खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता हेतु मानक |अनिवार्य वस्तु अधिनियम |एगमार्क क्या है , भारतीय मानक ब्यूरो | Standards for food quality in Hindi

खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता हेतु मानक

खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता हेतु मानक |अनिवार्य वस्तु अधिनियम |एगमार्क क्या है , भारतीय मानक ब्यूरो | Standards for food quality in Hindi
 

खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता हेतु मानक

1 अनिवार्य वस्तु अधिनियम (Essential Commodity Act, 1955) 

इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनिवार्य वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित कराना तथा धोखा देने वाले व्यपारियों के शोषण से उनकी रक्षा करना होता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत दैनिक उपयोग की वस्तुओं के वितरण व मूल्य निर्धारण को विनियमित नियंत्रित करने की व्यवस्था की गयी है। इनकी आपूर्ति बनाये रखने या बढ़ाने तथा उनका समान मोटा अनाजवितरण प्राप्त करने और उचित मूल्य पर उनकी उपलब्धता के लिये अनिवार्य घोषित किया गया है। 15 फरवरी 2002 में संशोधित इस अधिनियम के तहत व्यापारी गेंहूधानचावलशर्करातिलहनखाद्य तेलों की मुक्त खरीददारी कर सकते हैं तथा भण्डारणबिक्री वितरण के लिये कोई लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के अन्तर्गत खाद्य पदार्थों की शुद्धतासुरक्षा एवं गुणवत्ता सम्बन्धी मानक सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रकार के अधिनियम जोड़े गए जैसे फल उत्पादन आदेश (Fruit Product Order), दूध एवं दुध पदार्थ आदेश (Milk and Milk Product Order), माँस एवं माँस उत्पादन आदेश (Meat and Meat Product Order, MMPO). साथ ही साथ भारतीय परिवेश में भोज्य पदार्थ की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दो मानकएगमार्क (AGMARK) एवं भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards, BIS), को भी शामिल किया गया।

 

फल उत्पादन आदेश (Fruit Product Order, FPO) 

यह चिह्न फल तथा सब्जियों की गुणवत्ता के लिए दिया जाता है। इस मानक फैक्टरी व अन्य उत्पाद स्थानों में सफाईपैकिंगडिब्बों की लेबलिंग आदि से सम्बन्धित नियमों का निर्धारण होता है। इस अधिनियम को सर्वप्रथम 1946 में अधिनियमित किया गया। परन्तु 1955 में यह आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लागू किया गया। यह भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जाता है। यह अधिनियम सभी फल इकाईयों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य करता है। इकाई द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थ मानक के अनुरूप होना चाहिए अन्यथा तैयार उत्पाद को बाजार में बेचने की अनुमति प्रदान नहीं की जाती हैसाथ ही इकाई का लाइसेन्स रद्द कर दिया जाता है।

 

माँस एवं माँस उत्पादन आदेश (Meat and Meat Product Order, MMPO) : 

यह चिह्न माँस से सम्बन्धित वस्तुओं के गुणवत्ता परक होने के सम्बन्ध में दिया जाता है। जैसे- माँसमछली इत्यादि में इस अधिनियम के अन्तर्गत मानव उपभोग के लिए तैयार किये जाने वाले माँस एवं उसके उत्पाद के स्वच्छता एवं गुणवत्ता सम्बन्धी मानक निर्मित किए जाते हैं। माँस उत्पाद निर्माण करने वाली हर इकाई के पास लाइसेन्स होना अनिवार्य होता है। इस अधिनियम के तहत माँस उत्पाद की साफ़-सफ़ाईरख-रखाव एवं स्वच्छता पर अधिक महत्व दिया जाता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत माँस उत्पाद की पैकिंगलेबलिंग एवं अंकन की व्यवस्था स्थापित की जाती है।

 

दूध एवं दुग्ध पदार्थ आदेश (Milk and Milk Product Order, MMPO): 

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य आम एवं जरूरतमंद जनता को स्वच्छसुरक्षित एवं गुणवत्ता युक्त दूध की आपूर्ति करना होता है। साथ ही दूध व दुग्ध पदार्थ का उत्पादनवितरण एवं प्रस्संकरण नियंत्रित करना भी होता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत इकाईयों को साफ़-सफ़ाई एवं स्वच्छता बनाये रखने के लिए निर्देशित किया जाता है। दूध एवं दुग्ध पदार्थ की

 

2 एगमार्क (AGMARK) 

एगमार्क विशेषतया कृषि उत्पादों पर दिया जाता हैजैसे- आटासूजीमैदा आदिखाद्य तेल जैसे मूँगफली का तेलसरसों का तेल आदि। एग्मार्क चिह्न वाली वस्तुओं का विज्ञापन कई बार अखबारोंपत्रिकाओंटेलीविजन में भी प्रसारित किया जाता है। यह मानक भोज्य पदार्थों में न्यूनतम गुणवत्ता बनाये रखने के लिए तैयार किया गया। यह चिह्न भोज्य पदार्थ के भौतिकरासायनिक उपस्थित पौष्टिक तत्वों की मात्रा के आधार पर दिया जाता है। एगमार्क चिह्न खाद्य वास्तुओं की उत्तम गुणवत्ता के लिए प्रदान किया जाता हैजिसके होने से यह स्पष्ट होता है कि उस खाद्य पदार्थ के प्रयोग से मानव शरीर में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होते हैं। कृषि उत्पादों के ग्रेडिंग तथा मार्केटिंग अधिनियम, 1937 के अंतर्गत सभी कृषि उत्पादों को यह चिह्न दिया जाता है। जैसे विशिष्ट श्रेणी ग्रेड 1, उत्तम श्रेणी ग्रेड 2, अच्छी श्रेणी ग्रेड 3, साधारण श्रेणी ग्रेड 41 मानक के अनुरूप खाद्य पदार्थ होने पर ही यह चिह्न प्रदान किया जाता है।

 

3 भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) 

इस अधिनियम की शुरूआत ISI Certification Mark Act, 1952 के अन्तर्गत की गयी थी । जिसमें सन् 1961 में समयानुसार आवश्यक संशोधन किये गये। यह चिह्न प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों जैसे बेकरीमिठाइयोंदूध एवं दूध से बने पदार्थों तथा पेय पदार्थों आदि के लिए दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों को गुणवत्ता सम्बन्धी मानक प्रमाणित करना होता है। इसके द्वारा केवल उन्हीं उत्पादकों को लाइसेन्स दिया जाता है जिनका उत्पाद बी0आई0एस0 द्वारा दिये गये मानकों के अनुसार होता है। खाद्य पदार्थ निषेध अधिनियम (PFA, 1954) के अंतर्गत कुछ खाद्य पदार्थों में यह मानक होना अनिवार्य होता है। जैसे पैक्ड पेयजल की गुणवत्ता बी0आई0एस0 के अनुरूप होनी चाहिए।

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