राजनीति में प्रभाव क्या होता है | प्रभाव का अर्थ परिभाषा स्रोत |शक्ति और प्रभाव में अन्तर | Political Effect Kya Hota Hai
प्रभाव का अर्थ परिभाषा स्रोत , शक्ति और प्रभाव में अन्तर
प्रभाव क्या है:-
यदि कोई परिवार का वरिष्ठ सदस्य उसी परिवार के किसी कनिष्ठ सदस्य को काम करने का परामर्श देता है, या स्कूल का अध्यापक परामर्श देता है, तो प्रायः यह प्रभाव कहा जायेगा। क्योंकि यहा किसी शक्ति का प्रयोग नहीं किया गया और न ही शक्ति के प्रयोग का कोई खतरा ही दिखाई देता है। क्योंकि यदि वह सदस्य परामर्श नहीं मानता हो उसे कोई क्षति नहीं होगी। लेकिन यदि कोई देश या अन्तर्राष्ट्रीय संस्था विदेश नीति सम्बन्धी कोई निर्णय लेना चाहता है किन्तु कोई दूसरा शक्तिशाली देश अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए उसे रोकता है। तो वह प्रभाव कहा जायेगा।
प्रभाव का अर्थ परिभाषा -
कुछ विद्वानों के अनुसार प्रभाव का अर्थ दूसरों के व्यवहार को परिवर्तित कर सकने की क्षमता ही प्रभाव है। लेकिन कुछ विद्वानों का माना है कि "यह क्षमता प्रभाव न होकर शक्ति है।”
शक्ति को परिभाषित करते हुए गोल्डहेमर व शील्स प्रभाव की व्यापकता को ध्यान में रखते हैं। उनके अनुसार- " एक व्यक्ति उसी सीमा तक शक्तियुक्त माना जा सकता है जिस सीमा तक वह अपने अभिप्रायों के अनुकूल दूसरों के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
कार्ल जे0फ्रेडरिक-“ प्रभाव गुप्त शक्ति है। यह न्यूनाधिक मात्रा में शक्ति का अदृश्य रूप है।”
आर्नोल्ड बुल्फर्स के अनुसार, "शक्ति से अभिप्राय है धमकियों के द्वारा दूसरों को नियंत्रित करने की सामर्थ्य दूसरी और वैसा ही परिणाम वायदों या लाभकर वस्तुएं देने के द्वारा पैदा करने की सामर्थ्य प्रभाव है। "
इस प्रकार अनुनय और पुरूस्कारों द्वारा दूसरे के ऊपर प्राप्त किया गया नियंत्रण प्रभाव कहलाता है और दण्ड तथा बल प्रयोग द्वारा प्राप्त किया गया नियंत्रण शक्ति कहलाता है। जब हम प्रभाव एवं शक्ति के सम्बन्धों का विवेचन करेंगे तब ही प्रभाव को अधिक अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
प्रभाव के प्रमुख स्रोत
सुप्रसिद्ध विद्वान वे की मान्यता है कि “प्रभाव संघ सर्वत्र असमान रूप पाया जाता है।” इस असमानता के मुख्य कारण साधनों के वितरण में असमानताऐं, राजनैतिक तथ्यों के लिए साधनों के प्रयोग की पृथकताएं तथा राजनैतिक साधनों के प्रयोग करने में विभिन्नताएं आदि है।
प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि राजनीतिक व्यवस्था में अपना प्रभाव जरूर छोड़े, जिसके लिए व्यक्ति सामान्यतः सरकारी नियमों, नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं लेकिन यह जरूरी नही है कि उसको अमुक कार्य में सफलता प्राप्त हो। इसका प्रमुख कारण प्रभाव की असमान प्रकृति राजनीतिक विचारकों का मानना है कि राजनीतिक स्रोतों में असमानता के कारण ही राजनैतिक प्रभाव में असमानता आती है। यह भी कहा जा सकता है कि इसमें राजनीतिक प्रभाव के तथ्य एवं मूल्यों का भी अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। राजनीतिक प्रभाव लक्ष्यों व मूल्यों की समानता पर आधारित होते हैं रौवे विचार प्रकट करते है कि "राजनैतिक स्रोत शिक्षा, कुशलता, स्वास्थ, व्यक्तित्व आकर्षण तथा सम्पत्ति आदि पर निर्भर होता है। यह उन उददेश्यों, साधनों एवं क्रिया-विधियों पर निर्भर होता है। जिनके लिए उसका उपयोग किया जाये ।“
शक्ति और प्रभाव में अन्तर:
अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि प्रभाव में शक्ति होती है और शक्ति का प्रभाव होता है फिर भी इन दोनों के लक्ष्यों साधनों एवं दिशाओं के मध्य अन्तर पाया जाता है।
प्रो० केटलिन के अनुसार शक्ति सफल नियन्त्रण है इसलिए असफल शक्ति के रूप में स्वीकार नही किया जा सकता है प्रभाव नियंत्रण के रूप में होता है प्रचार भी प्रभाव का एक प्रकार है।
इस तरह निम्न भेद किये जा सकते हैं
1. शक्ति दमनात्मक, प्रभाव अनुनयात्मक होता है। शक्ति के पीछे कठोर भौतिक बल एवं प्रतिबन्धों का प्रयोग होता है। जिस व्यक्ति या समूह पर शक्तियाँ प्रयोग किया जाता है उसके पास स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
2. प्रभाव अनुनय-विनय तथा मनौवैज्ञानिक होता है व्यक्ति के पास उसे स्वीकार करने या ना करने के विकल्प मौजूद होते है।
3. अधिकतर देखने में आता है कि शक्ति का प्रयोग दूसरें की इच्छा के विरूद्व किया जाता है। जबकि प्रभाव व्यक्ति के इच्छा पर निर्भर करती है।
4. शक्ति अप्रजातन्त्रात्मक होती है जबकि प्रभाव प्रजातन्त्रात्क होता है।
5. शक्ति का प्रयोग निश्चित सीमित और विशिष्ठ रूप में होते है और प्रभाव व्यक्तिगत अमूर्त तथा अस्पष्ठ होता है। अर्थात जब शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो उसे हम देख सकते है जबकि प्रभाव प्रायः व्यक्तिगत अमूर्त तथा अस्पष्ठ होता है।
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