड, बिस्किट, केक
3 चिकनाई के माध्यम से भोजन पकाना
इस विधि में खाद्य पदार्थों को पकाने का माध्यम वसा युक्त पदार्थ जैसे- घी, तेल है। अर्थात् सर्वप्रथ ऊष्मा तेल व घी को गरम करती है तत्पश्चात् उस उष्मा के द्वारा भोज्य पदार्थ पकते हैं। भोज्य पदार्थों में प्रयोग होने वाली वसा के अनुसार यह मुख्यतः तीन श्रेणियों द्वारा किया जाता है।
उथला तलना (Shallow frying)-
इस विधि में कम घी व तेल इस्तेमाल होता है। इस विधि में खाद्य पदार्थ को चपटे पृष्ठ वाले बर्तन में बनाते हैं, जिससे घी न्यूनतम मात्रा में लगता है। घी व तेल के प्रयोग से खाद्य पदार्थ चिपकते नहीं हैं तथा खाद्य पदार्थ सिक जाते हैं। जैसे चीला, टिक्की, डोसा, पराठा ।
गहरा तलना (Deep frying)-
इस विधि में तेल व घी की अधिक मात्रा का प्रयोग होता है ताकि उसमें खाद्य पदार्थ पूरी तरह से डूब कर सिक जाता है। इस विधि द्वारा बना हुआ भोजन अत्यन्त रुचिकर होता है जैसे पूरी, समोसा । इस प्रकार के भोज्य पदार्थ स्वास्थ्य की दृष्टि से कम खाने चाहिए क्योंकि घी, तेल का अत्यधिक सेवन हो जाता है, जो शरीर में विपरीत प्रभाव डालता है।
शुष्क तलना (Dry frying)-
इस विधि के अन्तर्गत उन खाद्य पदार्थों का तलना होता है, जिनमें प्राकृतिक रूप से वसा की पर्याप्त मात्रा होती है, इस विधि में घी या तेल बाहर से नहीं डाला जाता है, क्योंकि उन पदार्थों में इतनी चिकनाई होती है कि गर्म होने में वह स्वयं ही निकलने लगती है जिससे वह कढ़ाई में चिपकते नहीं है। जैसे- बेकन (Bacon ) एवं सौसेज (Sausage)
4 वाष्प के माध्यम से भोजन पकाना
इस विधि के अन्तर्गत खाद्य पदार्थों को पकाने का माध्यम वाष्प होती है। भाप का तापमान 100°C से अधिक होता है जिस कारण भोज्य पदार्थ शीघ्र पक जाते हैं।
भापना (Steaming)-
इस विधि के अन्तर्गत बर्तन में उबलते हुए जल से निकली वाष्प द्वारा वस्तुओं को पकाया जाता है जैसे मछली के बड़े-बड़े टुकड़ों को केले के पत्ते कागज में लपेट कर रखना जिससे घुलनशील पोषक तत्व संरक्षित तो रहते हैं साथ ही उसके टुकड़े भी न टूटते हैं। इस विधि हेतु विशेष बर्तनों का उपयोग भी किया जाता है, जैसे ढक्कन में जालीदार थाली सी लगी होती है, जिसमें खाद्य पदार्थों को रखकर भाप द्वारा पकाया जाता है। इस विधि द्वारा इडली, मोमो, ढोकला आदि बनाये जाते हैं।
वाष्प के दबाव द्वारा पकाना (Pressure cooking) -
यह विधि इस सिद्धान्त पर केन्द्रित है कि तरल पदार्थ द्वारा वाष्प उत्पन्न होने के कारण दबाव बढ़ता है, जिसकी वजह से ऊष्णता का घनत्व बढ़ जाता दबाव की मात्रा बढ़ने के अनुरूप ही जल का द्रवणांक (boiling point) भी बढ़ जाता है। अर्थात पानी अब अधिक ताप पर उबलता है जिससे खाद्य पदार्थ को अधिक ऊष्मा एवं ताप मिलता है जिस कारण खाद्य पदार्थ जल्दी पक जाता है। उदाहरण- प्रेशर कुकर में इसी सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में वाष्प का तापक्रम अधिक होने के कारण खाना शीघ्र पकता है तथा भाप द्वारा पकने की वजह से खाद्य पदार्थों के पौष्टिक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं।
भोजन पकाने का पोषक तत्वों पर प्रभाव
भोजन पकाने से उसमें उपस्थित सभी भोज्य तत्व प्रभावित होते हैं। संक्षेप में भोज्य तत्वों के प्रभाव को निम्न प्रकार समझा जा सकता है
कार्बोहाइड्रेट-
पकाने के माध्यम से भोज्य पदार्थ में उपस्थित स्टार्च के कण पानी सोखकर फूल जाते हैं तथा फटकर पानी के साथ मिलकर चिपचिपा मिश्रण बना लेते हैं, जिससे वह अधिक पाचनशील हो जाते हैं। जब स्टार्च को शुष्क ताप पर सेंका जाता है तो भी स्टार्च शीघ्र पाचन योग्य हो जाता है जैसे डबल रोटी को सेंकना। अधिक शुष्क ताप में भोज्य पदार्थ की पौष्टिकता नष्ट हो जाती है।
वसा-
उचित तापक्रम में वसा की पौष्टिकता में कोई परिर्वतन नहीं होता है परन्तु अधिक ताप के प्रभाव से वसा ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल (fatty acid) में टूट जाता है। ग्लिसरॉल तीव्र गर्म होने के पश्चात एक्रोलिन (acrolein) नामक विषैली गैस उत्पन्न करता है जिसके परिणामस्वरूप आँखों में हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
प्रोटीन-
उचित ताप में पकाया गया प्रोटीन पदार्थ सुपाच्य होता है परन्तु अधिक ताप के प्रभाव से यह सख्त हो जाता है तथा इसके पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
खनिज लवण -
भोज्य पदार्थ को शुष्क अवस्था में पकाने से खनिज लवण की कोई हानि नहीं होती, परन्तु भोज्य पदार्थों को उबालने से शेष बचा पानी फेंक देने से पानी में आये कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, मैगनीशियम आदि तत्वों की हानि हो जाती है।
विटामिन-
जल में घुलनशील होने वाले विटामिन बी समूह एवं विटामिन सी पकने की क्रिया दौरान भोजन के जल में प्रवेश कर जाते हैं। जिसे फेंक देने से इनकी हानि होती है। भोजन को अधिक ताप में पकाने से, ताँबे के बर्तन में रखने, खुले में रखने से उसका विटामिन सी नष्ट हो जाता है। जल में अघुलनशील विटामिन ए, वायु के सम्पर्क में आने से ऑक्सीकरण के कारण नष्ट हो जाता है।
भोजन पकाते समय ध्यान रखे जाने योग्य बातें
- खाद्य पदार्थ को अधिकतर जल के माध्यम से अथवा भाप द्वारा पकाया जाना चाहिए, क्योंकि यह पकाने का सबसे उत्तम तरीका होता है। इसके माध्यम से पकाये गये खाद्य पदार्थों का पोषक मान सीधे आँच या तलने की विधि से अधिक होता है।
- खाद्य पदार्थों को हमेशा ढक्कन लगाकर कम देर तक पकाया जाना चाहिए उससे उनके पोषण तत्वों में प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
- सब्जी को पकाने के लिए खौलते हुए पानी का प्रयोग करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार ही पानी डालना चाहिए। पकने के बाद, यदि पानी बच जाए तो उसे सूप, दाल इत्यादि में प्रयोग करना चाहिए।
- अधिक देर तक पकने से अंडा, माँस सख्त हो जाते हैं तथा आसानी से पचाए नहीं जा सकते हैं, इसलिए उन्हें सीमित अवधि तक पकाना चाहिए।
- अधिक पॉलिश वाला चावल नहीं खाना चाहिए क्योंकि पॉलिशिंग के समय खाद्य पदार्थों से जल में घुलनशील विटामिन व खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं।
- भोजन पकाने के बाद तुरन्त उसे परोसें, अन्यथा बार- बार गर्म करने से उसकी पौष्टिकता में कमी आ जाती है।
- चावल पकाते समय थोड़ा सा सिरका, नींबू या घी डालने से वह एक दम खिले-खिले बनते हैं।
- सेब, नाशपती तथा अन्य फलों को काटने के बाद उन पर नींबू का रस निचोड़ देने से वह भूरे नहीं पड़ते क्योंकि नींबू में व्याप्त विटामिन सी ऑक्सीकरण की क्रिया को रोक कर उसमें उपस्थित पोषक तत्वों को नष्ट होने से बचाता है।
Post a Comment